भारत सहित दुनियाभर में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति गंभीर बनी हुई है. वैक्सीनेशन से ही जानलेवा वायरस के संक्रमण से निजात पाया जा सकता है. दुनिया के कई देश कोरोना वैक्सीन बना रहे हैं, लेकिन फिर भी मांग पूरी नहीं हो पा रही है. लिहाजा ये मांग उठी कि वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए टीका उत्पादन से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट की बाध्यता को हटाया जाना चाहिए. साथ ही कंपनियों को इसकी टेक्नोलॉजी को भी साझा करना चाहिए. लेकिन वैक्सीन क्षेत्र के दिग्गजों को कहना है कि ऐसा करने से इसका उत्पादन प्रभावित होगा. (फाइल फोटो-Getty Images)
वैक्सीन से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स हटाने के समर्थकों की दलील है कि इससे अधिक से अधिक देशों में कंपनियां टीके का उत्पादन कर पाएंगी जिससे गरीब देशों में भी वैक्सीन की उपलब्धता मुमकिन हो पाएगी. (फाइल फोटो-Getty Images)
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा, जिनका देश कोरोना टीकों को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स से मुक्त रखने के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTA) में वकालत की है, ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि "जनता का भला हो और इसके लिए यह किया जाना चाहिए." (फाइल फोटो-Getty Images)
राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा, "हम फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री को कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स की बाधाओं से मुक्त इस तकनीक को सीधे स्थानांतरित करने का आह्वान करते हैं." उन्होंने कहा, "आइए हम एक साथ मिलकर टीका राष्ट्रवाद को चुनौती दें और यह बताएं कि बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा मानव जीवन की कीमत पर नहीं होती है."
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वैक्सीन निर्माताओं ने उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक प्रतिबद्धता व्यक्त की है, लेकिन शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान दिग्गजों का कहना था कि वैक्सीन को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स मुक्त करना और टेक्नोलॉजी को साझा करने के लिए दबाव डालना गलत बात है. (फाइल फोटो-Getty Images)
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स एंड एसोसिएशन (IFPMA) के प्रमुख थॉमस क्यूनी ने कहा कि वैक्सीन को बौद्धिक संपदा अधिकारों से मुक्त करने से टीका अधिक उत्पादन का औजार नहीं है. (फाइल फोटो-Getty Images)
थॉमस क्यूनी ने बताया कि करीब 275 मैनुफैक्टचरिंग डील हुई है. इसमें टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर भी शामिल है. इससे इंडस्ट्री को 1 अरब वैक्सीन उत्पादन में मदद मिलेगी. इस साल के अंत तक वैक्सीन की 10 अरब खुराक उत्पादन का लक्ष्य है. (फाइल फोटो-Getty Images)
हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक इंडस्ट्री के दिग्गजों की दलील है कि वैक्सीन उत्पादन का यह लक्ष्य इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स या व्यापक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर निर्भर नहीं करता है बल्कि असली बाधा और चुनौती व्यापारिक बाधाएं और निर्यात पर प्रतिबंध हैं. वैक्सीन को गंतव्य तक पहुंचना भी एक समस्या है. (फाइल फोटो-Getty Images)
भारतीय वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक में क्वालिटी ऑपरेशंस के प्रमुख और विकासशील देशों के वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स नेटवर्क (DCVMN) के अध्यक्ष साई प्रसाद का कहना है, "वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग सिर्फ पेटेंट तक सीमित नहीं है." साई प्रसाद ने जटिलताओं की तरफ इशारा किया. उन्होंने कहा कि उत्पादकों के पास उपकरण हैं और वो जानते हैं कि गुणवत्ता कैसे आनी है...और वैक्सीन उत्पादन में सुरक्षा मानकों की आवश्यकता है. (फाइल फोटो-Getty Images)
साई प्रसाद ने कहा, 'यह बहुत जटिल दुनिया है. जटिल विज्ञान है. उत्पादन बहुत जटिल है. हमें इसके बारे में सजग रहने की जरूरत है कि किस टेक्नोलॉजी का हस्तातंरण कर रहे हैं. ' (फाइल फोटो-Getty Images)
बायोटेक्नोलॉजी इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन (BIO) की प्रमुख माइकल मैक मरी हीथ ने कहा कि हम ऐसा कुछ नहीं करना चाहते हैं जिससे वैक्सीन को लेकर आत्मविश्वास कम हो. उन्होंने कहा, "हमें यह पहचानने की आवश्यकता है कि दुनिया भर में केवल कुछ ही निर्माता हैं जिनके पास इसकी विशेषज्ञता है, और हमें उन्हें उन सामग्रियों को मुहैया कराने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है ताकि जितनी जल्दी हो सके जरूरत भर का वैक्सीन उत्पादित किया जा सके."
इंडस्ट्री के दिग्गजों का कहना है कि एक बड़ी चुनौती वैक्सीन निर्माण के लिए आवश्यक 100 से अधिक सामग्रियों की वैश्विक कमी की है. हालांकि वैक्सीन के लिए शीशियों, सीरिंज आदि की उपलब्धता के प्रयास किए जा रहे हैं. मॉडर्ना के प्रमुख स्टीफेन बांसेल ने कहा कि अगर इस क्षेत्र में अधिक कंपनियां आती हैं तो दिक्कतें भी अधिक बढ़ेंगी क्योंकि वैक्सीन उत्पादन के लिए कच्चे माल की मांग बढ़ेगी जिसकी पहले से ही कमी है. ऐसे में निर्माण के रफ्तार में और कमी आएगी. (फाइल फोटो-PTI)