Non-alcoholic Fatty Liver: अपोलो हॉस्पिटल्स द्वारा जारी की गई 'हेल्थ ऑफ द नेशन 2025' रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में 2.5 लाख व्यक्तियों की जांच की गई जिसमें से 65 प्रतिशत में फैटी लिवर था और उनमें से अधिकांश मामले नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर से संबंधित थे. फैटी लिवर वाले कुल लोगों में से 85 प्रतिशत लोग शराब नहीं पीते थे. यह आंकड़ा भारतीयों के खान-पान और जीवनशैली को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा करता है.
यह भी पाया गया कि मोटापे से पीड़ित 76 प्रतिशत लोगों में फैटी लिवर था और डायबिटीज से पीड़ित 82 प्रतिशत लोगों में फैटी लिवर था. इन सभी में हाई ब्लड प्रेशर वाले 74 प्रतिशत लोगों में भी फैटी लिवर की शिकायत पाई गई थी. यानी कि मोटापा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों में भी फैटी लिवर की शिकायत हो सकती है.
फैटी लिवर की जानकारी ही नहीं
हेल्थ ऑफ द नेशन 2025 की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जांच में शामिल 52 प्रतिशत लोगों के ब्लड टेस्ट में लिवर एंजाइम का स्तर सामान्य था. इसका मतलब यह है कि बहुत से लोगों को शायद यह भी पता न हो कि उनका लिवर खराब होने वाला है. इसलिए, रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती पहचान के लिए इमेजिंग बहुत जरूरी है.
फैटी लिवर को अब 'मेटाबोलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टेटोटिक लिवर डिजीज' के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसे मुख्य रूप से मोटापे, डायबिटीज और हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया से इंस्पायर माना जाता है. हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत अधिक होती है.
क्यों होता है फैटी लिवर
लिवर आपके शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है जो भोजन और पेय पदार्थों से पोषक तत्वों को संसाधित करने और आपके खून से हानिकारक पदार्थों को छानने में मदद करता है. लिवर की समस्या को फैटी लिवर नाम से जाना जाता है. फैटी लिवर एक ऐसी समस्या है जो धीरे-धीरे शुरू होती है और उसका पता तब चलता है जब वह काफी बढ़ जाती है.
अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर समस्याओं का रूप भी ले सकती है. हालांकि लिवर में थोड़ी मात्रा में फैट होना सामान्य है लेकिन यदि फैट की मात्रा अधिक हो जाती है तो वह लिवर में सूजन पैदा करती है और समय के साथ लिवर को नुकसान हो सकता है. अगर इस पर ध्यान न दिया जाए तो यह लिवर फेल का कारण भी बन सकता है.
फैटी लिवर को मोटे तौर पर दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है, अल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीज (AFLD) और नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीज (NAFLD). एक आम गलत धारणा यह है कि केवल शराब के सेवन से ही फैटी लिवर होता है. अत्यधिक शराब का सेवन लिवर को नुकसान तो पहुंचाता ही है, इसके अलावा भी कई अन्य छिपे हुए कारण भी हैं.
मोटापा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर कैसे करें मेंटेन
मोटापा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों को लाइफस्टाइल डिसीज माना जाता है. इसलिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके इन बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि रोजाना फिजिकल एक्टिविटी, बैलेंस डाइट, अच्छी नींद, स्ट्रेस मैनेजमेंट और जरूरत के मुताबिक डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की दवाइयां लेने से इन चीजों को मेंटेन किया जा सकता है.
मोटे लोगों को डायबिटीज, ब्लडप्रेशर और फैटी लिवर जैसी बीमारियों का जोखिम अधिक होता है. इसलिए यदि आप अपना वेट कंट्रोल करते हैं तो उससे भी आपको इन बीमारियों में काफी मदद मिलेगी.