देश में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस जैसी कई अन्य बीमारियां तबाही मचा रही हैं. इसके साथ ही महाराष्ट्र को तौकते तूफान की वजह लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. इसके चलते बारिश का मौसम लगातार बना हुआ है. ये तो सभी जानते हैं कि बारिश का मौसम अपने साथ कई अन्य बीमारियों को लेकर आता है. ऐसे में बाल चिकित्सकों और राज्य कोविड- 19 टास्क फोर्स ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से अपील की है कि राज्य में बच्चों को मॉनसून से पहले फ्लू का टीका लगाया जाए. क्योंकि कोरोना और फ्लू के शुरुआती लक्षण कुछ हद तक एक जैसे होते हैं. ऐसे में टास्क फोर्स का मानना है कि इस एहतियाती कदम से संभावित संकट की स्थिति को टालने में मदद मिलेगी.
इन्फ्लूएंजा एक श्वसन वायरल संक्रमण है. इसके लक्षण काफी हद तक कोरोना वायरस के संक्रमण से मिलते-जुलते हैं. इसके सामान्य लक्षण खांसी, सर्दी-जुकाम, हल्का बुखार , बदन दर्द आदि शामिल हैं. इंडिया टुडे टीवी ने इस मुद्दे पर उनके विचार जानने के लिए कई चिकित्सा विशेषज्ञों से बात की.
खारघर स्थित मदरहुड हॉस्पिटल के कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलॉजी के डॉ सुरेश बिराजदार का कहना है कि फ्लू के शॉट 6 महीने और उससे ज्यादा उम्र के सभी बच्चों को दिए जाने चाहिए. फ्लू से निमोनिया और ब्रोंकाइटिस हो सकता है. निमोनिया, फेफड़ों का संक्रमण होता है और ब्रोंकाइटिस में फेफड़ों में वायु ले जाने वाली नलियों में संक्रमण फैल जाता है. इससे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है. इसके साथ ही तेज बुखार की वजह से कभी-कभी दौरे भी पड़ने लगते हैं. फ्लू शॉट लेने के बाद इन बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है. इससे अस्पताल में भर्ती होने की संभावना भी कम हो जाती है. डॉक्टर्स के मुताबिक, जिन बच्चों को श्वसन संबंधी और अस्थमा जैसी समस्याएं हैं, उनको भी इस टीकाकरण से लाभ होगा.
इन्फ्लुएंजा और कोविड का संक्रमण (एक कोशिका पर दो या दो से अधिक वायरस का संक्रमण) ज्यादातर बच्चों में देखा जा रहा है. इस कोविड महामारी के समय में निमोनिया के खतरे से और अस्पताल में भर्ती होने से रोकने के लिए इन्फ्लूएंजा से बचाव बहुत ही महत्वपूर्ण है. इन्फ्लूएंजा का टीका लगवाने पर इंजेक्शन की जगह पर दर्द और 2 दिनों तक हल्का बुखार जैसे कुछ ही सामान्य साइड इफेक्ट्स होते हैं. यह टीका पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है.
डॉक्टर ने सभी बच्चों के माता-पिता को सलाह देते हुए कहा है कि फ्लू के टीके के अलावा, उन्हें बच्चों की हाइजीन पर भी ध्यान देना चाहिए. उनका कहना है कि माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बच्चे समय-समय पर हाथ धोते रहें, हाथों को सैनेटाइज करें और स्वच्छता का पालन करें. इसके साथ ही अपने बच्चों को बीमार लोगों से दूर रखें, उन्हें मास्क पहनना और सुरक्षित दूरी बनाए रखना सिखाएं. बार-बार छूई जाने वाली सतहों जैसे डोर नॉब्स, हैंडल, फर्श और फर्नीचर को डिसइनफेक्ट करें. मानसून नजदीक होने की वजह से बच्चों को उबला हुआ पानी पिलाएं और बाहर का कुछ भी खिलाने से बचें. किसी भी कीमत पर टीकाकरण करवाने में देरी न करें.
मुंबई के भाटिया अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ विनीत समदानी का मानना है कि फ्लू के टीके का एफीकेसी रेट भी 50 से 70 प्रतिशत के बीच है. उनके मुताबिक, फ्लू के खिलाफ वार्षिक टीकाकरण की अपील की जाती है, लेकिन इसका बहुत ही कम पालन किया जाता है. डॉ विनीत कहते हैं बच्चों को फ्लू शॉट दिया जाना चाहिए क्योंकि इसके अलावा हमारे पास बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई अन्य सुरक्षात्मक हथियार नहीं है. इसलिए फ्लू के खिलाफ वैक्सीन लगवाना अत्यंत आवश्यक है.
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय भावे का भी मानना है कि फ्लू का टीका लगवाना एक समझदारी भरा कदम है. उनका कहना है कि फ्लू के टीके लगाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए. 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के लिए, जिन्हें किसी भी जिन्हें कोविड 19 वैक्सीन का टीका नहीं लगाया जा सकता है, वे फ्लू का टीका लगवा सकते हैं. इससे आपके बच्चे का वायरल इन्फ्लुएंजा से बचाव होगा. क्योंकि इन्फ्लुएंजा वायरस बच्चे में बीमारी के ऐसे लक्षण पैदा कर सकता है जो कोविड 19 संक्रमण की तरह दिखाई देते हैं. फ्लू शॉट्स या टीकाकरण द्वारा वायरल इन्फ्लुएंजा और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों के खतरे से बचा जा सकता है. टीकाकरण करवाने से पहले अपने स्थानीय डॉक्टर से सलाह लें.
टास्क फोर्स के सदस्य कहते हैं कि इस कदम से बच्चों को पुरानी बीमारियों और कॉमरेडिडिटीज (मरीज में दो या दो से अधिक बीमारियों या चिकित्सीय स्थितियों की एक साथ उपस्थिति) में मदद मिलेगी, सीएम उद्धव ठाकरे ने टास्क फोर्स से इस बात पर और स्पष्टीकरण मांगा है जैसे कि एसिंप्टोमेटिक कोविड लक्षण वाले बच्चे क्या वैक्सीन ले सकते हैं या नहीं. मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया है कि वह टास्क फोर्स के सदस्यों द्वारा की गई सिफारिश पर गौर करेंगे.
पीडी हिंदुजा अस्पताल के डॉ नितिन शाह सेक्शन हेड, पीडियाट्रिक्स का कहना है कि जो आमतौर पर मानसून का समय जून, जुलाई और अगस्त के महीनों में होता है पर वे अप्रैल के महीने से ही यह टीका उपलब्ध करा रहे हैं. इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन को साउथ इन्फ्लूएंजा वैक्सीन कहा जाता है. यह आमतौर पर मार्च में आती है. डॉ नितिन ने कहा कि ये वैक्सीन इस वर्ष पहले ही आ चुकी है और हम पहले से ही इसका उपयोग कर रहे हैं. इस वैक्सीन से कोविड संक्रमण को नहीं रोका जा सकता है बल्कि ये इन्फ्लूएंजा को रोकने का काम करेगी, जिसके सामान्य लक्षण खांसी, सर्दी और बुखार हैं. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने पिछले तीन साल से, सभी बच्चों को, खासकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को इन्फ्लूएंजा का टीका देने की अपील की है. इस साल जून और जुलाई में मानसून आने के बाद सभी बच्चों को इन्फ्लूएंजा का टीका दिया जाना चाहिए जैसा कि पिछले कुछ वर्षों से किया जा रहा है.