लॉकडाउन (Lockdown) के बिना कोरोना वायरस (Corona virus) से भारत में बड़ी तबाही होती. अगर लॉकडाउन ना होता तो भारत में जून तक 1.40 करोड़ से ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले हो गए होते. हैदराबाद IIT के प्रोफेसर एम. विद्यासागर ने 'भारत में कोविड-19 (Covid-19) महामारी की प्रगति: लॉकडाउन के प्रभाव और पूर्वानुमान' पर हुई एक स्टडी (Coronavirus research) के बाद ऐसा दावा किया है.
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प्रोफेसर विद्यासागर ने कहा, 'हमारी तैयारियों में कमी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई होती, जिससे कई अतिरिक्त मौतें होतीं.' विद्यासागर की अध्यक्षता में सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने कहा कि सरकार ने अगर लॉकडाउन के लिए मई तक इंतजार किया होता तो जून तक भारत में तकरीबन 50 लाख तक एक्टिव केस बढ़ चुके होते.
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कोरोना वायरस के एक्टिव मामले सितंबर के अंत में लगभग 10 लाख हो चुके थे. इस समय तक भारत महामारी को संभालने के लिए बेहतर स्थिति में था. इसलिए, एक प्रारंभिक और व्यापक लॉकडाउन ने कोविड-19 की एक बड़ी तबाही को आगे धकेल दिया, जिससे उस वक्त सिस्टम पर कोरोना संक्रमितों का कम बोझ पड़ा था. समिति ने कहा कि लॉकडाउन ने ही कोरोना के ग्राफ को नियंत्रित कर रखा था.
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स्टडी के मुताबिक, कोरोना की आंधी को तभी नियंत्रित किया जा सकता है जब हम मास्क, डिसइंफेक्टिंग, टेस्टिंग और क्वारनटीन के अभ्यास को लगातार जारी रखें. स्टडी ये भी कहती है कि अगर सभी प्रोटोकॉल्स को अच्छी तरह से लागू किया जाए तो अगले साल फरवरी के अंत तक इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. ज्यादा से ज्यादा कुछ हल्के लक्षणों वाले मरीज ही रह जाएंगे.
एक्सपर्ट का दावा है कि सुरक्षात्मक मामलों में छूट भारत पर हर महीने 26 लाख मामलों का बोझ डाल सकती है. समिति ने ये भी कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश में मजदूरों के माइग्रेशन का इंफेक्शन की कुल संख्या पर असर काफी कम हुआ है. यह माइग्रेट होने वाले लोगों द्वारा अपनाई गई क्वारनटीन स्ट्रैटेजी की सफलता को इंगित करता है.
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हालंकि समिति की राय है कि कोरोना वायरस के इंफेक्शन को रोकने के लिए जिला या राज्य स्तर पर कोई नया लॉकडाउन नहीं लागू होना चाहिए, जब तक कि स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोई भारी संकट ना हो. बता दें कि भारत में 18 अक्टूबर तक कोरोना के ऐक्टिव केस 7,83,311 हैं. वहीं, कोरोना से एक लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.
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IIT और IIS के वैज्ञानिकों का कहना है कि त्योहारों के मौसम और सर्दियों की वजह से भारत में कोरोना का इंफेक्शन और तेज हो सकता है. इस तरह की गतिविधियों को एक बेहतर सेफ्टी प्रोटोकॉल के साथ संभाला जा सकता है. छोटी जगहों पर भीड़ इकट्ठा करने से बचें. बच्चों और 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का ख्याल रखें. पहले से बीमारी लोग ज्यादा सावधान रहें.
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