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पांच सालों में इतने बढ़ गए सी-सेक्शन डिलीवरी के मामले, टॉप पर प्राइवेट अस्पताल

नए शोध से खुलासा हुआ है कि भारत में सी-सेक्शन डिलीवरी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. सी-सेक्शन डिलीवरी के आंकड़े निजी अस्पतालों में ज्यादा है.

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सी-सेक्शन डिलीवरी के मामले बढ़ते जा रहे हैं (Photo-AFP/Getty Images)
सी-सेक्शन डिलीवरी के मामले बढ़ते जा रहे हैं (Photo-AFP/Getty Images)

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास ने अपने एक शोध में पता लगाया है कि देश में साल 2016 से लेकर 2021 के बीच सिजेरियन सेक्शन के मामले बढ़े हैं. यह बात इसलिए भी थोड़ी चिंताजनक है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान होनेवाली कॉम्प्लिकेशन्स में कमी आई है फिर भी सिजेरियन सेक्शन के मामले बढ़ते जा रहे हैं.

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स्टडी से खुलासा हुआ है कि सी-सेक्शन के जरिए डिलीवरी की संभावना तब और बढ़ जाती है जब महिला की डिलीवरी किसी प्राइवेट अस्पताल में हो रही हो. साथ ही यह भी कहा गया कि अधिक वजनी और ज्यादा उम्र (35-49 साल) की महिलाओं की डिलीवरी के दौरान सी-सेक्शन के संभावना और ज्यादा बढ़ जाती है.

IIT मद्रास के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग ने तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में इस शोध को अंजाम दिया. शोधकर्ताओं में वर्षिनी नीति मोहन और पी. शिरिषा, शोध विद्वान गिरिजा वैद्यनाथन और संस्थान के प्रोफेसर वी. आर. मुरलीधरन शामिल थे. शोध के नतीजे पत्रिका बीएमसी प्रेग्नेंसी एंड चाइल्डबर्थ में प्रकाशित किए गए हैं.

बिना जरूरत भी हो रही सी-सेक्शन डिलीवरी

सी-सेक्शन डिलीवरी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जो आमतौर पर मां और अजन्मे शिशु के जीवन को बचाने के लिए की जाती है. हालांकि, बिना जरूरी सी-सेक्शन डिलीवरी से सेहत पर कई साइड इफेक्ट्स होते हैं और डिलीवरी का खर्च भी काफी बढ़ जाता है.

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शोधकर्ता प्रो. वी. आर. मुरलीधरन ने कहा, 'शोध से एक बड़ी बात ये निकलकर सामने आई है कि डिलीवरी की जगह (सरकारी या निजी अस्पताल) का इस बात पर प्रभाव पड़ा है कि डिलीवरी सी-सेक्शन के जरिए हुई है. इससे पता चलता है कि बिना जरूरत के भी इस तरह की सर्जिकल डिलीवरी की गई.'

शोध से यह बात निकलकर सामने आई कि पूरे भारत और छत्तीसगढ़ में, गरीबी रेखा से ऊपर के लोगों में सी-सेक्शन का विकल्प चुनने की संभावना अधिक थी, जबकि तमिलनाडु में, मामला बिल्कुल अलग था. यहां गरीब लोगों के निजी अस्पतालों में सी-सेक्शन कराने की संभावना अधिक थी.

2016 से पहले भारत में सी-सेक्शन जहां 17.2% होता था, पांच सालों में 2021 के आते-आते यह बढ़कर 21.5% हो गया है. प्राइवेट सेक्टर में यह आंकड़ा 43.1% (2016) और 49.7% (2021) था. इसका मतलब है कि प्राइवेट अस्पतालों में हर दो में से एक डिलीवरी सी-सेक्शन के जरिए हुई है.

क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)?

डिलीवरी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का सुझाव है कि केवल 10% से 25% डिलीवरी सी-सेक्शन के जरिए हो सकती है. IIT मद्रास के शोध में कहा गया कि सी-सेक्शन डिलीवरी में बढ़ोतरी के कई कारण हैं. शहरों में रहने वाली पढ़ी-लिखी महिलाओं के सी-सेक्शन डिलीवरी की संभावना ज्यादा है क्योंकि वो अपने फैसले खुद ले पाती हैं और उनके पास अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं हैं.

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