हर साल 12 अक्टूबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता है. इसका मकसद लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है. आर्थराइटिस यानी गठिया के मरीजों को घुटनों, एड़ियों, पीठ, कलाई या गर्दन के जोड़ों में दर्द होता है. ये बीमारी अक्सर 50 साल के बाद लोगों में होती है लेकिन खराब लाइफस्टाइल की वजह से युवा भी इसकी चपेट में आ रहे है. खाने-पीने की आदत में सुधार कर इससे बचा जा सकता है. अगर आप गठिया के मरीज हैं तो खाने में इन 8 चीजों से दूरी बना लें.
एडेड शुगर- अगर आप गठिया के मरीज हैं तो आपको अपने खाने में मीठे की मात्रा कम करनी होगी, खासतौर से आपको एडेड शुगर कम करना होगा. एडेड शुगर, कैंडी, सोडा, आइसक्रीम और बारबेक्यू सॉस जैसी चीजों में पाया जाता है. 217 लोगों पर की गई एक स्टडी के अनुसार मीठा सोडा और डेसर्ट्स गठिया के लक्षणों को और बढ़ाने का काम करते हैं.
प्रोसेस्ड फूड- फास्ट फूड, अनाज और बेक्ड फूड जैसे प्रोसेस्ड आइटम में रिफाइंड अनाज, एडेड शुगर, प्रिजर्वेटिव्स और ऐसी चीजें पाई जाती हैं जो शरीर में सूजन बढ़ाने का काम करती हैं और इससे गठिया का खतरा बढ़ जाता है. रिसर्च से पता चलता है कि प्रोसेस्ड फूड खाने से मोटापा तेजी से बढ़ता है जो गठिया को भी बढ़ाता है.
ग्लूटेन फूड- गेहूं, जौ और राई में ग्लूटेन प्रोटीन पाया जाता है. कुछ रिसर्च में पता चला है कि चीजें गठिया को बढ़ाने का काम करती हैं जबकि ग्लूटेन फ्री फूड गठिया के लक्षणों को कम करने का काम करती हैं. सीलिएक रोग वाले मरीजों में गठिया होने की ज्यादा संभावना होती है. एक स्टडी के मुताबिक ग्लुटेन फ्री और शाकाहारी खाने वालों में गठिया के मामले बहुत कम पाए गए.
अल्कोहल- शराब गठिया के लक्षणों को और उभारने का काम करता है. गठिया के मरीजों के शराब पीना बिल्कुल मना है. एक स्टडी के अनुसार अल्कोहल की वजह से स्पॉन्डिलाइटिस आर्थराइटिस वाले लोगों में रीढ़ की हड्डी में संरचनात्मक क्षति पहुंचती है.
एजीई की अधिकता वाले फूड आइटम- एजीई का मतलब है एडवांस ग्लाइसेशन एंड प्रोडक्ट (AGE). ये आमतौर पर अधपके मीट में पाए जाते हैं और कई बार उन्हें पकाने के दौरान बनते हैं. हाई प्रोटीन, मेयोनेज़, हाई फैट एनिमल फूड, जिन्हें फ्राई, रोस्ट, ग्रिल या उबाल कर खाया जाता है, एजीई का सबसे बड़ा डाइटरी सोर्स होता है. शरीर में एजीई की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाने पर शरीर में सूजन होने लगता है और इससे आर्थराइटिस की समस्या होने लगती है.
ज्यादा नमक वाला खाना- गठिया वाले लोगों के लिए नमक कम खाना चाहिए. झींगा, डिब्बाबंद सूप, पिज्जा,चीज़, प्रोसेस्ड मीट और कई अन्य प्रोसेस्ड फूड में नमक बहुत ज्यादा पाया जाता है. चूहों पर की गई एक स्टडी में सामान्य से ज्यादा नमक खाने वाले चूहों में गंभीर गठिया पाया गया. वहीं ज्यादा सोडियम वाला खाना भी गठिया के खतरे को बढ़ाता है.
कुछ वेजिटेबल ऑयल- ज्यादा ओमेगा 6 फैट और कम ओमेगा-3 फैट वाली डाइट ओस्टियोआर्थराइटिस और रयूमेटाइड आर्थराइटिस को और बढ़ाने का काम करते हैं. हालांकि ये फैट सेहत के लिए जरूरी हैं लेकिन इनका खराब अनुपात शरीर में सूजन बढ़ाने का काम करता है.
प्रोसेस्ड और रेड मीट- कुछ रिसर्च में ये बात सामने आई है कि रेड और प्रोसेस्ड मीट शरीर में सूजन बढ़ाने का काम करते हैं, जिससे गठिया के लक्षण बढ़ सकते हैं. रेड और प्रोसेस्ड मीट में इंटरल्यूकिन -6, सी रिएक्टिव प्रोटीन और होमोसिस्टीन ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. ये गठिया के मरीजों के लिए खतरनाक होता है. 25,630 लोगों पर की गई एक स्टडी में रेड मीट खाने वाले ज्यादातर लोगों में गठिया की शिकायत पाई गई थी.