जैसे-जैसे पुरुष 30 की उम्र पार करते हैं, उनके शरीर में कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं जो ओवरऑल हेल्थ और फिटनेस को प्रभावित कर सकते हैं. मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम होने लगता है और हार्ट डिजीज, डायबिटीज और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी क्रॉनिक डिजीज का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में एक बैलेंस डाइट, नियमित एक्सरसाइज और एक हेल्दी लाइफस्टाइल जरूरी मानी जाती है.
30 के बाद डाइट के साथ ही कुछ सप्लीमेंट्स का सेवन करना भी काफी हेल्दी माना जाता है. हम आपको कुछ ऐसे नेचुरल सप्लीमेंट्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें पुरुषों को 30 के बाद रोज लेना चाहिए. इन सप्लीमेंट्स को डाइट में शामिल करने से एनर्जी लेवल बढ़ता है, हार्ट हेल्थ में सुधार होता है और मांसपेशियां मजबूत बनती हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में-
ओमेगा- 3 फैटी एसिड- मछली के तेल और अलसी में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड हार्ट हेल्थ और ब्रेन हेल्थ के लिए फायदेमंद माने जाते हैं. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के अनुसार, ओमेगा-3 इंफ्लेमेशन को कम करने, बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने और पुरुषों की उम्र बढ़ने के साथ मस्तिष्क के कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता है. जर्नल ऑफ़ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में छपी एक स्टडी में पाया गया कि ओमेगा-3 के नियमित सेवन से हार्ट डिजीज का खतरा कम हो सकता है.
विटामिन डी- विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाए रखने, टेस्टोस्टेरोन के लेवल को बढ़ाने और मूड को बेहतर बनाने के लिए जरूरी होता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) का कहना है कि पुरुषों में विटामिन डी की कमी आम है, खासकर उन लोगों में जो सूरज की रोशनी में कम रहते हैं. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक स्टडी से पता चलता है कि पर्याप्त विटामिन डी का लेवल मांसपेशियों की ताकत बढ़ा सकता है, इंफ्लेमेशन को कम कर सकता है और ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम कर सकता है. 30 साल से ज्यादा उम्र के पुरुषों को विटामिन डी सप्लीमेंट को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए.
मैग्नीशियम- मैग्नीशियम एक जरूरी मिनरल है जो शरीर में 300 से ज्यादा बायोकेमिकल रिएक्शन का सपोर्ट करता है, जिसमें मांसपेशियों का काम, नर्वस ट्रांसमिशन और एनर्जी प्रोडक्शन शामिल है. मैग्नीशियम की कमी से 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में हाई ब्लड प्रेशर, थकान और मांसपेशियों में ऐंठन का खतरा बढ़ सकता है.
जिंक- जिंक इम्यून फंक्शन, घाव भरने और टेस्टोस्टेरोन प्रोडक्शन का सपोर्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, जिन लोगों की बॉडी में जिंक का लेवल कम होता है ऐसे पुरुषों में लिबिडो कम होना,स्पर्म क्वालिटी में गिरावट जैसे समस्याएं देखने को मिलती हैं. जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में एक स्टडी में बताया गया है कि जिंक सप्लीमेंट्स टेस्टोस्टेरोन के लेवल को बढ़ाने और प्रजनन में सुधार करने में मदद करते हैं.
अश्वगंधा- अश्वगंधा, आयुर्वेद में इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटी है, जो स्ट्रेस को कम करने,एनर्जी लेवल को बेहतर बनाने और टेस्टोस्टेरोन प्रोडक्शन को बढ़ाने की अपनी क्षमता के लिए जानी जाती है. इंडियन जर्नल ऑफ साइकोलॉजिकल मेडिसिन की स्टडी में पाया गया कि अश्वगंधा सप्लीमेंटेशन कोर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) को काफी कम करता है और ओवरऑल हेल्थ में सुधार करता है.