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COVID-19 New Jn.1 Variant: देश और दुनिया में एक बार फिर कोरोना तेजी से फैल रहा है. भारत में मंगलवार को एक दिन में कोरोना के 412 नए मामले सामने आए हैं जिससे कुल एक्टिव मामलों की संख्या 4170 हो गई है. इन मामलों में से 69 मामले नए जेएन.1 सब-वैरिएंट के हैं. यह ओमिक्रॉन वैरिएंट के सब-वैरिएंट BA.2.86 से बना है. 2022 की शुरुआत में BA.2.86 ही दुनियाभर में कोरोना के मामलों में वृद्धि का कारण बना था. नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कोविड टास्क फोर्स के को-प्रेसिडेंट राजीव जयदेवन के अनुसार, 'जेएन.1 वैरिएंट तेजी से फैलने और इम्यूनिटी से बच निकलने में सक्षम है.' नया सब-वैरिएंट जेएन.1 क्या है, यह कब सामने आया था और अभी तक कितने देशों में फैल चुका है, इस बारे में जान लीजिए.
जेएन.1 सब-वैरिएंट क्या है?
जेएन.1 सब-वैरिएंट 17 अगस्त 2023 को यूरोप के लग्जमबर्ग में पहली बार सामने आया था. भारत में JN.1 सब-वैरिएंट से संक्रमित होने का पहला मामला 8 दिसंबर को केरल में पाया गया था. जेएन.1 वैरिएंट 41 देशों में फैल चुका है. WHO के अनुसार, जेएन.1 सब-वैरिएंट के सबसे अधिक मामले फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर, कनाडा, ब्रिटेन और स्वीडन में सबसे अधिक हैं.
जेएन.1 सब-वैरिएंट ओमिक्रॉन के BA.2.86 'पिरोला' सब-वैरिएंट से बना है. इस सब-वैरिएंट ने अमेरिका में काफी तबाही मचाई थी. यह 4 महीने में ही यह करीब 41 देशों में फैल चुका है. अतिरिक्त म्यूटेशन इसे काफी संक्रामक बनाते हैं. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने इसे यूएस में सबसे तेजी से बढ़ने वाला वैरिएंट बताया दिया है. यह इम्यूनिटी को चकमा देकर संक्रमित कर सकता है.
जिस तरह BA.2.86 के स्पाइक प्रोटीन में अतिरिक्त म्यूटेशन थे, उसी तरह जेएन.1 के स्पाइक प्रोटीन में भी एक अतिरिक्त म्यूटेशन हैं जो इसे और संक्रामक बनाते हैं.
मुंबई के हिंदुजा अस्पताल के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट और महामारी विशेषज्ञ डॉ. लैंसलॉट पिंटो ने जेएन.1 की पहचान के लिए और अधिक रिसर्च पर जोर दिया है. उन्होंने कहा, ‘यह नया वैरिएंट ओमिक्रॉन के पूर्ववर्ती सब-वैरिएंट बीए.2.86 से काफी मिलता-जुलता है जो केवल एक स्पाइक प्रोटीन में अलग होता है. यही कारण है कि यह संक्रामक हो सकता है और तेजी से फैल सकता है.'
को-प्रेसिडेंट राजीव जयदेवन ने कहा था, 'जेएन.1 इम्यूनिटी को चकमा देने वाला और तेजी से फैलने वाला वैरिएंट है जो XBB और इस वायरस के दूसरे सभी वैरिएंट्स से अलग है. यह उन लोगों को भी संक्रमित करने में सक्षम है जो पहले संक्रमित हो चुके हैं या जिन्हें पहले भी वैक्सीन लग चुकी है.
कितना खतरनाक है जेएन.1 सब-वैरिएंट?
जेएन.1 सब-वैरिएंट के बारे में कहा जा रहा है कि यह काफी तेजी से फैलता तो है लेकिन इससे फैलना वाला संक्रमण काफी हल्का है. WHO की पूर्व साइंटिस्ट और ICMR की पूर्व डायरेक्टर जनरल डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था, 'जेएन.1 कितना गंभीर है, इस बारे में जानकारी के लिए अभी हमारे पास पर्याप्त डेटा नहीं है. हमें चिंता की जरूरत नहीं है लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है. वहीं हम यह भी नहीं कह सकते कि यह निमोनिया या मृत्यु का भी कारण बन सकता है.'
सिएटल में फ्रेड हचिंसन कैंसर सेंटर में कोरोनो वायरस वैरिएंट की निगरानी करने वाले जीव विज्ञानी जेसी ब्लूम का कहना है, 'यह कहना जल्दबाजी होगी कि जेएन.1 सब-वैरिएंट के कारण संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने के मरीजों की संख्या कितनी होगी. अभी इस पर और रिसर्च की जरूरत है.'
महाराष्ट्र के जीनोम सेक्वेंसिंग कॉर्डिनेटर डॉ. कार्यकार्टे का कहना है, 'इस वैरिएंट से जोखिम कम है. जो लोग पहले संक्रमित हो चुके हैं या जिन्होंने वैक्सीन ली हुई है, उन्हें खतरा कम है.'
जीनोम रिसर्चर विनोद स्कारिया और बानी जॉली ने कहा है, 'कोविड-19 वायरस लगातार बढ़ रहा है और नई-नई लीनेज बना रहा है. जेएन.1 ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट है जिसके स्पाइक प्रोटीन में एक अतिरिक्ट म्यूटेशन है. मजबूत इम्यूनिटी से बचने का मतलब यह होगा कि जेएन.1 अन्य वेरिएंट से कॉम्पिटिशन कर सकता है. लेकिन अभी तक मौजूद जानकारी के मुताबिक, इस वैरिएंट से घबराने की नहीं, सतर्क रहने की जरूरत है.'
जेएन.1 सब-वैरिएंट के लक्षण क्या हैं?
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) का कहना है, 'अभी तक मौजूद डेटा से यह पता नहीं चल पाया है कि जेएन.1 सब-वैरिएंट के लक्षणों में कुछ बदलाव हुआ है या फिर इसके लक्षण भी पहले सामने आए अन्य वैरिएंट या सब-वैरिएंट की ही तरह हैं. लेकिन अमेरिका में अधिकतर लोगों ने कुछ कॉमन लक्षणों के बारे में बताया है और वह पॉजिटिव निकले. सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, बुखार, ठंड लगना, खांसी, थकान, मांसपेशियों में दर्द, स्वाद या गंध की हानि, गले में खराश, मतली, उल्टी और दस्त JN.1 के कॉमन लक्षण बताए गए हैं.