नब्बे के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था के दरवाजे खुलने के साथ ही हमारे समाज में नाटकीय बदलाव देखने को मिलने लगे. उपभोक्ता वस्तुओं तक लोगों की पहुंच बढ़ गई, कंप्यूटर और इंटरनेट के सबसे दूरदराज हिस्सों तक पहुंचने से सूचना की बाढ़-सी आ गई. भारत में बेहद पढ़े-लिखे और तेज-तर्रार युवाओं की संख्या हमेशा से बहुत ज्यादा थी. बड़े-बड़े शहरों में अपने कार्यालय खोलने के लिए दुनिया की कंपनियों ने उनका उपयोग किया. शहरों में ज्यादा संपन्न रहन-सहन का आकर्षण भी था. इन्हीं सब कारणों से गांवों से शहरों की तरफ बड़ी संख्या में पलायन हुआ.
लोगों की उम्र और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढऩे के साथ ही रहन-सहन से जुड़ी कई स्वास्थ्य समस्याओं ने भी सिर उठा लिया. बच्चों और युवाओं के खान-पान की आदतों में बड़ा भारी बदलाव आया. पशुओं से मिलने वाली खाद्य सामग्री फ्राइ और पॉटैटो चिप्स जैसे स्टार्च वाले आहार, और फैट वाली वस्तुओं की खपत बढ़ गई. घर से बाहर खाने का चलन आम हो गया, जिससे खुराक में कैलोरी और चिकनाई की मात्रा बढऩा स्वाभाविक था. अकसर बहुत-बहुत देर तक दिन-रात कंप्यूटर पर बैठकर काम करना और साथ में फास्ट फूड और बोतलबंद सॉफ्ट ड्रिंक्स को गटकना रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया. शराब और सिगरेट का सेवन बढऩे में साथियों का दबाव बहुत हद तक जिम्मेदार है. पर इन सब बातों के मिले-जुले असर से पिछले 15 साल में हमारे देश में खासकर 35-50 वर्ष के आयु वर्ग में कोरोनरी आर्टरी डिजीज यानी हृदय धमनी रोग में जबरदस्त तेजी दिखाई दी है. इस समय शहरी क्षेत्रों में करीब 10 प्रतिशत और गांवों में करीब 6 प्रतिशत आबादी इस रोग के शिकंजे में है. अनुमान है कि इस दशक के अंत तक इस खतरनाक रोग के यही कोई 20 करोड़ रोगी हिंदुस्तान में होंगे.
जो चीजें इस रोग के खतरे को बढ़ाती हैं, वे हैं डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान, परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले रोग, खराब किस्म के कॉलेस्ट्रॉल का ऊंचा स्तर, कसरत की कमी और मोटापा. रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल या डायबिटीज के स्तर में थोड़ी बहुत ऊंच-नीच की अकसर अनदेखी हो जाती है, लेकिन इन तीनों का अगर एकसाथ मेल हो गया, तो यह जानलेवा हो सकता है.
दिल का दौरा पडऩे से पहले चेतावनी के रूप में जो संकेत हैं वे हैं-सीने, कंधे या बाजू में भारीपन या दर्द. इसके अलावा दूसरे लक्षणों में हैं नियमित कामकाज के दौरान सांस फूलना, अचानक जी मिचलाना, कमजोरी या पसीना आना आदि. डायबिटीज के रोगियों को कई बार दिल का दौरा चुपचाप पड़ जाता है जो और भी खतरनाक है क्योंकि उसका संदेह नहीं होता और समय पर इलाज भी नहीं किया जा सकता.
हृदय रोग का शक होने पर कई तरह की जांच जरूरी हो सकती है. सीने या छाती का एक्स-रे, ईसीजी और खून के कुछ टेस्ट करवाना बेहद जरूरी हो जाता है. विशेषकर बेहद जोखिम वाले व्यक्तियों में निदान की पुष्टि के लिए कोरोनरी एंजियोग्राफी कराना जरूरी है ताकि यह पता लग सके कि दवा से उपचार संभव है या एंजियोप्लास्टी या बाइपास सर्जरी करना जरूरी है. कई बार मरीज एंजियोप्लास्टी या सर्जरी के बाद यह मानकर लापरवाह हो जाते हैं कि रोग से मुक्ति मिल गई. इस इलाज का सीधा-सा मकसद है कि लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में किसी तरह की कोई बाधा न आए. जरूरी एहतियात बरतना और सक्रिय जिंदगी जीना, इनके बीच एक समझदारी भरा संतुलन जरूरी है. कार्डियोलोजिस्ट की नियमित सलाह भी लेते रहना चाहिए. हृदय धमनी रोग का शुरू में ही पता लगाने का एक नया और बेहद अच्छा साधन है कोरोनरी सीटी एंजियोग्राफी- इसमें चीरा बहुत कम लगाना पड़ता है और रोग की शुरुआती अवस्था में ही एहतियाती उपाय अपनाए जा सकते हैं.
समाज में बदलाव की जो प्रक्रिया शुरू हुई है वह तो जारी रहेगी ही. इन बदलावों को आगे बढ़ाने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति बहुत महत्व रखती है. नौजवानों और संजीदा लोगों पर फिल्मों और मीडिया का जबरदस्त असर पड़ता है. बदकिस्मती ही है कि फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक्स के प्रचार-प्रसार पर जितना पैसा खर्च किया जा रहा है और जितना प्रयास हो रहा है, उसके मुकाबले स्वस्थ रहन-सहन और जीवन-शैली के प्रचार-प्रसार पर अंश मात्र ही खर्च हो रहा है. किसी भी चीज के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए लगातार प्रयास किए जाने पर वे जरूर रंग लाते हैं. आप देखिए ना, पश्चिमी देशों में धूम्रपान के बारे में बड़े पैमाने पर चलाए गए जागरूकता अभियान का ही नतीजा है कि अब वहां धूम्रपान में भारी कमी आ गई है.
आनुवंशिक कारणों, अस्वस्थ रहन-सहन और उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा और धूम्रपान की अधिकता ने मिलकर हृदय धमनी रोग को बहुत तेजी से बढ़ा दिया है. हम अपनी जीन/वंशाणु नहीं बदल सकते लेकिन इस रोग को कम करने के लिए दूसरे पहलुओं में बदलाव तो ला सकते हैं. आखिरकार यह रोग हमारी आर्थिक हालत को बुरी तरह से प्रभावित करता है?
(डॉ. त्रेहन गुड़गांव स्थित मेदांता द मेडिसिटी अस्पताल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं.)