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लाइफस्टाइल न्यूज़

हर्ड इम्यूनिटी या वैक्सीन ना मिली तो मौसमी बीमारी बन जाएगा कोरोना, नई स्टडी से बढ़ी चिंता

वैक्सीन ना मिली तो मौसमी बीमारी बन जाएगा कोरोना
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बीते कई महीनों से दुनियाभर में लोग कोरोना वायरस (Corona virus) से जंग लड़ रहे हैं. महामारी से छुटाकारा पाने के लिए दिन-रात वैक्सीन पर काम किया जा रहा है. कोविड-19 को लेकर वैज्ञानिकों ने अब एक नई खोज की है. 'जर्नल फ्रंटियर इन पब्लिक हेल्थ' में प्रकाशित शोध के मुताबिक, वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में जब लोगों में हर्ड इम्यूनिटी (Herd immunity) विकसित हो जाएगी तो कोरोना एक मौसमी बीमारी बनकर रह जाएगा.

हर्ड इम्यूनिटी या वैक्सीन मिलना जरूरी
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रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा कि मौसम के बदलते ही सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है. उसी तरह कोरोना वायरस भी खांसी, सर्दी और जुकाम फैलाने वाले वायरस की तरह बनकर रह जाएगा. जब तक कोरोना वायरस को मात देने के लिए वैक्सीन (Corona virus vaccine) नहीं तैयार होती है या फिर लोगों में हर्ड इम्यूनिटी विकसित नहीं हो जाती, तब तक कोविड-19 ऐसे ही लोगों में फैलता रहेगा.

एक्सपर्ट ने दी लोगों को चेतावनी
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लेबनान के अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ बेरुत के शोधकर्ता हसन जराकत ने इस अध्ययन में कोरोना वायरस को लेकर लोगों को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस यहीं नहीं ठहरने वाला है. जब तक लोगों में हर्ड इम्यूनिटी (Herd immunity) विकसित नहीं हो जाती है, ये हर साल लोगों को अपनी चपेट में लेता रहेगा.

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कब तक शिकार होंगे लोग?
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उन्होंने कहा, 'लोगों को कोरोना वायरस के साथ रहने की आदत डालनी होगी. इससे बचने के लिए उन्हें घर से बाहर निकलने से पहले हमेशा मास्क लगाने से लेकर बार-बार हाथ धोना और भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचना होगा. वैज्ञानिकों की मानें तो लोगों में इस घातक वायरस के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी के उत्पन्न होने से पहले कोरोना की कई लहरें आ सकती हैं.

किन देशों में पूरे साल फैलेगा?
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यासीन कहते हैं कि रेस्पिरेटरी वायरस टेंपरेट रीजन (शितोषण क्षेत्र) में एक सीज़नल पैटर्न को फॉलो करते हैं. उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि इंफ्लूएंजा या तमाम दूसरे तरह के कोरोना वायरस जो सर्दी-जुकाम का कारण बनते हैं, टेंपरेट रीजन में सिर्फ सर्दी के मौमस में ही फैलते हैं. लेकिन ट्रॉपिकल रीजन (उष्णकटिबंधीय क्षेत्र) में ये पूरे साल फैलते हैं.

कोरोना के ट्रांसमिशन रेट से चिंता बढ़ी
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शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस हवा या सरफेस पर आसानी से सर्वाइव कर सकता है. संक्रमण के प्रति लोगों की संवेदनशीलता और ह्यूमन बिहेवियर, मौसम के कारण टेंपरेचर और ह्यूमिडिट में बदलाव से भी काफी फर्क पड़ता है. यही कारण है कि साल में अलग-अलग समय पर रेस्पिरेटरी वायरस का ट्रांसमिशन बढ़ जाता है. दुर्भाग्यवश फ्लू जैसे सामान्य वायरस की तुलना में कोविड-19 का ट्रांसमिशन रेट काफी ज्यादा है.

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