भारत में आज से वैक्सीनेशन अभियान का आगाज हो चुका है. पहले चरण में लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा रही है और इसके ठीक एक महीने बाद वैक्सीन की दूसरी डोज दी जाएगी. कोरोना से लड़ाई में वैक्सीन की दोनों डोज जरूरी हैं. आज टीकाकरण अभियान की शुरूआत करते हुए पीएम मोदी ने भी लोगों से वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने को कहा था. आइए जानते हैं कि वैक्सीन की दूसरी डोज क्यों जरूरी है और इसे ना लेने से आपको क्या नुकसान हो सकते हैं.
वैक्सीन की दूसरी डोज क्यों है जरूरी?
वायरोलॉजिस्ट्स कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज का सख्ती से पालन करने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि वैक्सीन की पहली डोज शरीर में लॉन्चपैड के रूप में कार्य करती है और इम्यून रिस्पॉन्स को गति देती है जबकि दूसरी डोज इम्यून रिस्पॉन्स को वायरस के खिलाफ मजबूत बनाती है. वैक्सीन की पहली डोज इम्यूनोलॉजिकल रिस्पॉन्स बनाती है जिससे तीन से चार हफ्तों के बीच में बॉडी में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनने लगती है.
ICMR के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'वैक्सीन की दूसरी डोज शरीर में एंटीबॉडी के साथ-साथ टी सेल्स (T cells) बढ़ाने का काम करेगी. इन टी सेल्स को किलर सेल्स भी कहा जाता है. ये वायरस पर इम्यून रिस्पॉन्स के साथ मिलकर काम करती हैं. इसके अलावा वैक्सीन की दूसरी डोज से दोहरी सुरक्षा मिलेगी.'
वैक्सीन रिसर्चर प्रसाद कुलकर्णी के अनुसार, 'वैक्सीन की पहली डोज निश्चित तौर पर कुछ समय के लिए वायरस पर काम करेगी लेकिन दूसरी डोज एंटीबॉडी को कई गुना बढ़ा देगी जिससे वायरस के खिलाफ लंबी इम्यूनिटी मिलेगी. इसका सीधा सा मतलब है कि वैक्सीन दो महीने में वायरस के खिलाफ पूरी तरह से सुरक्षा देगी.
रखनी होगी सावधानियां
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस वैक्सीन लेने के बाद भी लोगों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन करना होगा तभी इस वायरस से पूरी तरह से आजादी मिल सकेगी.