भारत में बीते कुछ दिनों से कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली हो या महानगर मुंबई हर जगह आईसीयू बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी से हालात बेकाबू हैं. अब वैज्ञानिक देश में अचानक बढ़ते मामलों पर अध्ययन कर रहे हैं. खासतौर से कोरोना के उस नए वेरिएंट के बारे में पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं जिसे इन सबके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है.
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कोरोना के इस नए वेरिएंट का नाम B.1.617 बताया जा रहा है. भारत समेत जर्मनी, बेल्जियम, यूनाइटेड किंगडम, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, सिंगापुर और फिजी जैसे करीब 17 देशों में यह वेरिएंट पाया गया है, जिसके बाद वैश्विक स्तर पर इसे लेकर चिंता जाहिर की गई है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर ये नया वेरिएंट क्या है और कैसे ये कोरोना के सामान्य वेरिएंट से अलग है.
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B.1.617 वेरिएंट में वायरस के बाहरी स्पाइक भाग में दो प्रकार के म्यूटेशन्स पाए जाते हैं, जिन्हें E484Q और L452R कहा जाता है. ये दोनों कोरोना के कई अन्य वेरिएंट्स में भी अलग से होते हैं. लेकिन किसी वेरिएंट में पहली बार इन दोनों म्यूटेशन्स को एक साथ देखा गया है.
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वायरलॉजिस्ट शाहिद जमील ने न्यूज चैनल एबीसी से बताया कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन के खास हिस्से में डबल म्यूटेशन खतरे को बढ़ा सकता है. साथ ही वायरस को इम्यून सिस्टम के टारगेट से बचाने में भी ये मदद करता है. स्पाइक प्रोटीन वायरस का एक ऐसा प्रमुख हिस्सा होता है जिसकी मदद से वो मानव कोशिकाओं में दाखिल होता है. WHO ने इसे कुछ अन्य स्ट्रेन के साथ 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में रजिस्टर किया है, जो यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में पहली बार पाए गए हैं.
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अब सवाल खड़ा होता है कि क्या भारत में कोरोना से तबाही के लिए यही वेरिएंट जिम्मेदार है? ये कहना अभी जल्दबाजी होगी. WHO का कहना है कि इस पर स्टडी की तत्काल आवश्यकता है. इसे समझना अभी जरा मुश्किल है, क्योंकि यूके में पहली बार पाया गया अत्यधिक संक्रामक B.117 वेरिएंट भी भारत के कुछ हिस्सों में पाया गया है. राजधानी दिल्ली में आधा मार्च गुजरने के बाद यूके वेरिएंट के मामले लगभग डबल हो चुके थे.
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हालांकि इस इंडियन वेरिएंट के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए हैं, जो कि भारत का सबसे अधिक कोरोना प्रभावित राज्य है. यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के क्रिस मुर्रे ने बताया कि भारत में इतने कम समय में संक्रमण की ऐसी रफ्तार बताती है कि एक 'एस्केप वेरिएंट' वहां के लोगों पर कितनी तेजी से हावी हो सकता है. उन्होंने कहा कि इसके B.1.617 होने की संभावना बहुत ज्यादा है.
लेकिन भारत में जीन सिक्वेंसिंग डेटा की कमी है और कई मामलों में यूके व साउथ अफ्रीकन वेरिएंट्स भी देखे गए हैं. पिछले कुछ हफ्तों में तमाम बड़े इवेंट्स, त्योहारों और राजनीतिक रैलियों को इन वेरिएंट्स के फैलने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है.
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क्या वैक्सीन से बेअसर होगा वेरिएंट- शुरुआती रिसर्च में कहा जा रहा है कि वैक्सीन इसे रोकने में कामयाब हो सकती है. व्हाइट हाउस के चीफ मेडिकल एडवाइजर एंथनी फाउची ने पिछले हफ्ते एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि लैब स्टडीज के शुरुआती डेटा में पता चला है कि 'भारत बायोटेक' द्वारा निर्मित कोवैक्सीन नए वेरिएंट को बेअसर करने में कारगर है.
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पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) ने बताया कि वो अपने इंटरनेशनल पार्टनर्स के साथ इस पर काम कर रहा है, लेकिन अभी तक इसका कोई साक्ष्य नहीं मिला है कि इंडियन वेरिएंट और दो अन्य वेरिएंट ही इस बीमारी की गंभीरता का असल कारण हैं. इंडियन वैक्सीन नए वेरिएंट को बेअसर कर सकती है, इसके साक्ष्य भी फिलहाल मौजूद नहीं हैं.
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