गांधी जयंती के अवसर पर आजतक वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर इंडिया टुडे ग्रुप हेल्थगीरी अवॉर्ड्स कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मेगा कार्यक्रम के जरिए देशभर के कोरोना वॉरियर्स को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के एक सत्र में एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर गुलेरिया ने कोरोना वायरस के पीक को लेकर सवालों के जवाब दिए.
क्या भारत में कोरोना का पीक आ गया है?
भारत में इस समय हर दिन कोरोना वायरस से लगभग हजार से ज्यादा मौतें हो रही हैं, ये संख्या बाकी देशों से ज्यादा हैं. डॉक्टर गुलेरिया से पूछा गया कि क्या भारत में कोरोना का पीक आ चुका है या अभी आना बाकी है? इसके जवाब में डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, 'भारत की आबादी ज्यादा है इसलिए यहां मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं. हालांकि आबादी की तुलना में मौतों के केस अभी भी कम हैं. पिछले कुछ दिनों में कोरोना के मामलों में एक स्थिरता देखी जा रही है. अगर ये स्थिरता कुछ और हफ्ते तक जारी रहती है तो हम एक आत्मविश्वास के साथ ये कहने की स्थिति में होंगे कि कोरोना का कर्व यहां फ्लैट हो गया है और अब कोरोना का पीक आ गया है जिसके बाद केस धीरे-धीरे कम होने लगेंगे.'
गांवों में कितना कोरोना फैलने का कितना खतरा?
डॉक्टर गुलेरिया से पूछा गया कि शहरों की तुलना में गांवों में कोरोना फैलना कितना खतरनाक है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ये महामारी अब गांवों तक पहुंच गई है और शहरों के मुकाबले गांवों में ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि लॉकडाउन के दौरान टेस्टिंग की पूरी तैयारी कर ली गई थी. कई छोटे-छोटे शहरों में अब टेस्टिंग ज्यादा की जा रही है. शहरों की तुलना में गांवों में आबादी कम है इसलिए वहां क्लस्टर बनने के चांस कम हैं. इसलिए गांव या छोटे शहरों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाकर और लोगों को जागरुक कर इसे कंट्रोल किया जा सकता है. डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि कोरोना पर नियंत्रण के लिए लोगों को अपनी जिम्मेदारी भी निभानी होगी.
लॉकडाउन के दौरान ज्यादा जागरूक थे लोग
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि गांव हो या शहर सभी लोगों को मास्क लगाने से लेकर फिजिकल टिस्टेंसिग जैसे नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए. लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में लोग इन दोनों चीजों का बहुत ध्यान रखते थे लेकिन समय बढ़ने के साथ-साथ लोगों में एक सुस्ती देखी जा रही है और लोग लापरवाही बरतने लगे हैं. अब एक बार फिर लोगों में एनर्जी और जागरुकता लाने की जरूरत है.