बर्थमार्क्स, ब्यूटी स्पॉट्स या मस्से आप इसे जो कुछ भी कहें, एक बार निकलने के बाद यह पूरी लाइफ ऐसे के ऐसे ही रहते हैं. कई बार लोगों की पहचान इन्हीं मस्सों से की जाती है. शरीर के कुछ हिस्सों में इन मस्सों का होना घातक साबित नहीं होता. लेकिन कभी-कभी ये मस्से कैंसर का कारण भी बन सकते हैं और काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप अपने शरीर पर बनने वाले इन मस्सों पर खास ध्यान दें और इनके कलर, शेप और साइज को ट्रैक करते रहें.
तकनीकी तौर पर बात करें तो, इन कैंसरयुक्त मस्सों को मेलेनोमा या एक प्रकार के स्किन कैंसर के रूप में जाना जाता है जो स्किन के पिगमेंट प्रोड्यूसिंग सेल्स में विकसित होते है जिसे मेलानोसाइट्स कहा जाता है. हालांकि, सभी तरह के स्किन कैंसर के मामलों में मेलेनोमा के मामले सिर्फ एक फीसदी ही हैं. यह सबसे खतरनाक टाइप का स्किन कैंसर होता है.
इसका समय पर पता चलने से इसका इलाज किया जा सकता है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी स्किन को लेकर सतर्क रहें और समय-समय पर स्किन को चेक करें.
कैंसरयुक्त मस्सों का एक कॉमन रिस्क फैक्टर यूवी रेडिएशन के बहुत अधिक संपर्क में आना है. हालांकि, इससे बचने के कई तरीके हैं जैसे धूप के संपर्क में कम आना, फुल कपड़े पहनना, घर से बाहर निकलते समय सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करना आदि. आइए जानते हैं इन कैंसरयुक्त मस्सों के लक्षण और कारणों के बारे में विस्तार से-
मेलेनोमा के संकेत और लक्षण
शुरुआती समय में किसी कैंसरसुक्त मस्सों का पता लगाना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में जरूरी है लोग समय-समय पर अपनी स्किन का चेकअप करवाएं. अगर आपको अपनी स्किन पर कोई नया मस्सा नजर आता है या पहले से मौजूद मस्से में कोई परिवर्तन दिखता है तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं.
मेलेनोमा रिसर्च फाउंडेशन ने कुछ लक्षणों की लिस्ट तैयार की है तो अगर आपको भी इस तरह के कोई लक्षण नजर आते हैं तो बिना देरी के डॉक्टर को जरूर दिखाएं. ये हैं लक्षण-
स्किन में किसी भी तरह का कोई बदलाव, जैसे स्किन पर कोई नया मस्सा निकलना या पहले से मौजूद मस्से के कलर, शेप और साइज में बदलाव. स्किन में मौजूद किसी मस्से में दर्द होना. मस्से में खुलजी लगना और खून निकलना. स्किन में मौजूद किसी मस्से का शाइनी, और वैक्सी नजर आना. स्किन पर फ्लैट रेड स्पॉट दिखना जो रफ और ड्राई हो. पैर या हाथ के नाखून में काली या डार्क कलर की लाइन बनना.
कुछ ऐसे तरीके हैं जिसके जरिए आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपके शरीर में मौजूद मस्सा नॉर्मल है या कैंसरयुक्त-
मस्से का एक साइड दूसरी साइड से अलग होना
मस्से का बॉर्डर स्मूद होने की बजाय नुकीला या खुरदुरा होना.
मस्से का रंग ब्राउन, ब्लैक सफेद या नीला दिखना.
मस्से का साइज 6 मिलीमीटर से ज्यादा होना.
मस्से का शेप समय के साथ साथ बदलते रहना.
मेलेनोमा के कारण
मेलेनोमा तब होता है जब मेलानिन प्रोड्यूसिंग सेल्स मिलानोसाइट्स में कुछ गड़बड़ होती है.
आमतौर पर स्किन सेल्स सुव्यवस्थित और नियंत्रित तरीके से डेवलप होते हैं. स्किन की सतह पर जब पुराने सेल्स मरते हैं तो नए सेल्स बनते हैं. लेकिन जब कुछ सेल्स का डीएनए डैमेज हो जाता है तो नए सेल्स अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगते हैं जिससे कैंसरयुक्त सेल्स का निर्माण होता है.
डॉक्टर्स का मानना है कि बहुत अधिक यूवी किरणों और रेडिएशन के संपर्क में आने से मेलेनोमा हो सकता है.
सभी तरह के कैंसरयुक्त मस्से यूवी किरणों के कारण नहीं होते. यूवी किरणों के अलावा भी कई ऐसे करण है जिससे कैंसरयुक्त मस्सों का निर्माण होता है. ऐसे में आइए जानते हैं उन सभी फैक्टर्स के बारे में जिससे मेलेनोमा का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.
फेयरी स्किन- डार्क स्किन वालों की तुलना में फेयरी स्किन वाले लोगों में मेलेनोमा का खतरा सबसे ज्यादा पाया जाता है क्योंकि उनकी स्किन में पिगमेंट काफी कम होता है जिस कारण यूवी रेडिएशन से स्किन का प्रोटेक्शन नहीं हो पाता. लेकिन डार्क स्किन के लोगों समेत ब्लैक लोगों में भी मेलेनोमा का खतरा पाया जाता है.
सनबर्न की हिस्ट्री- अगर आपको एक या उससे ज्यादा बार भयंकर सनबर्न की समस्या हो चुकी है तो इससे भी मेलेनोमा का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.
यूवी किरणों के संपर्क में काफी ज्यादा आना- अगर आप बहुत ज्यादा यूवी किरणों के संपर्क में रहते हैं तो इससे भी मेलेनोमा समेत स्किन कैंसर का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.
फैमिली हिस्ट्री- अगर आपके किसी बेहद करीबी जैसे माता, पिता या भाई-बहन को मेलेनोमा हो चुका है तो आपके चांसेस भी काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं.
उम्र- उम्र बढ़ने के साथ ही मेलेनोमा का खतरा बढ़ने लगता है. बुजुर्गों में मेलेनोमा का खतरा काफी ज्यादा पाया जाता है. अक्सर 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में मेलेनोमा के लक्षण पाए जाते हैं.
कैंसरयुक्त मस्सों से बचाव के तरीके
कैंसरयुक्त मस्सों से बचाव के कोई तरीके नहीं हैं. फेयर स्किन, और फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों में इस कैंसर का खतरा काफी ज्यादा पाया जाता है.
कुछ बातों का खास ख्याल रखकर कैंसरयुक्त मस्सों के खतरे को कम किया जा सकता है.
सबसे जरूरी है कि यूवी किरणों के संपर्क में कम से कम जाएं. अगर आपको जाना भी है तो इसके लिए मार्केट में आने वाले खास चश्मे, लोशन का इस्तेमाल करें, साथ ही पूरे कपड़े पहनें.
लोगों को समय-समय पर स्किन चेकअप करवाना चाहिए. अगर आपको अपने शरीर में कोई नया मस्सा या पुराने मस्से में कोई बदलाव नजर आता है तो डॉक्टर तको इसके बारे में जरूर बताएं.
मेलेनोमा की फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों को खासतौर पर समय-समय पर अपनी जांच जरूर करानी चाहिए.