आयुष मंत्रालय ने जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में छपी उस रिपोर्ट को भ्रामक बताया है जिसमें गिलोय से लिवर खराब होने की बात कही गई थी. यह रिसर्च 'इंडियन नेशनल एसोसिएशन फॉर दि स्टडी ऑफ दि लिवर' के सहयोग से की गई थी. आयुष मंत्रालाय के मुताबिक, गिलोय से लिवर डैमेज होने की बात महज अफवाह है.
इस स्टडी में स्पष्ट रूप से यह कहा गया था कि टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया यानी गिलोय के सेवन से मुंबई में 6 लोगों के लिवर फेल हुए हैं. अब आयुष मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि स्टडी से जुड़े लोग इस मामले से जुड़ी जानकारियों को सही तरीके से रखने में असफल हुए हैं.
Photo: Getty Images
आयुष मंत्रालय ने कहा कि गिलोय को लिवर के डैमेज से जोड़ना भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के प्रति भ्रम पैदा करेगा. आयुर्वेद में लंबे समय से गिलोय का इस्तेमाल एक जड़ी-बूटी के रूप किया जा रहा है. कई शारीरिक रोगों में गिलोय काफी असरदार साबित हुई है.
Photo: Getty Images
आयुष मंत्रालय ने पाया कि स्टडी के लेखकों ने गिलोय और उसके गुणकारी तत्वों का सही से विश्लेषण नहीं किया है, जो कि रोगियों को दी गई थी. रिसर्च से जुड़े लेखकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे सुनिश्चित करें कि मरीजों को दी गई जड़ी बूटी गिलोय ही थी, कोई अन्य जड़ी बूटी नहीं.
दरअसल, कई स्टडीज इस बात की ओर इशारा करती हैं कि जड़ी-बूटी की सही पहचान ना करने की वजह से भी गलत परिणाम सामने आ सकते हैं. इसी की तरह दिखने वाली टिनोस्पोरा क्रिस्पा जड़ी बूटी से भी इंसान के लिवर पर बुरा असर पड़ सकती है. इसलिए गिलोय की तरह दिखने वाली इस जहरीली बूटी को ध्यान में रखकर रिसर्च से पहले स्टैंडर्ड गाइडलाइन का पालन करते हुए सही पौधे की पहचान की जाना चाहिए थी, जो कि नहीं किया गया है.
आयुष मंत्रालय के मुताबिक, इस रिसर्च में कई खामियां हैं. इसमें ये भी नहीं बताया गया कि मरीजों को इसकी कितनी डोज दी गई थी. या फिर मरीजों ने इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल किसी दूसरी दवा के साथ तो नहीं किया था. इसके अलावा मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी स्टडी में कुछ नहीं बताया गया है. इस तरह बिना किसी मजबूत साक्ष्य के रिसर्च छापना से अफवाहों के दरवाजे खुलेंगे और आयुर्वेद की सदियों पुरानी परंपरा बदनाम होगी.
Photo: Getty Images
इसके वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध हैं कि टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया यानी गिलोय लिवर, नर्व्स के अलावा कई मायनों में शरीर के लिए फायदेमंद है. 'गुडुची' के नाम से इसके फायदे बताने वाली तकरीबन 169 स्टडीज उपलब्ध हैं. जबकि टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया के नाम से उपलब्ध करीब 871 परिणाम इसके फायदे बताते हैं. इसके अलावा सैकड़ों ऐसी स्टडीज हैं जो इसके फायदे और सुरक्षा का दावा करती हैं.
आयुर्वेद में गिलोय का इस्तेमाल दवा के रूप में लंबे समय से किया जाता रहा है. आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि इसमें लिवर को फायदा पहुंचाने वाले गुणकारी तत्व मौजूद हैं. अब तक किसी भी स्टडी या फार्माकोविजिलेंस द्वारा किए गए क्लीनिकल ट्रायल में इसके साइड इफेक्ट नहीं देखे गए हैं.
बता दें कि मुंबई में डॉक्टर्स ने पिछले साल सितंबर से दिसंबर के बीच गिलोय से लिवर डैमेज होने के छह मामले देखे थे. ऐसे ज्यादातर मरीजों में जॉन्डिस (पीलिया) और लीथर्जी (सुस्ती-थकान से जुड़ा विकार) की समस्या देखी गई.
Photo: Getty Images