पिछले कुछ समय में देश में हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट के काफी ज्यादा मामले सामने आए हैं. इनमें कई में लोगों की हार्ट अटैक आने के चंद पलों के अंदर ही मौत हो गई. डराने वाली बात ये है कि हार्ट अटैक से अचानक जान गंवाने वाले लोगों में ज्यादातर युवा थे. किसी को चलते-फिरते, किसी को नाचते-नाचते और किसी को खेलते-खेलते दिल का दौरा पड़ रहा है.
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में पिछले 10 दिन में हार्ट अटैक के पांच मामले सामने आए. वहां एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. छात्र बीटेक के फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा था. इस घटना से ठीक पहले हैदराबाद के सिकंदराबाद में बैडमिंटन खेलते-खेलते एक शख्स की अचानक हार्ट अटैक से जान चली गई.
युवाओं के बीच बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले
तेलंगाना के नांदेड़ में डांस करते-करते अचानक एक लड़के को हार्ट अटैक आया और उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया. लड़के की उम्र महज 19 साल थी. 22 फरवरी को हैदराबाद के एक जिम में वर्कआउट के दौरान एक पुलिस कॉन्स्टेबल की हार्ट अटैक से मौत हुई. वहीं, इससे पहले गुजरात के अहमदाबाद में एक क्रिकेट मैच के दौरान GST कर्मचारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई. बॉलिंग करते वक्त GST कर्मचारी की तबियत बिगड़ी और वो जमीन पर गिर गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुजरात में एक महीने में सात लोगों की हार्ट अटैक से जान गई है.
इन सभी मामलों में हार्ट अटैक से जान गंवाने वाले लोग 40 साल से कम उम्र के थे. आखिर क्यों कम उम्र के लोगों के बीच हार्ट अटैक के केस बढ़ रहे हैं. कई लोग गलत खानपान, गलत लाइफस्टाइल, बीमारियां और कोरोनावायरस को इसके लिए जिम्मेदार बता रहे हैं तो कई लोग इसके पीछे मौसम में बदलाव को भी जिम्मेदार मानते हैं.
क्यों युवाओं को चपेट में ले रहीं दिल की बीमारियां
इस सवाल का जवाब देते हुए जयपुर के हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ. गोविंद शरण शर्मा कहते हैं, ''हार्ट अटैक के मामले पहले 60 साल की उम्र के आसपास लोगों के बीच ही सामने आते थे लेकिन अब 20 से लेकर 30 साल के युवा भी इसकी चपटे में आ रहे हैं. इसके पीछे खराब लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, एल्कोहल, स्मोकिंग जैसे फैक्टर्स जिम्मेदार हैं. मौसम के फैक्टर की बात की जाए तो मैं बता दूं कि बदलते मौसम का भी लोगों के स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है.''
बदलता मौसम भी है वजह?
वो कहते हैं, ''मौसम बदलने की वजह से कई बार अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है. इससे नसों में ब्लड क्लॉटिंग यानी खून का थक्का जमने लगता है जिस वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक आता है. मौसम में अचानक बदलाव का असर लोगों की लाइफस्टाइल और फिजिकल एक्टिविटी पर पड़ता है. मौसम के बदलने से लोगों के बीच इंफेक्शन का रिस्क बढ़ता है. खानपान में बदलाव, व्यायाम में कमी के वजह से भी हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.''
कैसे रखें अपने दिल का ख्याल
युवाओं में दिल की बीमारियों की बड़ी वजह खराब लाइफस्टाइल-खानपान, ज्यादा वजन, धूम्रपान, शराब का सेवन भी है. बीमारियों से बचने के लिए अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर करना सबसे जरूरी है. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर किसी की फैमिली हिस्ट्री में हार्ट अटैक के केस हुए हैं या परिवार का कोई शख्स दिल के रोग, ब्लड प्रेशर, थायरॉइड या डायबिटीज का शिकार रहा है तो उस परिवार के सभी लोगों को अपनी जांच कराने की जरूरत है.
क्यों खांसी-जुकाम भी लोगों को डरा रहा
इसके आलावा पिछले कुछ समय में देश में ऐसी कई खबरें सामने आईं जिनमें लोगों के बीच अजीब सी खांसी की समस्या देखी गई. ये खांसी लोगों को एक से दो हफ्ते तक हो रही है और इसमें कफ सिरप, दवा और भाप कुछ भी असर नहीं कर रहा. सोशल मीडिया पर भी लोग सर्दी-खांसी वाले इन्फेक्शन की बात कर रहे हैं. इस पर डॉ गोविंद शरण शर्मा ने बताया कि अभी यह कहना मुश्किल होगा कि ऐसा किसी नए वायरस की वजह से हो रहा है.
उन्होंने कहा, ''इन दिनों अस्पताल में फ्लू के लक्षणों के जो मरीज आ रहे हैं, उनका बुखार और जुखाम ठीक हो जा रहा है लेकिन उनकी खांसी एक महीने तक रह रही है. हालांकि इसके पीछे कोरोनावायरस भी एक वजह है. ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों को कोराना हुआ है, वो जल्दी-जल्दी बीमार पड़ रहे हैं. इसके अलावा कई लोग खानपान और अपनी दिनचर्या पर काबू नहीं रख पा रहे हैं. मौसम में बदलाव की वजह से दोपहर में गर्मी और सुबह-शाम थोड़ी ठंड रहती है. इस स्थिति में वायरस और बीमारियां ज्यादा फैलती हैं. इस मौसम में छोटे बच्चों का बीमारियों के चपेट में आने का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि उनकी इम्युनिटी बहुत कम होती है. यही वजह है कि हमेशा बच्चों को समय पर वैक्सीन लगावाने की सलाह दी जाती है.''
लंबी खांसी के पीछे कोई वायरस है?
अचानक लोगों के बीच फैल रही बीमारियों के बारे में लखनऊ की किंग्स जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. वेद प्रकाश ने कहा, ''जब भी मौसम में बदलाव होता है तो जितने भी रिस्पिरेटरी वायरस हैं जिन्हें RNA और फ्लू वायरस भी कहा जाता है, वो मौसम के बदलने से इंसान के रिस्पिरेटरी सिस्टम पर अटैक करते हैं. वो बहुत ही जल्दी-जल्दी म्यूटेट होते हैं. आरएनए वायरस के म्यूटेशन के कारण वायरस के नए-नए वैरिएंट सामने आते हैं. इसके बचाव के लिए हम लोग वैक्सीन देते हैं.''
डॉ वेद आगे बताते हैं, ''पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने अच्छे तरीके से कोविड नियमों का पालन किया था. इस वजह से लोगों के बीच वायरस और फ्लू के मामलों में कमी देखी गई. लेकिन अब लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं जिस वजह से इम्युनिटी पर इसका असर पड़ रहा है और तबियत बिगड़ रही है. वायरल इंफेक्शन की वजह से अपर रिस्पिरेटरी इंफेक्शन हो सकते हैं जिनमें खांसी, बार-बार जुकाम, सिर दर्द और बुखार हो जाने के साथ-साथ जोड़ों में दर्द होना भी इसके लक्षण हैं.''
डॉ वेद के अनुसार, ''पहले ऐसा होता था कि खांसी-जुकाम एक हफ्ते में ठीक हो जाता था लेकिन अब इसे ठीक होने में दो-दो हफ्ते लग रहे हैं. कुछ मामलों में रिकवरी होने में तीन-तीन हफ्ते भी लग रहे हैं. ऐसा पोस्ट कोविड, मौसम में बदलाव या किसी अन्य वजह से हो रहा है, इस पर स्टडी चल रही है.''
मौसम और प्रदूषण भी है वजह
डॉ वेद का मानना है कि मौसम बदलने की वजह से ऐसा ज्यादातर होता है. साथ ही प्रदूषण के कारण भी लोगों को दिक्कतें हो रही हैं. पश्चिम बंगाल में फैले एडिनोवायरस के बारे में उन्होंने कहा कि एडिनोवायरस का अगर कहीं स्पेसिफिक आउटब्रेक है तो उसमें पहले जांच करनी होगी. बाकी शहरों में लोगों के बीच खांसी और जुकाम की जो समस्याएं हैं, उनसे बचने के लिए अच्छी लाइफस्टाइल और मास्क-सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोरोना नियमों का पालन करना जरूरी है.
मध्य प्रदेश के इंदौर में पिछले कुछ समय में सर्दी-जुखाम और बुखार के मरीजों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ. इनमें ज्यादातर मरीजों को खांसी और जुकाम दो से तीन हफ्ते तक रह रहा है.
मध्य प्रदेश के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर सलिल भार्गव कहते हैं, ''लोगों को मौसम और किसी संक्रमण की वजह से सर्दी और खांसी की समस्या हो रही है जिसके साथ ही कई लोगों को गले में दिक्कत, आवाज खराब होना और सांस लेने जैसी परेशानियां भी हो रही हैं. ऐसा किसी वायरल इंन्फेक्शन की वजह से हो सकता हैं जिसमें परिवार के किसी एक सदस्य की तबियत बिगड़ती है तो बाकी लोग भी उसके संपर्क में आकर बीमार पड़ जाते हैं. इसके अलावा जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, उन्हें भी आसानी से संक्रमण हो जाता है.''
कैसे करें बचाव
उन्होंने बताया, ''इम्युनिटी बढ़ाने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करना चाहिए. अगर कोई बीमार हो गया है तो वो डॉक्टर की सलाह पर विटामिन सी, डी और मल्टीविटामिन के सप्लिमेंट्स का सेवन कर सकता है. इससे आपकी इम्युनिटी बढ़ती है और जल्दी राहत मिल सकती है. मरीज को योग करना चाहिए और ज्यादा दिक्कत होने पर भाप ले सकते हैं.''
बच्चे भी हो रहे तेजी से शिकार
देश के कई शहरों से इन दिनों बहुत सारे बच्चों में सर्दी-खांसी और बुखार की खबरें सामने आ रही हैं. बच्चों को इन बीमारियों से बचाने के लिए क्या करना चाहिए, इस पर नागपुर के बालरोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश गावंडे ने बताया, ''मौसम में अचानक बदलाव से वायरस आसानी से फैलता है. इसकी चपेट में ज्यादातर बुजुर्ग और छोटे बच्चे आते हैं क्योंकि उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है. अगर किसी स्कूल जाने वाले बच्चे को खांसी-जुकाम होता है तो उससे स्कूल के बाकी बच्चों के भी इन बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ता है.''