महज 40 साल की उम्र में एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. कूपर हॉस्पिटल के मुताबिक, सिद्धार्थ की मौत हार्ट अटैक से हुई है. 40 साल की उम्र बहुत नाजुक मानी जाती है. इस उम्र से शरीर में हार्मोंस से लेकर मांसपेशियों तक में कई तरह के बदलाव आते हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि 40 के उम्र के बाद कुछ टेस्ट कराने बहुत जरूरी हैं.
ब्लड शुगर- अचानक से हार्ट अटैक के पीछे डायबिटीज को भी मुख्य कारण माना जाता है. डायबिटीज के मरीजों में दिल की बीमारी से मरने का खतरा 2-4 गुना ज्यादा हो जाता है. कई लोग प्री डायबिटिक होते हैं और उन्हें इस बात का पता भी नहीं चलता. ब्लड शुगर जब अचानक बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो ये रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है. इससे धमनियों में फैट बनने लगता है जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है. इससे ना सिर्फ हार्ट अटैक बल्कि किडनी डिसऑर्डर का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए 40 की उम्र के बाद ब्लड शुगर टेस्ट जरूर कराएं.
ब्लड प्रेशर स्क्रीनिंग- 40 साल के बाद नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर चेक कराते रहें. 40-50 के बीच हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन का होना खतरनाक हो जाता है क्योंकि इसका असर सीधे कोरोनरी धमनियों पर पड़ता है. इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. इसीलिए हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी को साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि ब्लड प्रेशर के मरीजों में आमतौर पर कोई लक्षण ऊपर से नहीं दिखाई देते हैं लेकिन ये अचानक से दिल पर असर डालते हैं. इसलिए समय-समय पर ब्लड प्रेशर स्क्रीनिंग कराते रहें.
लिपिड प्रोफाइल या कोलेस्ट्रोल- 40 की उम्र के बाद लिपिड प्रोफाइल या कोलेस्ट्रोल रूटीन टेस्ट के तौर पर लेना चाहिए. ये ब्लड में लिपिड प्रोटीन या कोलेस्ट्रोल की मात्रा को बताता है. कंपलीट कोलेस्ट्रोल टेस्ट में खून में मौजूद चार तरह के लिपिड की जांच की जाती है. बैड कोलेस्ट्रोल के बढ़ने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और एथेरोस्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. बैड कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़ने से धमनियां बंद हो जाती दिल सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता है.
कार्डिएक स्ट्रेस टेस्ट- इसे एक्सरसाइज टॉलरेंस टेस्ट भी कहा जाता है. ये टेस्ट बताता है कि आपके दिल में ब्लड की सप्लाई पूरी तरह से पहुंच रही है या नहीं. कुछ लोगों को एक्सरसाइज करते समय दिल की धड़कन अनियमित हो जाने की समस्या रहती है. इस टेस्ट में दिल की धड़कन की जांच, थकान, हृदय गति, श्वास, ब्लड प्रेशर और एक्सरसाइज के समय हार्ट एक्टिविटी की जांच की जाती है. अगर आपको चेस्ट पेन, कमजोरी या अक्सर सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है तो ये टेस्ट जरूर कराएं.
कोलोनोस्कोपी- अक्सर 40-50 की उम्र के बीच डॉक्टर साल में एक बार कोलोनोस्कोपी कराने की सलाह देते हैं. खासतौर से तब जब आपके फैमिली में कोलोन कैंसर की हिस्ट्री रही हो या फिर आप इंफ्लामेट्री बाउल डिसऑर्डर से जूझ रहे हों. इसे कैंसर के लक्षण का पता शुरुआती स्टेज में ही लगाया जा सकता है.
विटामिन डी टेस्ट- एक उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. खासतौर से महिलाओं में 40 के आस-पास मेनोपोज होने से ये समस्या और बढ़ जाती है. विटामिन डी की कमी से हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द बढ़ जाता है. आजकल युवाओं में भी विटामिन डी, हॉर्मोन की कमी और उससे होने वाली समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. इसलिए 40 की उम्र के बाद आपको हड्डियों में दर्द की शिकायत अक्सर रहती है तो डॉक्टर से सलाह लेकर आप विटामिन डी का टेस्ट करा सकते हैं.
आंखों की जांच- उम्र के साथ-साथ आंखें कमजोर होने लगती हैं. 40 के बाद आंखों की सेहत पर भी ध्यान देने की जरूरत है. अगर आप चश्मा या लेंस लगाते हैं तो समय-समय पर आंखों के डॉक्टर से संपर्क जरूर करते रहें. रेगुलर आई चेकअप से आंखों की परेशानी ज्यादा नहीं बढ़ पाती है और मोतियाबिंद, ग्लूकोमा को पता समय रहते चल जाता है. अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर, या डायबिटीज की बीमारी है जो आंखों की जांच और जरूरी हो जाती है.