गर्मियों के मौसम में खुद को हाइड्रेटेड रखना काफी जरूरी होता है. गर्मियों में पसीना ज्यादा आने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है जिससे हीट स्ट्रोक और लू लगने की समस्या का काफी ज्यादा सामना करना पड़ता है. आप हाइड्रेटेड हैं या नहीं, इसे जानने का सबसे अच्छा तरीका है यूरिन का कलर. यूरिन का कलर डार्क होने का मतलब होता है कि आप डिहाइड्रेटेड हैं. वहीं, यूरिन का कलर जितना हल्का होता है, उसका मतलब माना जाता है कि आप हाइड्रेटेड हैं.
आमतौर पर यूरिन का कलर बिल्कुल क्लियर होने पर माना जाता है कि आप पूरी तरह से हाईड्रेटेड हैं, लेकिन हाल ही में एक हेल्थ एक्सपर्ट ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है. इनका मानना है कि यूरिन का कलर क्लियर होना सेहत के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है.
डॉ मार्गरेट मेकार्टनी ने कहा कि यूरिन के कलर से यह स्पष्ट पता नहीं चलता कि आप हाईड्रेटेड हैं या नहीं. टेलिग्राफ को बताते हुए उन्होंने कहा कि बहुत से ऐसी हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन्स हैं जिनका मानना है कि यूरिन के कलर और हाइड्रेशन के बीच एक लिंक है. लेकिन यह पूरी तरह से गलत है.
एक स्वस्थ व्यक्ति में, यूरिन का पीला कलर इस बात का संकेत होता है कि आपकी किडनी सही तरीके से काम कर रही हैं. वहीं, अगर आपके यूरिन का कलर बिल्कुल क्लियर होता है तो इसका मतलब है कि आप जरूरत से ज्यादा फ्लूइड का सेवन कर रहे हैं जिसकी आपकी बॉडी को कोई जरूरत नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है और उस हिसाब से पानी की जरूरत भी सभी के शरीर को अलग-अलग तरह से होती है. साथ ही आपके शरीर को पानी की कितनी जरूरत है, वह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप किस तरह का काम कर रहे हैं. डॉ मार्गरेट मेकार्टनी ने बताया कि यूरिन पानी और कई तरह के केमिकल्स से मिलकर बना होता है.
पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में यूरोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ जॉन एस यंग ने कहा कि आपके यूरिन का कलर इस बात पर निर्भर करता है कि आप फ्लूइड का कब और कितनी मात्रा में सेवन करते हैं. उन्होंने बताया कि यूरिन का हल्का पीला रंग परफेक्ट होता है. जब आपके यूरिन का कलर काफी ज्यादा डार्क होता है तो इसका मतलब है कि आप उचित मात्रा में पानी का सेवन नहीं कर रहे हैं.
डिहाईड्रेशन के कारण कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे थकान, सिरदर्द और उल्टी. आमतौर पर बुजुर्ग लोगों में इस तरह की समस्या का सामना ज्यादा करना पड़ता है. डिहाईड्रेशन होने पर व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. एक व्यक्ति के शरीर के सभी अंगों को सही से काम करने के लिए रोजाना 6 से 8 गिलास पानी पीने की जरूरत होती है. डॉ यंग ने कहा कि कई बार दवाइयों के सेवन के चलते भी यूरिन का कलर डार्क हो सकता है.
उन्होंने बताया कि यूरिन में इंफेक्शन, किडनी और ब्लैडर में स्टोन, कैंसर और ब्लैडर सिंड्रोम होने पर यूरिन का कलर लाल और भूरा नजर आता है. वहीं, यूरिन का रंग अगर ऑरेंज दिखता है तो यह लिवर डिजीज की ओर इशारा करता है.
क्या होता है क्लियर यूरिन
यूरिन का पानी की तरह क्लियर होना यह इशारा करता है कि आप जरूरत से ज्यादा पानी का सेवन कर रहे हैं. यूरिन का क्लियर होना किडनी डिजीज का एक संकेत हो सकता है. ऐसे में अगर लगातार आपको अपने यूरिन का कलर क्लियर नजर आ रहा है तो आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए.
क्लियर यूरिन के कारण
जरूरत से ज्यादा पानी पीने के कारण यूरिन क्लियर नजर आता है, इसके अलावा कई तरह की बीमारियों के चलते भी ऐसा होता है. क्लियर यूरिन के ये हैं कई कारण
डायबिटीज में- डायबिटीज होने पर व्यक्ति को बहुत ज्यादा यूरिन की समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसा शरीर में ब्लड शुगर लेवल के अनियमित होने के कारण होता है. डायबिटीज होने पर बॉडी शुगर की अधिक मात्रा को शरीर के बाहर निकालने का काम करती है जिससे व्यक्ति सामान्य से अधिक मात्रा में यूरिन पास करता है.
बहुत ज्यादा पानी पीना- जब आप बहुत अधिक मात्रा में पानी का सेवन करते हैं तो उससे भी यूरिन का कलर क्लियर दिखता है. कई बार जरूरत से ज्यादा पानी पीना आपकी सेहत के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है क्योंकि इससे शरीर में सोडियम का लेवल काफी कम हो सकता है.
किडनी डिजीज- किडनी में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर भी यूरिन का कलर क्लियर नजर आता है.
प्रेग्नेंसी- प्रेग्नेंसी में भी महिलाओं को डायबिटीज होता है जिसे जेस्टेशनल डायबिटीज के नाम से जाना जाता है. जेस्टेशनल डायबिटीज को काफी खतरनाक माना जाता है. इससे होने वाले बच्चे की सेहत पर काफी बुरा असर पड़ सकता है. कई बार जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या डिलीवरी के बाद अपने आप ही ठीक हो जाती है. ऐसा तब होता है जब किसी महिला का प्लेसेंटा ऐसा एंजाइम बनाता है जो वैसोप्रेसिन को नष्ट कर देता है. यह एक ऐसा हार्मोन होता है जो मूत्र उत्पादन को प्रभावित कर सकता है.