तेज सिरदर्द को इग्नोर करना कई बार हमारे लिए घातक साबित हो सकता है. भारत में अधिकतर लोगों को रेगुलर सिरदर्द की शिकायत रहती है. इसमें हल्के सिरदर्द से लेकर माइग्रेन का दर्द शामिल है. कई तरह के सिरदर्द में पेनकिलर, पानी पीने या आराम करने से राहत मिल जाती है. लेकिन सिरदर्द कब एक गंभीर समस्या बन सकता है, इसका पता आप कैसे लगाएंगे?
अनुमानित तौर पर लगभग 150 तरह के सिरदर्द होते हैं. ज्यादातर सिरदर्द पीड़ादायक होते हैं, लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं है. क्रॉनिक सिरदर्द या माइग्रेन में आप डॉक्टर की सहायता ले सकते हैं, लेकिन ये किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत नहीं है. हालांकि कुछ सिरदर्द ऐसे भी होते हैं जिनके लक्षण इग्नोर करना खतरनाक साबित हो सकता है. आइए आपको 8 तरह के सिरदर्द के बारे में बताते हैं और ये भी कि कब आपको इन्हें इग्नोर करने की बजाए डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
टेंशन वाला सिरदर्द- लोगों में होने वाला ये सबसे कॉमन सिरदर्द है जो सामान्य तौर पर स्ट्रेस, डीहाइड्रेशन, आंखों पर जोर या भूख लगने की वजह से हो सकता है. आमतौर पर इबुप्रोफेन या पैरासिटामोल जैसी दवाओं से इसमें राहत मिल जाती है. ये दवाएं प्रोस्टाग्लैंडिंस नाम के पेन मैसेंजर के प्रोडक्शन को रोककर काम करती हैं. अगर आपको लगातार टेंशन वाले सिरदर्द की शिकायत रहती है तो आप डॉक्टर या ऑप्टीशियन की मदद ले सकते हैं.
माइग्रेन- ज्यादातर माइग्रेन में लाइट सेंसिटिविटी, सिर के एक हिस्से में दर्द, जी मिचलाना या धुंधला दिखाई देने जैसे लक्षण होते हैं. अगर आपको माइग्रेन की शिकायत है तो बेहतर होगा कि आप एक डायरी बनाएं और उसमें सिरदर्द के लक्षणों को ट्रिगर करने वाली वजहों को नोट करें. अगर आप महीने में पांच से ज्यादा बार माइग्रेन का दर्द महसूस करते हैं तो आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है. वे आपको लक्षणों से राहत पाने के लिए स्ट्रॉन्ग पेनकिलर लेने का सुझाव दे सकते हैं.
साइनस- साइनस से होने वाले सिरदर्द का कारण सर्दी, फ्लू या एलर्जी हो सकते हैं. साइनस के दर्द में इंसान को चेहरे के सामने वाले हिस्से में दर्द महसूस होता है. पैरासिटामोल, इबुप्रोफेन, एंटीहिस्टामिन या डीकन्जेस्टेंट जैसी दवाएं साइनस के दर्द में राहत दे सकती हैं. आप चाहें तो इसमें स्टीम भी ले सकते हैं.
क्लस्टर- क्लस्टर का सिरदर्द बहुत बुरा और असामान्य होता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि क्लस्टर का सिरदर्द हजार में से किसी एक या दो इंसानों को होता है. इसका दर्द आंखों के सॉकेट के आस-पास दिन में लगभग आठ बार हो सकता है और कुछ सप्ताह के लिए रह सकता है. अगर आपको भी क्लस्टर के सिरदर्द की शिकायत है तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें और इसके लक्षणों पर बातचीत करें.
हार्मोनल- मेंसट्रुअल साइकिल, पीएमएस या पेरीमीनोपॉज के कारण हार्मोन्स लेवल में उतार-चढ़ाव भी सिरदर्द का कारण बन सकते हैं. इसका दर्द माइग्नेन की तरह ही होता है. अपनी मेंसट्रुअल साइकिल को ट्रैक कर आप पता लगा सकते हैं कि हार्मोन्स लेवल कब सिरदर्द का कारण बन रहा है. इसके लिए डॉक्टर हार्मोनल रिप्लेसमेंट थैरेपी (HRT) का सुझाव दे सकते हैं.
थंडरक्लैप- थंडरक्लैप का सिरदर्द चेहरे पर चोट लगने के समान ही दर्दनाक माना जाता है. इसमें करीब 60 सेकेंड के लिए दर्द पीक पर जा सकता है. साथ ही जी मिचलाना, बेहोशी और उल्टी जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं. इस प्रकार के सिरदर्द ब्रेन एन्यूरिज्म, स्ट्रोक, ब्रेन ब्लीडिंग का भी संकेत हो सकते हैं. ऐसा सिरदर्द होते ही व्यक्ति को फौरन डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
जाएंट सेल आर्टराइटिस- 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं. ये गंभीर सिरदर्द जबड़ों में दर्द, स्कैल्प पेन, या आंखों की दिक्कत के साथ हमला कर सकता है. इसके लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, वरना ये इंसान को हमेशा के लिए अंधा कर सकता है.
अलार्म क्लॉक- अलार्म क्लॉक भी सिरदर्द से जुड़ी एक गंभीर समस्या है. इस तरह के सिरदर्द को हाइपनिक हेडऐक भी कहा जाता है, जो स्लीप डिसॉर्डर (नींद संबंधी विकार) के कारण होता है.