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Ayurvedic Rituals: सुबह उठते ही हर किसी को फॉलो करने चाहिए आयुर्वेद के ये 4 नियम

सुबह उठते ही आयुर्वेद से जुड़े कुछ नियमों को फॉलो करने से आपका शरीर अंदर से डिटॉक्सीफाई होता है, इम्यूनिटी बूस्ट होती है और एक लंबा और हेल्दी जीवन जीने के आपके चांसेस बढ़ जाते हैं. ये नियम आपकी बॉडी के नेचुरल रिदम को मेंटेन रखने में मदद करते हैं. आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में विस्तार से-

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आयुर्वेद में कई ऐसे नियमों के बारे में बताया गया है जिन्हें आपको सुबह उठते ही फॉलो करना चाहिए. इन नियमों को रोजाना फॉलो करने से आपकी सेहत में सुधार होता है. सुबह उठते ही आयुर्वेद से जुड़े कुछ नियमों को फॉलो करने से आपका शरीर अंदर से डिटॉक्सीफाई होता है, इम्यूनिटी बूस्ट होती है और एक लंबा और हेल्दी जीवन जीने के आपके चांसेस बढ़ जाते हैं. ये नियम आपकी बॉडी के नेचुरल रिदम को मेंटेन रखने में मदद करते हैं. आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में विस्तार से-

सही समय पर उठना- आयुर्वेद के मुताबिक, हम सभी को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए जो कि सुबह से 4.30 से 6 बजे का समय होता है. से दिन का सबसे शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक रूप से ऊर्जावान समय माना जाता है. 2012 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, सुबह जल्दी उठने से आपकी बॉडी की एनर्जी बैलेंस होती है. जल्दी उठने से शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने, मानसिक स्पष्टता में सुधार करने और शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक को नेचुरल दुनिया की रिदम के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिलती है.

चेहरे और आंखों को ठंडे पानी से धोएं- सुबह उठते ही अपने चेहरे और आँखों को ठंडे पानी से धोना विषाक्त पदार्थों को साफ करने और  इंद्रियों को  तरोताजा करने के लिए जरूरी है. आयुर्वेद में आंखों की रोशनी बढ़ाने और ड्राइनेस से बचने के लिए हर्बल पानी (जैसे गुलाब या त्रिफला जल) से आंखों को साफ करने की सलाह दी जाती है. साथ ही, चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे मारने से सतर्कता बढ़ती रहे और नर्वस सिस्टम की उत्तेजना बढ़ती है.

जीभ को साफ करना जरूरी- जीभ को साफ करना आपकी मॉर्निंग रूटीन का एक जरूरी हिस्सा होना चाहिए. आयुर्वेद में, ऐसा माना जाता है कि यह रात भर मुंह में जमा होने वाले विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद करता है. तांबे या स्टील के टंग क्लीनर से जीभ साफ करने से  बैक्टीरिया दूर होते हैं, पाचन में सुधार होता है और टेस्ट बड्स डेवलप होते हैं. जीभ की सफाई करने से मुंह की दुर्गंध से छुटकारा मिलता है.

प्राणायाम की डालें आदत- प्राणायाम, सांस को रोकने का अभ्यास.  आपकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए बेहद जरूरी माना जाता है. इसे करने से ब्रेन में ऑक्सीजन का सर्कुलेशन सही से हो पाता है. फेफड़ों को डिटॉक्सीफाई करने और तनाव कम करने में मदद मिलती है.  2014 में की गई एक स्टडी के अनुसार, योग फेफड़ों के कार्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, जिससे सांस से जुड़ी बीमारियों से बचने में मदद मिल सकती है.

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