scorecardresearch
 

Covid-19 JN.1 Sub variant guidelines: नए साल के जश्न में JN.1 सब-वैरिएंट से कैसे रहें सुरक्षित? जानिए कोरोना पर 7 जरूरी सवालों के जवाब

Covid-19 JN.1 Sub variant guidelines: जेएन.1 सब-वैरिएंट के मामले बढ़ने के कारण न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए कुछ गाइडलाइन को फॉलो करना होगा ताकि इस वायरस के जोखिम को कम किया जा सके. तो आइए जान लेते हैं क्या है ये जरूरी गाइडलाइन.

Advertisement
X
COVID-19
COVID-19

Covid-19 JN.1 LIVE updates: स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 26 दिसंबर तक देश में जेएन.1 सब-वैरिएंट के कुल 109 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें गुजरात से 36, कर्नाटक से 34, गोवा से 14, महाराष्ट्र से 9, केरल से 6, राजस्थान से 4, तमिलनाडु से 4 और तेलंगाना के 2 मामले शामिल हैं. इस कारण देश में कुल एक्टिव मामलों की संख्या 4097 हो गई है. एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट के सामने आने और ठंड बढ़ने के साथ ही जनवरी के पहले हफ्ते में कोरोना के मामले दोगुने हो सकते हैं. जेएन.1 सब-वैरिएंट के साथ ही बीए.2.86 (पिरोला) वैरिएंट के भी मामले सामने आ रहे हैं. 

Advertisement

2 दिन बाद देश भर में नए साल का जश्न होगा. इसके लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं और क्लब, लॉन्ज, पब्स, रेस्टोरेंट्स, होटल्स आदि की बुकिंग भी फुल हो गई हैं. ऐसे में सभी को सावधानी बरतने की जरूत है ताकि कोरोना से सुरक्षित रह सकें. हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से बताई गई गाइडलाइन को अगर फॉलो करेंगे तो कोरोना का जोखिम कम हो सकता है. तो आइए उन गाइडलाइंस के बारे में जानते हैं.

1. क्या पार्टी में जाना सुरक्षित है?

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट से सावधान रहने की जरूरत है ना कि घबराने की. आप लोग पार्टी में जा सकते हैं लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियम फॉलो करें. माना कि क्लब-पार्टीज आदि में सोशल डिस्टेंसिंग मुश्किल होती है लेकिन कोशिश करें कि खुली हवा में भी रहें और हो सके तो रूफ टॉप रेस्टोरेंट-क्लब या घर में पार्टी करें.

Advertisement

2. क्या मास्क लगाना जरूरी है?

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि पहले की तरह अभी भी मास्क कोरोना से बचाने का काम करता है. संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित द्रविड़ का कहना है, 'कोरोना के नए मामले सामने आने के कारण भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क को जरूर लगाना चाहिए. खांसते और छींकते समय अपना मुंह और नाक ढकने जैसी प्रैक्टिस को फिर से रूटीन में शामिल करना चाहिए.'

3. क्या वैक्सीन की बूस्टर डोज जरूरी है?

हेल्थ एक्सपर्ट चंद्रकांत लहरिया के मुताबिक, 'भारत में लोग पहले ही ओमिक्रॉन वैरिएंट समेत कई सब-वैरिएंट के संपर्क में आ चुके हैं और उन्हें COVID-19 वैक्सीन की कम से कम दो डोज लग चुकी हैं. SARS-CoV-2 वैरिएंट या उप-वैरिएंट के कारण गंभीर बीमारी होने का कोई नया जोखिम नहीं है इसलिए अभी वैक्सीन के बारे में ना सोचें.'

संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित द्रविड़ के अनुसा, 'वैक्सीन की दूसरी डोज उन लोगों के लिए जरूरी है जिन्होंने अभी तक एक डोज ही ली है.'

एम्स के पूर्व डायरेक्टर और सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है, 'हमें एक ऐसी वैक्सीन की जरूरत है जो वायरस के किसी भी वैरिएंट पर काम कर सके और सुरक्षा दे पाए. जेएन.1 ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट है जिसमें म्यूटेशन हुए हैं इसलिए ओमिक्रॉन के खिलाफ बनाई गई वैक्सीन इस वैरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी होगी.'

Advertisement

डॉ. गुलेरिया आगे कहते हैं, 'लोगों की वर्तमान में इम्यूनिटी कैसी है जो उन्हें पिछली वैक्सीन के आधार पर मिली है. यह जानने के लिए हमें और अधिक डेटा की जरूरत है. इसके बाद ही हम तय कर पाएंगे कि हमें एक नए वैक्सीन की जरूरत है या नहीं जो कोविड के नए वैरिएंट को भी कवर करता हो. हमें इस तरह के डेटा की नियमित तौर पर जरूरत होगी क्योंकि कोरोनावायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है.'
 
4. मास्क के अलावा कैसे सुरक्षा मिलेगी?

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भीड़-भाड़ में फैलने वाले कोरोना के जोखिम को कम करने के लिए मास्क लगाना, बार-बार हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की कोशिश करें.

5. सर्दी-खांसी जैसे लक्षण दिखने पर क्या करें?

एम्स द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक, श्वसन संक्रमण, लगातार बुखार या पिछले 10 दिनों के भीतर खांसी के साथ 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक बुखार जैसे लक्षणों वाले मरीजों का कोविड टेस्ट किया जाएगा.

बुखार, ठंड लगना, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सांस लेने में कठिनाई, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, स्वाद या गंध की हानि, गले में खराश, भीड़, नाक बहना, मतली, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण अगर लंबे समय से चल रहे हैं तो भी आप फेस मास्क पहनें और डॉक्टर से मिलें. उनकी सलाह के मुताबिक, कोविड टेस्ट कराएं. 

Advertisement

6.  किन लोगों को अधिक खतरा है?

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, सभी बुजुर्ग (60 वर्ष और उससे अधिक), किडनी, हृदय, लिवर की बीमारियों से पीड़ित लोग, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को बंद, खराब हवादार स्थानों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए. हालांकि, अगर कोई बाहर निकलता भी है तो मुंह और नाक ढंके हुए होने चाहिए.

7. कितना खतरनाक है नया वैरिएंट?

JN.1 वैरिएंट 41 देशों में फैल चुका है. WHO का कहना है कि JN.1 सब-वैरिएंट के सामने आने से कोरोना के मामलों में वृद्धि हो सकती है, खासकर उन देशों में जहां सर्दी अधिक पड़ती है. एक्सपर्ट्स का कहना है, 'वैश्विक स्तर पर मामलों में बढ़ोत्तरी से पता चलता है कि जेएन.1 - एक ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट है जो मजबूत इम्यूनिटी वालों को भी आसानी से संक्रमित कर सकता है. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने इसे यूएस में सबसे तेजी से बढ़ने वाला वैरिएंट बताया दिया है. 

WHO का कहना है कि जेएन.1 सब-वैरिएंट के कारण अधिक खतरा होगा. हालांकि जेएन.1 संक्रमण तेजी से फैल रहा है इसलिए मामले तो बढ़ सकते हैं लेकिन मौजूदा सबूत यह नहीं बताते कि इसकी गंभीरता अधिक है.

महाराष्ट्र के जीनोम सेक्वेंसिंग कॉर्डिनेटर डॉ. कार्यकार्टे का कहना है, 'यह कम जोखिम वाला संक्रमण है और पहले संक्रमण और/या टीकाकरण वाले लोगों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है.'

Live TV

Advertisement
Advertisement