डॉक्टर किसी मरीज को घुटना बदलवाने की सलाह दे दे तो मरीज की हिम्मत टूट जाती थी. घुटना बदलने की प्रक्रिया के कारण नहीं, बल्कि उस पर होने वाले खर्च के कारण मरीज घुटना बदलवाने से हिचकते थे.
लेकिन अचानक बुधवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद घुटना बदलना 70 फीसदी सस्ता हो गया.
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दरअसल, सरकार ने घुटना बदलवाने के दौरान होने वाली 'लूट' पर लगाम कसते हुए इसकी अधिकतम कीमतें तय कर दी हैं. बता दें कि इससे पहले घुटना बदलवाने में कम से कम 1.50 लाख रुपये का खर्च आता था, जिसमें 1.14 लाख के उपकरण होते थे. अब इस पर होने वाले खर्च को कम कर 55 हजार रुपये कर दिया गया है.
हालांकि इस खर्च में GST शामिल नहीं है. जीएसटी जोड़ने के बावजूद घुटना बदलवाने पर होने वाला खर्च कम ही आ रहा है.
एक नजर पहले और अब की कीमतों पर...
घुटनों के इम्प्लांट्स पर होने वाला खर्च पुरानी कीमतें नई कीमतें
कोबाल्ट क्रोमियम 1,58,324 54,720
टाइटैनियम ऑक्सीडाइज्ड जिंकोनियम 2.5 से 4.5 लाख 76,000
ज्यादा लचीले इम्प्लांट्स 1.80 से 4.5 लाख 56,490
10 साल बाद दोबारा इम्प्लांट 2.75 से 6 लाख 1,13,950
विशेष इम्प्लांट्स 2.75 से 9 लाख 1,13,950
सरकार ने नई कीमतें तत्काल प्रभाव से लागू कर दी हैं. इस बारे में रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने घुटना बदलवाने के दौरान की जाने वाली 'लूट' को रोकने के लिए इन उपकरणों का मूल्य नियंत्रित कर दिया है.
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स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि सरकार घुटने की सर्जरी की कीमत तय करने के उपायों पर काम कर रही है. इससे पहले सरकार ने दिल के मरीजों के लिए स्टेंट की कीमतें भी नियंत्रित की थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनपीपीए का मानना है कि घुटने के ट्रांसप्लांट के ऑपरेशन में जुड़े हॉस्पिटल, इम्पोर्टर और डिस्ट्रिब्यूटर 449 फीसदी तक मुनाफा कमा रहे हैं. इसमें इंपोर्टर्स को करीब 76 फीसदी और डिस्ट्रीब्यूटर को करीब 135 फीसदी तक का फायदा होता है.