केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 6 अक्टूबर को कोरोना वायरस के इलाज के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित प्रोटोकॉल जारी किए थे. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय के इस कदम से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(IMA) नाखुश दिखाई दे रहा है. आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से आयुष और योग पर आधारित Covid-19 की रोकथाम के प्रोटोकॉल पर पुख्ता प्रमाण मांगा है.
आईएमए ने कोरोना के बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले वाले मरीजों का इलाज आयुष और योग के जरिए किए जाने पर डॉक्टर हर्षवर्धन से प्रोटोकॉल को लेकर कई तरह के सवाल पूछे हैं.
आईएमए ने अपने एक बयान में पूछा है कि क्या योग और आयुर्वेद से कोरोना के इलाज पर स्टडी से जुड़े कोई संतोषजनक सुबूत हैं? अगर हैं तो क्या ये सबूत कमजोर हैं, ठीक हैं या मजबूत हैं? ये सारे साक्ष्य पब्लिक डोमेन में होने चाहिए और वैज्ञानिक जांच के लिए उपलब्ध होने चाहिए.' इतना ही नहीं आईएमए ने ये भी बताने को कहा है कि कोरोना का गंभीर रूप हाइपर इम्यून स्टेटस है या इम्यून डेफिशियेंसी स्टेटस.
आईएमए ने पूछा है, 'क्या इस दावे का समर्थन करने वाले और उनका अपना मंत्रालय कोरोना के उपचार के लिए डबल ब्लाइंड कंट्रोल स्टडी के लिए वालंटियर के तौर पर सहयोग करने के लिए तैयार है? सरकार के कितने मंत्री और सहयोगियों ने खुद इन प्रोटोकॉल के तहत अपना इलाज करवाया है? अगर ऐसा है तो कोविड केयर और कंट्रोल आयुष मंत्रालय को सौंपने से उन्हें कौन रोक रहा है?
आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से इन सवालों पर सफाई मांगी है. आईएमए ने कहा, 'अगर ऐसा नहीं है, तो वो एक प्लेसिबो को दवा का नाम देकर देश और मरीजों को धोखा दे रहे हैं.' आईएमए ने इन प्रोटोकॉल के वैज्ञानिक आधार पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से अपने किए दावे का प्रमाण मांगा है.
आपको बता दें कि Covid-19 के आयुर्वेद और योग प्रोटोकॉल में गर्म पानी में चुटकी भर हल्दी और नमक डालकर इससे गरारा करने का सुझाव दिया गया है. त्रिफला को पानी में उबाल कर इस पानी से भी गरारे करने को कहा गया है. इसके अलावा दिन में दो बार नाक में औषधीय तेल या गाय के भी डालने की सलाह दी गई है.
प्रोटोकॉल में दिन में एक बार पानी में अजवाइन, पुदीना या नीलगिरी का तेल डालकर भाप लेने और 6 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लेने की सलाह दी गई है. इसके अलावा अश्वगंधा, च्यवनप्राश, नागरादि कशायं, सितोपलादि चूर्ण और व्योषादि वटि जैसी जड़ी बूटियों और मिश्रणों को भी इस प्रोटोकॉल में शामिल किया गया है.