एक शोध के मुताबिक स्ट्रोक से बच चुकी महिलाएं, पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा खराब गुणवत्ता का जीवन जीती हैं. उत्तर कारोलिना के वेक फॉरेस्ट बेपिस्ट मेंडिकल सेंटर में न्यूरोलॉजी के सहायक प्रोफेसर चेरिल बुशनेल ने बताया कि हमने पाया कि एक स्ट्रोक के 12 महीने बाद तक पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की जिंदगी ज्यादा खराब थी.
शोधकर्ताओं ने उन पुरुषों और महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता की तुलना की गई, जिन्हें स्ट्रोक या ट्रांजिंट इस्केमिक अटैक हो चुका था. अध्ययन में 56 से 77 वर्ष तक की उम्र के 1,370 रोगियों को शामिल किया गया था. गतिशीलता, स्वयं की देखभाल, प्रतिदिन गतिविधि, अवसाद/चिंता और दर्द का आंकलन करने वाला फार्मूला प्रयोग करते हुए स्ट्रोक के तीन महीने और एक साल बाद रोगियों के जीवन की गुणवत्ता को आंका गया.
बुशनेल ने बताया कि जैसा कि अधिकतर लोग स्ट्रोक में जीते हैं, चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को जीवन के पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए और इन रोगियों के जीवन के लिए बेहतर उपायों पर काम करना चाहिए. और यहां तक कि लिंग विशेष संबंधी स्क्रीनिंग उपकरणों का प्रयोग करना करना चाहिए.
ये परिणाम दर्शाते हैं कि तीन महीनों में गतिशीलता, दर्द, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं की शिकायत पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ने ज्यादा की. एक साल बाद भी महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता, पुरुषों की अपेक्षा निम्न ही थी, लेकिन परिणामों में भिन्नता कम थी.
बुशनेल ने बताया, यहां तक कि अध्ययन में शामिल महिलाएं, पुरुषों से बड़ी थीं. हमारा अध्ययन दर्शाता है कि जीवन की गुणवत्ता में उम्र का वास्तव में बहुत कम प्रभाव है.