प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह देने वाली एक टीम ने पिछले महीने बताया था कि आने वाले कुछ दिनों में भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण अपने पीक पर होगा. लेकिन स्थितियां बिगड़ गईं और सलाहकार टीम का यह अनुमान गलत साबित हो गया. बहरहाल, इस टीम का हालिया अनुमान उन वैज्ञानिकों के सुझाव के करीब है जिनका मानना है कि मई मध्य में भारत में कोरोना का पीक होगा और उसके बाद मामले घटने लगेंगे.
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भारत में कोरोना संक्रमण के अब रोजाना चार लाख से ज्यादा मामले सामने आने लगे हैं. गुरुवार को कोरोना के 412,262 नए मामलों की पुष्टि की गई थी जबकि 24 घंटों के दौरान 3,980 लोगों ने जानलेवा वायरस की चपेट में आने से दम तोड़ दिया था. मगर एक्सपर्ट्स का कहना है कि आंकड़ों को कम करके बताया जा रहा है, क्योंकि श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए लाइनें लग रही हैं तो अस्पतालों में संक्रमित मरीजों को बेड और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है. हालांकि इन आंकड़ों के चलते स्थिति का आकलन मुश्किल हो रहा है.
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फिर भी अनुमान महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाने से बच रहे हैं. इसके बजाय कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकारें अपने स्तर पर लॉकडाउन लगा रही हैं या कड़ी बंदिशें लागू कर रही हैं.
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ब्लूमबर्ग ने हैदराबाद में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में प्रोफेसर माथुकुमल्ली विद्यासागर के हवाले से बताया, 'हमारे पुर्वानुमान के मुताबिक अगले कुछ दिनों में भारत में कोरोना का पीक देखने को मिल सकता है.' कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल की तरफ से तैयार किए गए मॉडल का उल्लेख करते हुए प्रोफेसर माथुकुमल्ली विद्यासागर ने बताया, 'मौजूदा अनुमान के मुताबिक जून के अंत तक हमें रोजाना 20 हजार मामले देखने को मिलेंगे. हम इसे जरूरत पड़ने पर संशोधित करेंगे.'
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मनिंद्र अग्रवाल की टीम ने यह गलत भविष्यवाणी की थी कि अप्रैल मध्य तक कोरोना की लहर अपने चरम पर होगी. यह गलत मापदंडों की वजह से हुआ.
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अभी हाल ही में मनिंद्र अग्रवाल ने रॉयटर्स से कहा था कि कोरोना का पीक 3-5 मई के दौरान होगा. इसके बाद उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत में भी कहा कि सात मई को कोरोना का संक्रमण अपने चरम पर होगा.
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फिलहाल, वैज्ञानिक काफी हद तक सहमत हैं कि आने वाले कुछ सप्ताह भारत के लिए मुश्किल होंगे. बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान की एक टीम ने एक गणितीय मॉडल का उपयोग करते हुए बताया कि अगर मौजूदा रुझान जारी रहा तो 11 जून तक 404,000 मौतों का अनुमान है. भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या पहले ही दो लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है.
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पिछले 15 दिनों में भारत में कोरोना के मामले सीधे तीन लाख से ऊपर पहुंच गए. भारत में संक्रमितों की संख्या 2.5 करोड़ के करीब पहुंच गई है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में अचानक आई कोरोना की दूसरी लहर के लिए नए वेरिएंट जिम्मेदार हैं.
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नोएडा के कैलाश अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ अनुराधा मित्तल वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुकी हैं. लेकिन इसके बावजूद वह संक्रमित हो गईं. उन्होंने बताया कि उनके संपर्क में करीब 50 ऐसे डॉक्टर होंगे जिन्हें इसी तरह की दिक्कत हुई है. अनुराधा मित्तल ने बताया कि हम जिन अस्पतालों में काम करते हैं वहां वायरल लोड ज्यादा है और संक्रमण की रफ्तार बढ़ाने में नए म्यूटेंट की भूमिका अधिक है.
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