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इस चीज का ज्यादा मात्रा में सेवन करने वालों में नहीं पाया जाता अर्थराइटिस का खतरा!

अर्थराइटिस की समस्या का सामना अधिकतर बुजुर्गों को करना पड़ता है लेकिन अब युवा वर्ग के लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, अर्थराइटिस होने पर मरीजों को घुटनों, एड़ियों, पीठ, कलाई या गर्दन के जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है.

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photo credit: getty images
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है
  • चाय की पत्तियों में पॉलीफेनोल्स और एंटीऑक्सिडेंट शामिल होते हैं

अर्थराइटिस हड्डियों में होने वाली एक समस्या है. इसका सामना ज्यादातर बुजुर्गों को करना पड़ता है. अर्थराइटिस होने पर एक या दोनों ही घुटनों में सूजन आ सकती है. अर्थराइटिस का मुख्य लक्षण घुटनों में दर्द और अकड़न है. उम्र के साथ यह समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है. आमतौर पर मरीजों को दो तरह के अर्थराइटिस का सामना करना पड़ता है- ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड अर्थराइटिस. 

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अर्थराइटिस की समस्या होने पर व्यक्ति को चलते-फिरते समय काफी दर्द का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा बैठने और खड़े होने पर दिक्कत होती है. माना जाता है कि अर्थराइटिस के दर्द से छुटकारा पाने के लिए चाय काफी मदद कर सकती है. दुनियाभर के सभी देशों में चाय का सेवन किया जाता है. हालांकि इसे बनाने का सबका अपना अलग तरीका होता है. चाय में कई ऐसी प्रॉपर्टीज पाई जाती है जो हमारे इम्यून सिस्टम को प्रभावित करती हैं. 

बता दें कि रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है. जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है. इसकी वजह से शरीर के अंगों में बहुत ज्यादा सूजन पैदा हो जाती है  जिससे जोड़ों में दर्द और सूजन होने लगती है. अगर सूजन लंबे समय तक रहती है तो इससे जोड़ों को नुकसान भी पहुंच सकता है.  

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चाहे गर्म हो या ठंडी, चाय में पानी की मात्रा अधिक पाई जाती है और घर पर बनने वाली चाय में तो कैलोरी, सोडियम, प्रिजर्वेटिव, स्वीटनर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन या फैट नहीं पाया जाता है. 

जब आप चाय की पत्तियों को गर्म पानी मे डालते हैं तो खुशबू के माध्यम से चाय के फायदे आपके शरीर में जाते हैं. चाय की पत्तियों में पॉलीफेनोल्स और  एंटीऑक्सिडेंट शामिल होते हैं. रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या से आराम पहुंचाने के साथ ही चाय में मौजूद कैफीन की मात्रा से हार्ट संबंधित बीमारियों जैसे कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज के खतरे से भी छुटकारा पाया जा सकता है.  

चाय के सेवन से अर्थराइटिस की समस्या ठीक हो सकती है या नहीं इस पर और भी कई शोध किए गए हैं जिन्हें बीएमसी (BMC) में प्रकाशित किया गया. इस स्टडी में 2237 रूमेटाइड अर्थराइटिस के मरीजों का डाटा इकट्ठा किया गया. स्टडी में सभी लोगों को अलग-अलग कैटेगरी में रखा. जिसमें चाय का सेवन कभी-कभी करने वाले, रोजाना करने वाले और बहुत अधिक करने वाले लोग शामिल थे. 

स्टडी में पाया गया कि 57.3 परसेंट लोग कभी-कभार चाय पीने वाले थे जबकि 19.7 परसेंट लोग अत्यधिक मात्रा में चाय का सेवन करने वाले पाए गए. स्टडी में यह भी पाया गया कि कभी-कभी चाय पीने वालों की तुलना में अत्यधिक मात्रा में चाय का सेवन करने वाले लोगों में रूमेटाइड अर्थराइटिस का खतरा कम होता है. स्टडी के अंत में बताया गया कि अर्थराइटिस से होने वाली तकलीफ को चाय की मदद से कम किया जा सकता है. स्टडी में यह भी पाया गया कि जो लोग एक दिन में 2 कप से ज्यादा चाय का सेवन करते हैं उनमें रूमेटाइड अर्थराइटिस होने का खतरा कम होता है. जबकि कभी-कभी चाय का सेवन करने वालों में यह खतरा ज्यादा होता है.

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हालांकि इस बात के अभी तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए हैं कि चाय के सेवन से रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या ठीक हो सकती है. इस पर अभी भी चर्चाएं चल रही है.

 

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