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30 के बाद हर भारतीय के लिए ये 3 टेस्ट हैं जरूरी, डॉक्टर नरेश त्रेहान ने बताया 'हेल्थ होरोस्कोप' निकालने का तरीका

जाने-माने हार्ट स्पेशलिस्ट नरेश त्रेहान ने एजेंडा आजतक के 'दिल, जिगर, जान' सेशन में बताया कि 30 साल की उम्र के बाद हर भारतीय को 3 टेस्ट जरूर करा लेने चाहिए जिनके जरिए वो अपना हेल्थ होरोस्कोप निकाल सकते हैं और पता कर सकते हैं कि उन्हें हार्ट डिसीस और डायबिटीज जैसी बीमारियां होने का कितना खतरा है.

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एजेंडा आजतक के दूसरे दिन, शनिवार को 'दिल, जिगर, जान' सेशन में मेदांता अस्पताल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. नरेश त्रेहान और लिवर और बाइलरी साइंसेज संस्थान के निदेशक डॉ. एस के सरीन शामिल हुए. इस दौरान डॉक्टर नरेश त्रेहान ने बताया कि दिल, लिवर और पूरे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हर व्यक्ति को 30 साल की उम्र के बाद 3 टेस्ट जरूर करा लेने चाहिए.

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30 के बाद 3 टेस्ट हैं जरूरी

डॉ. नरेश त्रेहान के अनुसार, हमारे शरीर में बहुत सारी हिडेन डिसीस पल रही होती हैं जिनका समय पर पता लगाना जरूरी है. शुगर बढ़ रहा है, वॉल्व में दिक्कत है, हार्ट में छोटा कोई होल है. इन सबका पता तब लगता है जब सांस फूलती है लेकिन इसका इंतजार नहीं करना चाहिए. पूरे देश को 30 की उम्र के बाद 3 टेस्ट जरूर करा लेने चाहिए जो दिल के रोग, डायबिटीज और कैंसर जीन्स से जुड़े होते हैं. 

कैसे निकालते हैं हेल्थ होरोस्कोप

वो कहते हैं, यंग एज में हार्ट डिसीस इसलिए हो रही हैं क्योंकि भारतीयों के जीन्स में ये बीमारी होने की अधिक संभावना है, और अगर जिन्हें डायबिटीज है तो उन्हें डबल खतरा है. आज के दौर में साइंस इस जगह पहुंच चुकी है कि हम एक व्यक्ति की पूरी जीनोम सीक्वसिंग कर सकते हैं जिसमें तीन तरीके के जीन्स पहले से ही आइडेंटिफाई हो चुके हैं. एक है कार्डिएक हेल्थ का, उससे पता लगता है कि किसको propensity यानी हार्ट डिसीस होना का ज्यादा खतरा है. इससे आप अपनी हेल्थ लाइफ को आगे मॉनिटर कर सकते हो.' 

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वो आगे कहते हैं, 'डायबिटीज में भी ऐसा होता है और तीसरा है कि कुछ कैंसर के जीन्स भी पहले से आइटेंटिफाई हो गए हैं तो आपको ये भी पता लग सकता है कि आपको कितना खतरा है. यह बात सही है कि अगर माता-पिता को हार्ट डिसीस है तो उनके बच्चों को डब चांस है. अगर माता-पिता को डायबिटीज है तो बच्चों को डबल चांस है.

डॉक्टर त्रेहान ने बताया कि अगर किसी को जानना है कि मुझे हार्ट अटैक होगा या नहीं तो आज उसके लिए तीन चीजों को मिलाकर हम एक प्रेस्क्रिप्शन लिख सकते हैं कि जीनोम सीक्विंसिंग जिसमें जीन्स का टेस्ट और फीनोम सीक्विंग जिसमें लाइफस्टाइल, खानपान, आप कहां रहते हैं जैसे प्रदूषण वाली जगह पर जो लोगों में हार्ट डिसीस का बड़ा फैक्टर है. इसके अलावा तीसरा जो हम डिजिटल मेजरमेंट करते हैं स्ट्रेस का टेस्ट किया या echo टेस्ट (echocardiogram) किया. इन तीनों को मिलाकर हम एक एल्गोरिदम में डालते हैं तो उस आधार पर हम उस व्यक्ति का हेल्थ होरोस्कोप यानी हेल्थ की कुंडली निकाल सकते हैं.'

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