चीन में हर रोज कोरोना संक्रमण के लाखों मामले सामने आ रहे हैं. वहां इस बीमारी से हालात बेकाबू हैं लेकिन चीन यह मानने को तैयार नहीं है. चीन में कोरोना की पल-पल की स्थिति पर नजर बनाए पश्चिमी मीडिया का दावा है कि चीन कोरोना के मरीजों की संख्या और बीमारी से मरने वालों के आकड़े छुपा रहा है.
कोरोना के आकड़ें पहले भी छुपाता रहा है चीन
द न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) में एशिया टेक्नॉलिजी कॉरेसपॉन्डेंट चांग चे कहते हैं, ''चीन में लगभग दो सप्ताह पहले अपनी जीरो कोविड पॉलिसी को हटाया था. इसके बाद वहां कोरोना विस्फोट और संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी वहां के हेल्थकेयर सिस्टम की कमजोरी की तरफ इशारा करती है. हालांकि चीन में कोरोना की पहली लहर के प्रकोप के आंकड़े अभी भी काफी हद तक रहस्य बने हुए हैं क्योंकि उस समय भी सरकार ने जो आंकड़े जारी किए थे, वो वहां के भयावह हालात की तुलना में काफी कम थे.''
चैंग ने कहा कि चीन की सरकार ने कोरोना से मरने वालों को लेकर एक बेहद संकीर्ण परिभाषा तय की है. चीन वास्तव में ऐसे बहुत से सबूत जैसे अस्पताल में कोरोना मरीजों की भीड़ और अस्पताल के मुर्दाघर से निकलती पॉलिथीन बैग में भरीं ढेरों लाशों की खबरों को दबा रहा है.
जंगल में आग की तरह फैल रहा है कोरोना
वो कहते हैं कि हालांकि अब जंगल में आग की तरह फैल रहे इस वायरस की एक तस्वीर सामने आ रही है. वहां के एक प्रांत और तीन शहरों में हाल ही में सरकार के आधिकारिक आंकड़ों से कहीं अधिक कोविड केस सामने आए हैं.
6.5 करोड़ की आबादी वाले चीन के झेजियांग प्रांत के एक अधिकारी ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अनुमान जताते हुए बताया था कि वहां रोजाना दस लाख से अधिक केस आने लगे हैं.
छोटे से बड़े शहरों में रोज लाखों केस आ रहे
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एक करोड़ आबादी वाले चीन के पूर्वी शहर किंगदाओ के स्वास्थ्य मंत्री ने इससे पहले बताया था कि वहां हर दिन लगभग पांच लाख नए मामले सामने आ रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने इस दौरान इस संख्या में आने वाले दिनों में तेज वृद्धि की आशंका भी जताई थी.
मध्य गुआंगदोंग प्रांत के सात करोड़ की आबादी वाले शहर डोंगगुआन में शुक्रवार को शहर के स्वास्थ्य आयोग की रिपोर्ट में प्रतिदिन ढाई से तीन लाख नए मामले आने का अनुमान लगाया गया है.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, उत्तर-पश्चिमी शानक्सी प्रांत के 36 लाख की आबादी वाले शहर युलिन में अधिकारियों ने पिछले शुक्रवार को 1,57,000 आकड़ें दर्ज किए जिसके तहत अनुमान लगाया गया था कि शहर की एक तिहाई से अधिक आबादी पहले ही संक्रमित हो चुकी है.
अस्पतालों में ही नहीं श्मशानों में भी भीड़
चीन में प्रतिबंधों में ढील देने के बाद से ही कोरोना के मरीज और उससे मरने वालों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. हालात ये हो गए हैं कि वहां के मुर्दाघर भी शवों से भरे पड़े हैं.
अमेरिका के हेल्थ इकोनॉमिस्ट और महामारी विशेषज्ञ एरिक फीगल डिंग ने चीन में कोरोना से होने वाली मौतों की भयावह स्थिति दिखाने वाला एक वीडियो साझा किया जिसमें वहां के एक मुर्दाघर में हर तरफ प्लासिटक बैग में लिपटे शव ही दिखाई पड़ रहे हैं.
एरिक ने एक और विडियो भी ट्वीट किया जिसमें लोगों की भीड़ अपने प्रियजनों के शवों के साथ श्मशान के बाहर इंतजार करती दिख रही है. उन्होंने कैप्शन में लिखा कि लोगों को अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए कई घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है.
चीन की स्थिति से अलग हैं सरकारी आंकड़ें
द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ये संख्या चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के उन आंकड़ों के विपरीत है जिसने शुक्रवार को पूरे देश के लिए लगभग 4,000 कोरोना मामलों की सूचना दी, की.
यह उस तस्वीर के भी विपरीत भी है जो सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने दिसंबर की शुरुआत में कोविड नीति पर अचानक अपने रुख को पलटने के दौरान पेश की थी. इससे पहले पार्टी ने चीन में कोरोना के लिए बेहद कठोर प्रतिबंध लगा रखे थे जिनमें उसने अचानक ढील दे दी.
चीन में बिगड़े हालात पर राष्ट्रपति ने पहली बार दिया ये बयान
अनुमान है कि अगले कुछ महीनों में चीन में कोरोना से लगभग 10 लाख लोगों की मौत हो सकती है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जीरो कोविड पॉलिसी हटने के बाद के बाद सोमवार को पहली बार बयान दिया. जिनपिंग ने कहा कि लोगों की जिंदगी बचाने की दिशा में कदम उठाएं जाएंगे. उन्होंने कहा कि हमें बेहतर तरीके से कोरोना से निपटने के लिए एक देशभक्तिपूर्ण हेल्थ कैंपेन शुरू करना चाहिए. कोरोना से बचाव और इसके नियंत्रण के लिए कम्युनिटी स्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा ताकि लोगों की जिंदगियां बचाई जा सके.
जिनपिंग ने यह भी कहा कि मौजूदा समय में चीन में कोरोना से बचाव और नियंत्रण से एक नई स्थिति पैदा हो गई है. हमें और अधिक मुस्तैदी से एक हेल्थ कैंपेन शुरू करना चाहिए. महामारी से बचाव के लिए एक ऐसी कम्युनिटी स्ट्रक्चर तैयार करना है, जिससे प्रभावी तरीके से लोगों की जिंदगियां बच सकें.
वास्तविक स्थिति बताने के बजाय गुमराह कर रही है सरकार
वहीं, चांग ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सरकारी मीडिया संस्थानों ने कोरोना से ठीक हो रहे मरीजों और उससे जुड़ी पॉजिटिव कहानियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बीमारी की गंभीर स्थिति को छुपाने की कोशिश की है. इसकी वजह से हालात ये हो गए हैं कि वहां आने वाले कुछ महीने में दस लाख से अधिक मौतें होने की आशंका जताई गई है.
जान बचाने के लिए चीन के लोगों को करना पड़ रहा संघर्ष
चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने हाल ही में उस जीरो कोविड पॉलिसी को हटा दिया था जिसके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और जो कम्युनिस्ट सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई थी.
चांग ने यह भी कहा कि चीन में लोग दवाओं के संकट का भी सामना कर रहे हैं. वहां लाखों लोग इलाज के लिए संघर्ष कर रहे हैं. बुखार की छोटी-मोटी दवाओं से लेकर अस्पतालों में रोगियों के लिए एंटीवायरल दवाओं तक के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
चीन के लोग अपनी सरकार पर उठा रहे हैं सवाल
NYT की रिपोर्ट के अनुसार, अपने जीवन के लिए चिंतित चीन के कई लोग वहां लागू हार्ड-लाइन कोविड नीति और कोरोना की स्थिति पर सर्वक्षेण कराने की मांग कर रहे हैं. वहीं, चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने रविवार को बिना कोई सफाई दिए यह ऐलान कर दिया है कि वो अब कोरोना के रोजाना डेटा से जुड़ी कोई जानकारी प्रदान नहीं करेगा. आयोग ने कहा कि चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल जानकारी देगा लेकिन यह नहीं बताया कि कितने दिनों में देगा.
चीन की दवा कंपनियां भी दबाव में आईं
चीन में कोरोना से बिगड़े हालात ने वहां के अस्पतालों के ही दवा कंपनियों पर भी भारी दबाव डाला है. अस्पतालों की कमी, बेड की कमी, मशीनों की कमी के साथ ही चीन के लोग दवाओं की किल्लत का भी सामना कर रहे हैं.
चीन की दो दवा कंपनियों ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि सरकारी अधिकारियों ने उनकी इबुप्रोफेन और एसिटामिनोफेन की आपूर्ति को जब्त कर लिया था जिसे वो अपने रोजाना के ग्राहकों को आपूर्ति करते थे.