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US आर्मी की इस ट्रिक से 2 मिनट में आती है नींद, आप भी जानें सीक्रेट

ऐसे कई लोग है जिन्हें आसानी से नींद नहीं आती है. बहुत थके होने के बाद भी वो सो नहीं पाते हैं और उनकी पूरी रात करवटें बदलने में निकल जाती है. नींद की कमी की वजह से लोगों को तरह-तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. नींद की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए यूएएस आर्मी की एक खास तकनीक काम आ सकती है.

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नींद से जुड़ी US आर्मी की खास तकनीक
नींद से जुड़ी US आर्मी की खास तकनीक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • US आर्मी की खास तकनीक
  • 2 मिनट में आती है नींद
  • जानें ये खास ट्रिक

ऐसे कई लोग हैं जिन्हें अच्छी नींद सोने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. स्लीप डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों की संख्या अच्छी-खासी है. इनसोम्निया यानी अनिद्रा की ये समस्या बहुत आम है. अमेरिकन स्लील एसोसिएशन के मुताबिक, पूरी दुनिया में ज्यादातर लोगों में शॉर्ट टर्म इनसोम्निया और क्रोनिक इनसोम्निया के लक्षण देखे जाते हैं. 440,000 लोगों पर हुई एक स्टडी के मुताबिक लगभग 35% लोग रात में सात घंटे से भी कम सोते हैं. इसका मतलब है कि नींद की कमी की वजह से लाखों लोगों को मोटापा, हृदय रोग और डायबिटीज जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है. नींद की कमी का असर प्रोडक्टविटी पर भी पड़ता है. नींद की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए यूएएस आर्मी की एक खास तकनीक काम आ सकती है.

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US आर्मी की खास ट्रिक- द इंडिपेंडेंट न्यूजपेपर में US आर्मी द्वारा इस्तेमाल की जा रही इस पुरानी तकनीक के बारे में जिक्र किया गया है. अमेरिकी सेना युद्ध या फिर खास परिस्थितियों में सोने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल करती है. इस तकनीक का जिक्र पहली बार 1981 में रिलैक्स एंड विन: चैंपियनशिप परफॉर्मेंस बाय लॉयड बड विंटर नाम की किताब में किया गया था. इस किताब में विंटर ने अमेरिकी सेना द्वारा डिजाइन की गई उस तकनीक के बारे में बताया है. इसके जरिए दो मिनट के अंदर नींद आ जाती है.

क्या है ये ट्रिक- इसमें मुख्य रूप से मांसपेशियों का आराम, सांस और विजुअलाइजेशन ट्रिक्स शामिल हैं जो कोई भी कर सकता है. इसके लिए सबसे पहले अपने बिस्तर के किनारे पर बैठ जाए. ध्यान रखें कि इस समय सिर्फ आपकी बेडसाइड लाइट ऑन रहे, आपका फोन साइलेंट पर हो, और सुबह के लिए अलार्म सेट हो.

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अब अपने चेहरे की मांसपेशियों को आराम दें. पहले उन्हें सिकोड़ कर टाइट कर लें. फिर धीरे-धीरे इन्हें ढीला छोड़ें. अपनी जीभ को किसी भी तरफ जाने दें. जब आपको अपना चेहरा बेजान सा लगने लगे तो अपने कंधों को प्राकृतिक रूप से नीचे की तरफ जाने दें. अपनी बांहों को भी एक बार में एक तरफ लटकने दें. ऐसा करते समय अपनी सांस को अंदर की तरफ लें और बाहर की तरफ छोड़ें. अपनी सांसों की आवाज को सुनें. हर सांस के साथ अपनी छाती को और आराम दें और अपनी जांघों और निचले पैरों को आराम दें.

एक बार जब आपका शरीर बिल्कुल ढीला पड़ जाए कि आपको कुछ भी महसूस ना हो तो, अपने दिमाग को 10 सेकंड के लिए साफ करने की कोशिश करें. दिमाग में कुछ भी विचार स्वाभाविक रूप से आते हैं, तो उन्हें जाने दें, बस अपने शरीर को ढीला छोड़ दें. कुछ सेकंड के बाद आपका दिल-दिमाग पूरी तरह साफ हो जाएगा.

विजुअलाइजेशन पर दें ध्यान- अब आंखें बंद करके किन्हीं दो चीजों को विजुअलाइज करें. आप साफ नीले आसमान के नीचे एक शांत झील में किसी नाव में लेटे हुए हैं. या फिर एक बंद अंधेरे कमरे में खुद को एक मखमली झूले में, धीरे-धीरे झूलते हुए महसूस करें. अगर आप आसानी से कोई चीज विजुअलाइज नहीं कर पाते हैं तो 10 सेकंड के लिए खुद से एक खास बात कहें कि, 'कुछ मत सोचो, कुछ मत सोचो, कुछ मत सोचो.' ये सारे स्टेप करने में लगभग 2 मिनट का समय लगता है. अब बेड पर लेट जाएं और लाइट को ऑफ कर दें, कुछ ही मिनटों में आप सो जाएंगे.

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तकनीक काम करने में लग सकता है समय- शुरुआत में आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि ये तकनीक आप पर काम नहीं कर रही है. लेकिन लगभग नौवें दिन से आपका शरीर से इस तकनीक को अपनाने लग जाएगा. आप खुद को इतना थका हुआ महसूस करेंगे कि आपको बिस्तर पर जाते ही नींद आ जाएगी और अगले दिन आप बिल्कुल फ्रेश फील करेंगे.

 

 

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