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लाइफस्टाइल न्यूज़

World Pneumonia Day: इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज, जानलेवा हो सकता है निमोनिया

वर्ल्ड निमोनिया डे 2020
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12 नवंबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड निमोनिया डे ( World Pneumonia Day) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को निमोनिया के बीमारी के प्रति जागरूक करना है. निमोनिया में  फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं. निमोनिया होने पर वायुकोष में तरल पदार्थ या मवाद भर जाता है जिसकी वजह से कफ, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ के साथ खांसी हो सकती है.  बैक्टीरिया, वायरस और कई तरह के सूक्ष्मजीव निमोनिया का कारण बन सकते हैं.
 

 लंबे समय तक रहता है निमोनिया
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निमोनिया नवजात, छोटे बच्चों, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों, कमजोर इम्यून सिस्टम वाले या फिर पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को आसानी से हो जाता है. अगर वक्त रहते इसका इलाज ना किया गया तो इससे मरीज की जान भी जा सकती है. निमोनिया के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं. ये इस पर भी निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति की उम्र कितनी है और उसके शरीर में संक्रमण कितनी अंदर तक प्रवेश कर गया है. आमतौर पर ये लक्षण सर्दी या फ्लू की तरह होते हैं लेकिन ये शरीर में लंबे समय तक रहते हैं.
 

निमोनिया के लक्षण
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निमोनिया के लक्षण (Pneumonia Symptoms)- निमोनिया होने पर सांस लेने या खांसने पर सीने में दर्द होता है. 65 साल के अधिक उम्र के व्यक्तियों में भ्रम की स्थिति आ सकती है. बलगम के साथ खांसी, थकान, बुखार, पसीना और ठंड लगना ये सभी निमोनिया के लक्षण हैं. इसमें कमजोर इम्यून सिस्टम वालों के शरीर का तापमान सामान्य से कम होने लगता है.
 

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निमोनिया का संक्रमण
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इसके अलावा मरीज को मितली, उल्टी,  दस्त और सांस लेने में कठिनाई भी आने लगती है. नवजात शिशुओं में निमोनिया के संक्रमण का कोई लक्षण जल्दी नजर नहीं आता है. आमतैर पर बच्चों को निमोनिया होने पर उनमें थकान और बुखार होने लगता है साथ ही उन्हें खाना खाने में दिक्कत महसूस होने लगती है.
 

निमोनिया के कारण
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निमोनिया के कारण- कई रोगाणु निमोनिया का कारण बन सकते हैं. इसमें सबसे आम वो बैक्टीरिया और वायरस हैं जिन्हें हम सांस के जरिए लेते हैं. हमारा शरीर आमतौर पर इन रोगाणुओं को फेफड़ों को संक्रमित करने से रोकता है लेकिन कभी-कभी ये रोगाणु इतने मजबूत हो जाते हैं कि हमारे इम्यून सिस्टम पर हावी हो जाते हैं और शरीर को संक्रमित कर देते हैं.
 

किन लोगों को है ज्यादा खतरा
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किन लोगों को है ज्यादा खतरा- निमोनिया का खतरा सबसे ज्यादा 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को, 2 साल से कम उम्र के बच्चों को, पहले से किसी बीमारी या कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को, दिल या फेफड़ो की बीमारी वालों को सबसे ज्यादा होता है.
 

कोई भी हो सकता है संक्रमित
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निमोनिया किसी को भी संक्रमित कर सकता है. बुजुर्गों और बच्चों के अलावा ये उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जो अस्पताल में भर्ती हों. खासतौर से वो लोग जो आईसीयू में वेंटिलेटर मशीन के जरिए सांस ले रहे हो. अगर आपको अस्थमा या दिल संबंधी बीमारी है तो भी आपको निमोनिया की संभावना ज्यादा हो सकती है.
 

धूम्रपान करने वालों को खतरा
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धूम्रपान करने वालों में भी निमोनिया का खतरा ज्यादा होता है. धूम्रपान शरीर के बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाता है, जिसकी वजह से निमोनिया हो जाता है. जिन्हें एड्स हो, जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो, या जिन लोगों की कीमोथेरेपी चल रही हो उन लोगों में भी निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है.
 

शरीर में फैल जाता है संक्रमण
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निमोनिया का बैक्टीरिया जब खून के जरिए फेफड़ों में पहुंच जाता है तो ये शरीर के दूसरे अंगो को भी संक्रमित कर देता है. इसकी वजह से आर्गन फेल भी हो सकता है. गंभीर होने पर आपको सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है और आपको अस्पताल में भर्ती कराने की स्थिति आ सकती है. 
 

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कब करें डॉक्टर से संपर्क
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कब करें डॉक्टर से संपर्क- अगर आपको सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही हो, सीने में दर्द हो, बुखार 102 F (39 C) से ज्यादा हो, लगातार खांसी आ रही हो और आपको कफ और बलगम लग रहा हो तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें. आमतौर पर इसे एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक किया जा सकता है लेकिन गंभीर स्थिति में मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ जाती है और कभी-कभी संक्रमण को बाहर निकालने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ती है.
 

कैसे करें बचाव
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कैसे करें बचाव- निमोनिया और फ्लू से बचाव के लिए कुछ वैक्सीन उपलब्ध हैं. अपने डॉक्टर से बात कर इसे लगवा लें, खासतौर से बच्चों को निमोनिया का टीका जरूर लगवाएं. साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें. अपने हाथों को समय-समय पर धोते रहें और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहें. स्मोकिंग ना करें, ये आपके फेफड़ों को और खराब करता है. इसके अलावा इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएं, पर्याप्त नींद लें, नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ आहार लें.
 

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