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लिवर की बीमारी आज के समय में आम हो गई है. आजकल हर उम्र के लोगों में लिवर से संबंधित समस्या देखने को मिल रही है. लिवर की बीमारी लिवर और उसके आसपास के अंगों को प्रभावित कर सकती है. अधिकतर मामलों में शराब के कारण लिवर की समस्या शुरू होती है लेकिन इसके अलावा भी फैटी लिवर डिसीज के कई कारण होते हैं. लिवर की बीमारी कई तरह की होती है, जिसमें नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीज, अल्कोहॉल संबंधित लिवर डिसीज, हेपेटाइटिस, हेमोक्रोमैटोसिस और प्राइमरी पित्त सिरोसिस आदि शामिल हैं. ये सभी बीमारियां लिवर को प्रभावित करती हैं इसलिए लिवर की खास देखभाल करना काफी जरूरी होता है.
अगर किसी को पेट में नीचे बताए हुए लक्षण नजर आते हैं तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि ये लिवर खराब होने के संकेत हो सकते हैं.
क्या हैं लिवर खराब होने के संकेत
लिवर संबंधित समस्याओं में नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीज (NAFLD) के कारण अगर लिवर डैमेज हो जाता है तो इसके लक्षण नजर आने लगते हैं. NAFLD लक्षण आमतौर पर पेट के आसपास नजर आते हैं. अच्छा महसूस न करना और थकान महसूस करना फैटी लिवर डिसीज के लक्षण होते हैं. इसके साथ ही पेट के दाईं ओर पसलियों के नीचे दर्द या बेचैनी महसूस होना भी लिवर के खराब होने के संकेत हो सकते हैं.
नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीज के ये लक्षण भी न करें अनदेखा:
• अचानक से वेट लॉस
• कमजोरी
• पीलिया
• त्वचा में खुजली
• टखनों, पैरों या पेट में सूजन
लेकिन यह भी ध्यान रखें कि पीलिया, त्वचा में खुजली, और सूजन लिवर की बीमारी की शुरुआती स्टेज में नहीं होते, यह बाद में नजर आते हैं.
हर मरीज के लिए अलग इलाज
नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीज के मरीजों का इलाज बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है. कुछ मामलों में हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी स्थिति में इलाज के लिए डॉक्टर अलग से दवा देता है. लेकिन अगर नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीज की समस्या अधिक बढ़ गई है तो लिवर ट्रांसप्लांट की स्थिति बन सकती है.
NAFLD ऐसे हो सकता है कम
नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक, नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीज वाले मरीजों को वजन कम करना, हेल्दी डाइट लेना, मीठी ड्रिंक पीने से बचना, पानी अधिक पीना, रोजाना एक्सरसाइज करना और धूम्रपान न करने जैसी आदतें अपनाने की सलाह दी जाती है. नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीज शराब के कारण नहीं होती लेकिन इससे स्थिति और बिगड़ सकती है इसलिए शराब का सेवन भी न करें.
शुरुआत में नजर नहीं आते लक्षण
एक्सपर्ट कहते हैं कि इस बीमारी से बचने के लिए सबसे पहले लाइफस्टाइल में बदलाव करना काफी जरूरी है. एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में लिवर रिसर्च के हेड प्रोफेसर जोनाथन फॉलोफील्ड (Professor Jonathan Fallowfield) कहते हैं, नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी डिसीज के मरीज 2030 तक 5 प्रतिशत से बढ़कर 7 प्रतिशत तक हो जाएंगे. ज्यादातर लोग नहीं जानते कि उन्हें फैटी लिवर डिसीज हो चुका है. ये अक्सर ऐसे लोग होते हैं, जो बाहर से पतले दिखते हैं लेकिन उनके लिवर पर फैट होता है. उनके पेट के चारों ओर चर्बी जमी होती है और थकान भी होने लगती है.