त्योहार के सीजन में बाजार में मिलावटी चीजें बिकने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. मिलावटखोर इतनी बारीकी से अपना काम दिखाते हैं कि बाजार में ग्राहकों के लिए असली-नकली चीजों के बीच फर्क समझना मुश्किल हो जाता है. त्योहारों पर बेसन की भी जमकर खरीदारी होती है जिसका इस्तेमाल कई खास तरह के पकवान बनाने में किया जाता है. क्या आप जानते हैं बाजार में बिकने वाले बेसन में भी बड़े पैमाने पर मिलावट की जाती है.
FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया) ने मिलावटी बेसन को पहचानने की एक तरकीब अपने ट्विटर हैंडल पर साझा की है. FSSAI के मुताबिक, मिलावटखोर ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए बेसन में खेसारी दाल से बने आटे की मिलावट करते हैं जिससे बेसन पहले जैसा शुद्ध नहीं रह पाता और उसमें मौजूद न्यट्रिएंट्स पर्याप्त मात्रा में शरीर को नहीं मिल पाते हैं.
लेकिन एक आसान सी ट्रिक मिलावटखोरों की इस जालसाजी से ग्राहकों को बचा सकती है. इसके लिए सबसे पहले एक टेस्ट ट्यूब में एक ग्राम बेसन लें. इसके बाद टेस्ट ट्यूब में 3 मिलीलीटर पानी डालें. अब तैयार सॉल्यूशन में 2 एमएल कॉन्सेनट्रेटेड एचसीअल मिलाएं. इसके बाद टेस्ट ट्यूब को अच्छी तरह से हिलाएं और सॉल्यूशन को पूरी तरह मिल जाने दें.
Detecting Besan adulteration with Khesari dal flour.#DetectingFoodAdulterants_12#AzadiKaAmritMahotsav@jagograhakjago @mygovindia @MIB_India @PIB_India @MoHFW_INDIA pic.twitter.com/JOvLhBDqfR
— FSSAI (@fssaiindia) October 27, 2021
टेस्ट ट्यूब में मौजूद बेसन अगर शुद्ध हुआ तो सॉल्यूशन अपना रंग नहीं बदलेगा. यदि सॉल्यूशन के सरफेस पर पिंक यानी गुलाबी रंग दिखाई देने लगे तो समझ जाइए कि बेसन में मिलावट की गई है. दरअसल ऐसा मेटानिल येलो रंग पर एचसीएल के रिएक्शन की वजह से होता है. दोनों के कॉम्बिनेशन से ही सॉल्यूशन की सतह पर गुलाबी रंग दिखाई देने लगता है.