फ्रांस में पांच साल पहले सेक्स वर्कर्स की संख्या को नियंत्रित करने के लिए एक बिल पेश किया गया था. लॉ मेकर्स को उस वक्त अंदाजा नहीं था कि ये कानून सेक्स वर्कर्स की जिंदगी पर कितनी भारी चोट करेगा. दरअसल, 2016 में बने इस बिल में सेक्स बेचना तो प्रतिबंधित था, लेकिन सेक्स की खरीदारी पर कोई रोक नहीं थी. लेकिन सेक्स वर्कर्स की भलाई को लेकर लाए गए कानून से उनकी जिंदगी और खराब हो गई है.
Photo: Getty Images (प्रतीकात्मक तस्वीर)
फ्रांस में पेड सेक्स सर्विस को बड़ा अपराध मान लिया गया है. पहली बार पकड़े जाने पर क्लाइंट्स को 1,700 डॉलर्स यानी करीब सवा लाख रुपए जुर्माना देना पड़ता है. जबकि ये अपराध दोहराए जाने पर ग्राहकों को करीब 44 हजार डॉलर यानी तीन लाख से ज्यादा हर्जाना देना पड़ रहा है.
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संसद में ये कानून सेक्स वर्करों के संरक्षण और वेश्यावृत्ति व मानव तस्करी को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से लाए गए थे. लेकिन पांच साल बाद इसके परिणाम कुछ और ही सामने आ रहे हैं. सेक्स वर्क्स का कहना है कि आज उनकी हालत पहले से कई गुना ज्यादा बदतर हो चुकी है.
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साउथ-ईस्टर्न फ्रांस के चैम्बेरी में रहने वाली एक सेक्स वर्कर और एक्टिविस्ट सिबेले लेस्पिरेंस उन हजारों प्रदर्शनकारियों में से एक हैं जिन्होंने पिछले सप्ताह ही तीन बड़े शहरों में इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया. 39 साल की लेस्पिरेंस ने डैचे वैले से बातचीत में बताया कि यहां लोगों सेक्स की मांग काफी घट गई है. सेक्स वर्कर्स की हालत आज से पहले इतनी खराब कभी नहीं थी.
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उन्होंने कहा, 'सेक्स सर्विस पर प्रतिबंध के बाद जो लोग कानून का पालन करते हैं वे इसकी मांग करने से बच रहे हैं और जो लोग कानून का उल्लंघन करने का साहस करते हैं, उनमें से अधिकतर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होते हैं.' ये बिल सेक्स वर्कर के हक में लाया गया था, लेकिन आज सेक्स वर्कर्स और क्लाइंट दोनों अलग-अलग जगह खड़े हैं.
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लेस्पिरेंस ने आगे कहा, 'पेड सेक्स सर्विस के मामले में सारे अधिकार, सारी शक्तियां क्लाइंट की तरफ शिफ्ट हो गई हैं. लोग बेहद कम दाम पर जोखिमभरी सर्विस देने की मांग करने लगे हैं, जिसका हर्जाना सिर्फ सेक्स वर्कर्स को ही चुकाना पड़ रहा है.'
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लेस्पिरेंस ने बताया कि हमारे कई ऐसे लोग हैं जो खुद कहते हैं, 'मैं एक अपराधी हूं और जोखिम उठाने के लिए तैयार हूं. आपको कोशिश करनी चाहिए.' कुछ लोग ये बात जानते हैं कि उनके पास ज्यादा क्लाइंट नहीं हैं और कोविड-19 से स्थिति ज्यादा बदतर हो चुकी है. क्लाइंट से धमकी और हिंसा का भी खतरा रहता है. इसके अलावा, क्लाइंट इंटरनेट पर पर्सनल डेटा पब्लिश करने की भी धमकी देते हैं.
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दिसंबर 2020 में 'साइंसेज पो इंस्टिट्यूट ऑफ पॉलिटिकल स्टडीज इन पेरिस' के शोधकर्ताओं ने इस 'प्रॉस्टिट्यूशन एक्ट' का मूल्यांकन किया था. सेक्स वर्कर्स और क्लाइंट के बीच रिश्ते के आधार पर उन्होंने इसे एक फेलियर लॉ (असफल कानून) माना था. सेक्स वर्कर्स राइट ग्रुप की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2020 तक बीते छह महीनों में 10 से भी ज्यादा सेक्स वर्कर्स की हत्या कर दी गई.
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एक फ्रेंच सीनेटर और महिलाओं के अधिकारों के प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्ष एनिक बिलोन कहती हैं, '2016 के बाद से फ्रांस में सिर्फ 5000 खरीदारों पर जुर्माना लगाया गया है जो कि सेक्स वर्कर्स की अनुमानित संख्या 40,000 से काफी कम है.' बिलोन का तर्क है कि वर्तमान कानून को लागू करने के लिए अधिक वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता है.
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उनका कहना है कि सेक्स वर्कर्स की मदद, संरक्षण और जीने के संसाधन उपलब्ध कराने के लिए पुलिस, सोशल वर्कर्स के साथ-साथ वित्तीय संसाधनों की भी आवश्यकता है. विडंबना ये है कि इस कानून ने सेक्स वर्कर्स को कमजोर बना दिया है. उनके क्लाइंट खत्म हो चुके हैं. इसलिए उन्हें मजबूरन जोखिम उठाना पड़ रहा है और कम पैसों भी क्लाइंट की मनमानी सहनी पड़ रही है.
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