कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों की हालत में सुधार लाने के लिए डॉक्टर बहुत सोच-समझकर दवाइयों का इस्तेमाल कर रहे हैं. खासतौर से जिन लोगों में 'एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम' (ARDS) यानी सांस से जुड़ी तकलीफ है, उन्हें लेकर ज्यादा सावधानी बरती जा रही है. लेकिन एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, 'कोर्टिकोस्टेरॉयड' के इस्तेमाल से ऐसे मरीजों की हालत में सुधार लाकर उनकी जान बचाई जा सकती है.
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'जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन' (JAMA) में इस सप्ताह प्रकाशित तीन अलग-अलग रिपोर्ट्स में SARS-CoV-2 के कारण फैल रहे कोविड-19 को बेहतर समझने में मदद मिली है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि क्या कोरोना के गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों की हालत में स्टेरॉयड से सुधार लाया जा सकता है, जिनमें ARDS के रोगी भी शामिल हैं.
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WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा) प्रायोजित इस विषय पर सात मौजूदा अध्ययन का एक मेटा-विश्लेषण सबसे उल्लेखनीय है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ARDS की समस्या से जूझ रहे कोरोना मरीजों की हालत में कोर्टिकोस्टेरायड के बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं.
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रिपोर्ट के मुताबिक, ARDS के ऐसे कोरोना संक्रमितों की हालत में तेजी से सुधार आया है, जिनके इलाज में कोर्टिकोस्टेरायड का इस्तेमाल किया गया. यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के एक प्रोफेसर क्रिस्टोफर सीमौर ने कहा, 'अमेरिकन जर्नल में प्रकाशित ये रिपोर्ट्स गंभीर हालात में अब तक के सबसे बेहतर वैश्विक सहयोग की झलक है.'
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WHO के इस मेटा-विश्लेषण में सात रैंडमाइज्ड ट्रायल में कुल 1,703 मरीजों को शामिल किया गया था. गंभीर रूप से पीड़ित सभी मरीजों में से 647 लोगों की मौत ट्रायल के दौरान 21 से 30 दिन के भीतर हो गई. मेटा-विश्लेषण में पाया गया कि कोविड-19 के गंभीर मामलों का अनुभव करने वाले रोगियों को कोर्टिकोस्टेरॉयड के साथ इलाज मिलने पर मरने की संभावना लगभग 33 प्रतिशत कम थी.
ट्रायल में शामिल किए गए मरीजों की औसत आयु 60 वर्ष थी, जिसमें 29 फीसद महिलाओं को शामिल किया गया था. ये ट्रायल ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में किए गए थे. कोर्टिकोस्टेरॉयड का इस्तेमाल सभी अलग-अलग ट्रायल्स में किया गया, जिनमें डेक्सामेथासोन, हाइड्रोकोर्टिसोन और मेथीप्रीडिनीसोलोन जैसी दवाएं शामिल थीं.
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