गांधी जयंती के अवसर पर इंडिया टुडे ग्रुप हेल्थगीरी अवॉर्ड्स कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मेगा कार्यक्रम के जरिए देशभर के कोरोना वॉरियर्स को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के एक सत्र में एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर गुलेरिया भी जुड़े. डॉक्टर गुलेरिया ने कोरोना वायरस, वैक्सीन और भारत में कोरोना के डेटा पर अपनी राय रखी.
क्या कोरोना वायरस पर डेटा छिपा रहा है भारत?
लैंसेट पत्रिका में छपे एक लेख में कहा गया है कि भारत में कोरोना वायरस के मामलों को कम करके दिखाया जा रहा है. डॉक्टर गुलेरिया से पूछा गया कि क्या भारत कोरोना वायरस के डेटा छिपाने की कोशिश कर रहा है? इस पर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, 'किसी भी देश के लिए मौत के आंकड़े छिपाना संभव नहीं क्योंकि इसका पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है, खासतौर से कोरोना से हो रही मौतों को तो जरूर रिकॉर्ड किया जा रहा है. आज कल के जमाने डेटा छिपाना संभव नहीं है. संक्रमण से लेकर मौत तक के डेटा अपलोड करने में पूरी पारदर्शिता परती जा रही है. सारे लैब्स अपने डेटा अपलोड कर रहे हैं और ये सारे कॉमन पोर्टल पर हैं. इसमें डेटा छिपाने जैसी कोई बात नहीं है.'
आखिर कब सामान्य होगी स्थिति?
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि ज्यादातर लोगों के मन मे सवाल है कि आखिर हम कब तक पहले जैसी सामान्य स्थिति में पहुंच सकेंगे. बिना संक्रमण के खतरे के, बिना डर के पहले जैसे काम कर सकेंगे. इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरूआत तक स्थिति थोड़ी बेहतर हो जाएगी. हांलाकि वायरस खत्म नहीं होगा लेकिन कुछ हद तक कंट्रोल में हो जाएगा. वैक्सीन आ जाने के बाद भी कुछ हद तक स्थिति कंट्रोल में आ जाएगी लेकिन पूरी तरह से राहत पाने में एक से डेढ़ साल तक का समय लग सकता है.
भारत में लोगों को कब से मिलेगी वैक्सीन?
डॉक्टर गुलेरिया से पूछा गया कि आखिर भारत में लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन कबसे मिलनी शुरू हो जाएगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा,'ये कहना अभी मुश्किल है कि वैक्सीन कब तक आ जाएगी लेकिन भारत में जितने भी फेज टू या थ्री के ट्रायल हो रहे हैं उसमें दो-तीन रिजल्ट अच्छे आए हैं. रिजल्ट और फॉलोअप में वैक्सीन सुरक्षित साबित हुई. इन वैक्सीन के ज्यादा साइड इफेक्ट नहीं पाए गए हैं. ये वैक्सीन इफेक्टिव हैं और इन्हें लगाने से प्रोटेक्शन मिल रहा है.'
वैक्सीन कितनी कारगर होगी?
डॉक्टर गुलेरिया से पूछा गया कि ये आखिर कैसे पता चलेगा कि कोई वैक्सीन सुरक्षित है क्योंकि वैक्सीन का लॉन्ग टर्म ट्रायल नहीं किया जा रहा है. डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, 'हम जब भी कोई वैक्सीन बनाते हैं तो उसका एनिमल ट्रायल करते हैं और उसका लंबे समय तक फॉलोअप करते हैं लेकिन समय बचाने के लिए कोरोना वायरस वैक्सीन के तीनों चरण का ट्रायल साथ किया जा रहा है. इसमें ये सारी चीजें देखी जाती हैं कि वैक्सीन का लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट क्या हो सकता है. वैक्सीन आने के बाद जिन लोगों को ये दी जाएगी, उनकी भी क्लोज मॉनीटरिंग की जाएगी कि कहीं उन पर कोई साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा है.