गहरी सांस लेने से तनाव कम होता है, ऐसा आपने पहले भी कई बार सुना और पढ़ा होगा. पर हालिया अध्ययन में यह खुलासा किया गया है कि इससे दिमागी ताकत बढ़ती है और याददाश्त मजबूत होती है. यह अध्ययन नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी में किया गया है.
शोधकर्ताओं के अनुसार कोई व्यक्ति चाहे जितना भी गुस्से में क्यों न हो, वह गहरी सांस लेकर अपने गुस्से को सामान्य कर सकता है. लेकिन, मुंह से ली गई गहरी सांस पर यह बात लागू नहीं होती. शोधकर्ताओं का कहना है कि गहरी सांस का असर इस बात पर निर्भर करता है कि आप सांस मुंह से ले रहे हैं या नाक से.
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नॉथवेस्ट यूनिवर्सिटी फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के न्यूरोलॉजी प्रोफेसर क्रिस्टीना जेलानो ने बताया कि नाक से सांस लेने पर दिमाग जिस तरह प्रतिक्रिया देता है, मुंह से सांस लेने पर वैसे नहीं करता.
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यही वजह है कि मेडिटेशन करने वाले लोगों की याददाश्त अच्छी होती है. क्योंकि मेडिटेशन के दौरान लोग गहरी सांस लेते और छोड़ते हैं, जिससे उनके ब्रेन में सकारात्मक बदलाव होते हैं.
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प्रोफेसर किस्टीना ने कहा कि सांस और हमारी मानसिक स्थिति में गहरा संबंध है. हमारे सांस लेने के तरीके से यह भी पता चल जाता है कि हम किस मानसिक स्थिति में हैं. जब हम परेशान होते हैं तो सांसे तेज चलने लगती हैं, वहीं जब ज्यादा उत्साहित होते हैं, तब भी सांसे तेज चलती हैं.