कोरोना की तीसरी लहर के खौफ में बैठे लोगों पर अब निपाह वायरस का खतरा मंडराने लगा है. केरल के कोझिकोड में इस जानलेवा वायरस से रविवार को 12 साल के एक बच्चे की मौत हो गई थी. बच्चे की मौत के बाद उसके संपर्क में आए लोगों का पता लगाकर उन्हें क्वारन्टीन किया जा रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर निपाह वायरस कैसे फैलता है और इसके लक्षण व इलाज क्या है.
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WHO (विश्व स्वास्थ संगठन) के मुताबिक, निपाह वायरस इंसानों में एसिम्प्टोमैटिक इंफेक्शन से लेकर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन और घातक इन्सेफलाइटिस का खतरा पैदा करता है. यह बीमारी जानवरों से इंसानों के बीच फैलती है. निपाह वायरस चमगादड़ और सूअर से इंसानों में फैल सकता है. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आकर दूसरे लोग भी बीमारी का शिकार हो सकते हैं.
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कैसे फैलता है निपाह वायरस- सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों में कई लोग सूअर के साथ सीधे संपर्क या उनके कॉन्टिमिनेटेड टिशू (दूषित ऊतक) से निपाह वायरस का शिकार हो चुके हैं. इसके अलावा खजूर का कच्चा रस जो चमगादड़ के यूरीन और लार से दूषित हो सकता है, निपाह वायरस के संक्रमण के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इसके अलावा, निपाह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में भी ट्रांसमिट हो सकता है.
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निपाह वायरस के लक्षण- निपाह वायरस एसिम्प्टोमैटिक इंफेक्शन से लेकर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन और घातक इन्सेफलाइटिस तक हो सकता है. इसमें मरीज को बुखार, सिरदर्द, सांस में तकलीफ, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और गले में खराश की शिकायत हो सकती है. इसके अलावा, मरीज को चक्कर, बेहोशी, मूड स्विंग और न्यूरोलॉजिकल से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
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अगर स्थिति ज्यादा गंभीर रही तो इंसान इन्सेफेलाइटिस का भी शिकार हो सकता है और 24 से 48 घंटे में कोमा में जा सकता है. निपाह वायरस के लक्षण किसी भी इंसान में 5 से 14 दिन के भीतर दिख सकते हैं. लेकिन कुछ मामलों में ये 45 दिनों तक खिंच सकता है. ये कंडीशन ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि लक्षण ना दिखने की वजह से रोगी अपने साथ-साथ दूसरों के लिए भी मुसीबत खड़ी कर सकता है.
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निपाह वायरस का कैसे पता लगाएं- निपाह वायरस का शुरुआती स्टेज पर पता लगाना बड़ा मुश्किल है. बीमारी के घातक स्टेज पर मरीज के क्लीनिकल हिस्ट्री से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. RT-PCR टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है, जिसमें बॉडी के फ्लूड से इंफेक्शन की जांच की जाती है. इसके अलावा PCR, सीरम न्यूट्रिलाइजेशन टेस्ट और एलाइजा टेस्ट के जरिए भी वायरस को डिटेक्ट किया जा सकता है.
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क्या है इलाज- निपाह वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है. इसकी ना तो कोई सटीक दवा है औ ना ही कोई वैक्सीन. Ribavirin ड्रग को निपाह वायरस के खिलाफ एक बार के लिए असरदार माना गया है, लेकिन अभी तक इसे सिर्फ लैबोरेट्री में ही टेस्ट किया गया है. इंसानों पर ये दवा कितनी कारगर होगी, इस बारे में स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता है.
कैसे होगा बचाव- WHO का कहना है कि निपाह से सावधानी ही इससे बचाव का एकमात्र तरीका है. इस जानलेवा वायरस से बचने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. चमगादड़ और सूअर के संपर्क में आने से बचें.
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जमीन या पेड़ से गिरे फलों को सीधे ना खाएं. संक्रमित व्यकित के संपर्क में आने से बचें. संक्रमितों के शरीर से निकले लिक्विड या ड्रॉपलेट्स से भी बचें. बीमारी के लक्षण दिखने पर इसकी तुरंत जांच कराएं.
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