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लाइफस्टाइल न्यूज़

Uttarakhand Glacier Disaster: कैसा है उत्तराखंड की नदियों का जाल, 5 प्रयाग और ग्लेशियर का विज्ञान भी समझें

उत्तराखंड की नदियों का कैसा है जाल?
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उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर के टूटने से बड़ी त्रासदी मची है. ग्लेशियर टूटने से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई है और पानी बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस घटना में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, नंद प्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है. नदी का जलस्तर सामान्य से अब 1 मीटर ऊपर है, लेकिन बहाव कम होता जा रहा है. आइए अब आपको उत्तराखंड में विशालकाय ग्लेशियर की रहस्यमयी दुनिया का सच और अलकनंदा के पांच प्रयागों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

Photo: Getty Images

ग्लेशियर से नदियों का निर्माण
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ग्लेशियर से नदियों का निर्माण- उत्तराखंड दो प्रमुख भागों में बंटा हुआ है, जिसके पूर्व में बसे छोटे हिस्से को कुमायु कहते हैं, जबकि दूसरा बड़ा हिस्सा गढ़वाल के नाम से जाना जाता है. उत्तराखंड के गढ़वाल में बड़े-बड़े ग्लेशियर पाए जाते हैं. इन ग्लेशियर से ही कई नदियों का उद्गम होता है.

Photo: Getty Images

कैसे बनते हैं ग्लेशियर
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कैसे बनते हैं ग्लेशियर- ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ टेंपरेचर में कमी आने लगती है. 165 मीटर ऊंचा जाने पर 1 डिग्री टेंपरेचर गिर जाता है. टेंपरेचर कम होने की वजह से हवा में नमी बढ़ जाती है. यही नमी पहाड़ों से टकराकर बर्फ का स्रोत बनाती हैं. जिसे ग्लेशियर कहा जाता है. इन्हीं ग्लेशियर की बर्फ नीचे से पिघलकर नदियों का निर्माण करती हैं.

Photo: Getty Images

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उत्तराखंड के पांच प्रयाग
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उत्तराखंड के पांच प्रयाग- बद्रीनाथ में सतोपंथ नाम की एक जगह है, जहां से विष्णु नदी निकलती है. यहीं पर एक तरफ से आती है धौली नदी. ग्लेशियर टूटने की ये घटना इसी नदी में हुई है. धौली और विष्णु नदी का जहां संगम होता है, उस जगह को विष्णु प्रयाग कहते है. प्रयाग का मतलब मिलन होता है.

Photo: Getty Images

कैसे बदलता है नदियोंं का नाम
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कैसे बदलता है नदियोंं का नाम- अगर एक नदी की गहराई ज्यादा और दूसरी की कम हो तो गहरी नदी के नाम से ही नदी आगे बढ़ती है. लेकिन विष्णु और धौली नदी की गहराई समान होने की वजह से इसका नाम बदलकर अलकनंदा हो जाता है, क्योंकि जब दो नदियों की गहराई समान हो तो उन नदियों का नाम बदल दिया जाता है.

Photo: Getty Images

अलकनंदा के पांच प्रयाग
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अलकनंदा के पांच प्रयाग- अलकनंदा नदी के कुल पांच प्रयाग हैं. पहला प्रयाग विष्णु और धौली नदी के संगम पर बनता है. अलकनंदा जब आगे बढ़ती है तो नंदाकनी नदी इसमें मिलती है. दोनों नदियों के इस मिलन स्थल को नंद प्रयाग कहा जाता है. अलकनंदा जब और आगे बढ़ती है तो पिंडार नदी इसमें मिलती है. दोनों नदियों के इस संगम को कर्ण प्रयाग कहा जाता है.

Photo: Getty Images

भागीरथी-अलकनंदा का संगम
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केदारनाथ से निकलने वाली मंदाकनी नदी भी आगे चलकर अलकनंदा पर समाप्त हो जाती है. अलकनंदा और मंदकनी के इस संगम को रूद्र प्रयाग कहा जाता है. रूद्र प्रयाग से आगे बढ़ते हुए अलकनंदा का मिलन उत्तरकाशी के गोमुख से आने वाली भागीरथी नदी से होता है. उत्तराखंड के लोग मुख्य रूप से इसी नदी को गंगा मानते हैं, जबकि अलकनंदा को इसकी सहायक नदी कहा जाता है.

Photo: Getty Images

फिर ऐसे बनती है गंगा
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फिर ऐसे बनती है गंगा- गोमुख से आ रही भागीरथी बीच में भीलांगना नदी को साथ लेकर आगे बढ़ती है. अलकनंदा और भागीरथी जिस बिंदु पर मिलते हैं, उसे देव प्रयाग कहा जाता है. यहां दोनों नदियों की गहराई समान होने की वजह से अलकनंदा और भागीरथी का नाम बदलकर गंगा हो जाता है.

Photo: Getty Images

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