पूरी दुनिया में 4 फरवरी को 'वर्ल्ड कैंसर डे' मनाया जाता है. लोगों को कैंसर के खतरे, लक्षण और बचाव के बारे में जानकारी देने के मकसद से ये दिन मनाया जाता है. भारत में लगभग 20 लाख से भी ज्यादा लोग कैंसर की जंग से लड़ रहे हैं. भारतीय पुरुषों में इसका खतरा 9.81 फीसदी है. आइए जानते हैं कि कौन से कैंसर भारतीय पुरुषों को ज्यादा शिकार बना रहे हैं और इसके लक्षण और बचाव क्या हैं.
फेफड़ों का कैंसर- स्मोकिंग की आदत की वजह से भारत में ज्यादातर पुरुषों को फेफड़ों का कैंसर होता है. शरीर के इस हिस्से का कैंसर सबसे ज्यादा घातक होता है. प्रदूषण और तंबाकू चबाने से ये और बढ़ जाता है. 60 साल से ऊपर के लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है.
लक्षण- आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर के शुरूआती लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. कैंसर फैलने के साथ ही खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, गला बैठना, थूक में बदलाव और खून का जमना शुरू होने लगता है. फेफड़ों के कैंसर से बचने के लिए स्मोकिंग बिल्कुल छोड़ दें.
मुंह का कैंसर- भारत में 30 से अधिक फीसदी लोगों को ओरल कैंसर है. इसमें ओरल कैविटी के टिश्यू में कैंसर हो जाता है. भारत में महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ये कैंसर ज्यादा होता है. तंबाकू खाना, शराब का ज्यादा सेवन, एचपीवी संक्रमण, कमजोर इम्यून सिस्टम और पराबैंगनी किरणों के संपर्क में ज्यादा आने से मुंह का कैंसर होता है.
लक्षण- मुंह के कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को मुंह का घाव, गले में खराश, सांसों की बदबू, आवाज में बदलाव, जीभ या जबड़े को हिलाने में मुश्किल, जीभ का सुन्न होना और मुंह में दर्द होने होने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. टॉन्सिल, जीभ, मसूड़ों पर एक लाल या सफेद पैच दिखाई दे सकता है. इसके अलावा गाल या गर्दन में गांठ हो सकती है. ओरल कैंसर से बचने के लिए किसी भी तरह के तंबाकू या सुपारी ना खाएं और शराब के ज्यादा सेवन से बचें.
प्रोस्टेट कैंसर- भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामले कम होते हैं लेकिन पिछले कुछ सालों में इसके मामले बढ़े हैं. यह प्रोस्टेट ग्रंथि के टिश्यू में होता है और धीरे-धीरे यूरिनरी सिस्टम तक फैल जाता है. ये बहुत हद तक अनुवांशिक भी होता है. इसके अलावा ये आपके खान-पान की आदतों पर भी निर्भर करता है.
लक्षण- प्रोस्टेट कैंसर के कोई भी लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते हैं जब तक कि ये एडवांस स्टेज पर ना पहुंच जाए. प्रोस्टेट कैंसर के सामान्य लक्षण यूरीन लीक होना, हड्डियों में दर्द, यूरीन में खून आना और यूरीन करते समय दबाव महसूस होना है. इस कैंसर से बचने के लिए स्मोकिंग छोड़ कर हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं.
कोलोरेक्टल कैंसर- कोलोरेक्टल कैंसर को बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है. ये खासतौर पर 50 साल की उम्र से ज्यादा पुरुषों को होता है. मलाशय और बृहदान्त्र की कोशिकाओं के बहुत ज्यादा बढ़ जाने की वजह से ये कैंसर होता है. स्मोकिंग, आंत में सूजन और बहुत ज्यादा मोटे लोगों में इसका खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा फैमिली हिस्ट्री, बहुत ज्यादा रेड मीट खाने और फाइबर वाला खाना कम खाने से इसका खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. अच्छी बात ये है कि जल्दी पता चल जाने के बाद इस कैंसर का इलाज संभव है.
लक्षण- कोलोरेक्टल कैंसर की शुरूआत में इसके लक्षण पता नहीं चलते हैं. धीरे-धीरे पेट में दर्द, मलाशय से खून आना, पेट साफ ना रहना, वजन में कमी और कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. 50 से ज्यादा साल के लोगों को कोलोरेक्टल कैंसर की जांच करवानी चाहिए. इलाज के 5-10 साल बाद ये फिर से हो सकता है. इससे बचने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, हेल्दी खाना खाएं और शराब और सिगरेट कम पिएं.
लिवर कैंसर- इसमें कैंसर कोशिकाएं लिवर में बनने लगती हैं. इसके अलावा कभी-कभी फेफड़े और कोलोन कैंसर भी लिवर में फैल जाते हैं. आनुवांशिक, क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण, हेपेटाइटिस सी संक्रमण और शराब के अत्यधिक सेवन से इसकी संभावना बढ़ जाती है.
लक्षण- भूख में कमी, पीलिया और पेट दर्द लिवर कैंसर के आम लक्षण हैं. इसके लक्षण बहुत हद तक पैनक्रिएटिक कैंसर के लक्षण से मिलते हैं. इससे बचने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, शराब कम पिएं, हेल्दी खाना खाएं और हेपेटाइटिस बी और सी के संक्रमण से खुद को बचाए रखें.
पैनक्रिएटिक कैंसर- पैनक्रिएटिक यानी अग्नाशय का कैंसर पुरुषों में सबसे ज्यादा जानलेवा होता है. इस कैंसर में बचने की संभावना बहुत कम होती है. क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस, स्मोकिंग, डायबिटीज और फैमिली हिस्ट्री की वजह से इसकी संभावना बढ़ जाती है. हाल ही में एक स्टडी में मसूड़े के रोग और पैनक्रिएटिक कैंसर के बीच में भी संबंध पाया गया है.