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बच्चे का चेहरा देखते ही मां-बाप ने छोड़ा, थी ये दुर्लभ बीमारी, आप भी जानें इसके लक्षण और कारण

ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है जो आपके बच्चे के कान, आंखों, चीकबोन्स और जबड़े के साइज, शेप और पोजीशन को प्रभावित करता है. इस सिंड्रोम के कारण बच्चे की खाना खाने, सांस लेने और सुनने की क्षमता प्रभावित होती है. जिन बच्चों को यह सिंड्रोम होता है उन्हें आमतौर पर जीवन भर मेडिकल हेल्प की जरूरत पड़ती है.

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पैदा होने के 36 घंटे बाद ही मां-बाप ने छोड़ा, इस दुर्लभ बीमारी से था पीड़ित
पैदा होने के 36 घंटे बाद ही मां-बाप ने छोड़ा, इस दुर्लभ बीमारी से था पीड़ित

हाल ही में जोनाथन लेनसेस्टर नाम के एक मोटिवेशनल स्पीकर ने अपने अतीत के बारे में कुछ ऐसी बातें बताई हैं जिन्हें सुनकर आप भी काफी इमोशनल हो जाएंगे. जोनाथन का जन्म ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम नाम की एक दुर्लभ बीमारी के साथ हुआ था. जोनाथन के पैदा होने के 36 घंटे के बाद ही उनके बायोलॉजिकल पेरेंट्स ने उन्हें यह कहकर छोड़ दिया कि वह दिखने में असामान्य है. हालांकि, जीन नाम की एक महिला ने इन सभी बातों के बावजूद जोनाथन को 5 साल की उम्र में गोद लिया. 

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एक आर्टिकल में जोनाथन ने खुलासा किया कि उसके बायोलॉजिकल पेरेंट्स ने उसके पैदा होने के 36 घंटे के बाद ही अडॉप्शन पेपर्स पर साइन कर दिया था. साथ ही उन्होंने सोशल वर्कर्स और अस्पताल के स्टाफ से ये भी कहा कि वह नहीं चाहते कि उनकी फैमिली का कोई भी सदस्य बच्चे से मिले.

साल 2009 में जोनाथन ने अपने बायोलॉजिकल पेरेंट्स से संपर्क करने की कोशिश की और उन्हें एक लेटर भेजा कि वह ठीक है. लेकिन इस लेटर का जो जवाब आया उससे जोनाथन का दिल टूट गया. लेटर में लिखा था, हम कोई संपर्क नहीं रखना चाहते हैं और इसके बाद अगर कोई भी लेटर आता है तो हम उसे भी इग्नोर कर देंगे.

ऐसे में आज हम आपको ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं क्यों और कैसे होती है यह दुर्लभ बीमारी. 

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क्या होता है ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम?

ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है. इस दुर्लभ बीमारी के साथ जन्मे बच्चे आंख, पलकें, गाल की हड्डी और जबड़े की हड्डी में विकृति के साथ पैदा होते हैं. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और यह चेहरे के विकास को प्रभावित करती है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में सुनाई ना देने की समस्या काफी आम है. 

50 हजार बच्चों में से केवल एक ही बच्चा इस दुर्लभ बीमारी के साथ पैदा होता है. ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम एक जेनेटिक बीमारी है लेकिन आमतौर पर यह वंशागत नहीं होती है. 

लगभग 60% बच्चे जिन्हें यह दुर्लभ बीमारी होती है,  उनके माता पिता में इस बीमारी के कोई जीन नहीं होते. उनके लिए, इस बीमारी को एक बच्चे से दूसरे बच्चे में पास करने की संभावना काफी कम होती है. 

वहीं, दूसरे 40 फीसदी मामलों में, यह बीमारी बच्चे को माता-पिता से मिलती है. ऐसी स्थिति में इस बीमारी के एक प्रेग्नेंसी से दूसरी प्रेग्नेंसाी में पास होने की संभावना 50 फीसदी तक होती है. 

ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम के कारण

रिसर्चर्स ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम को पेरेंटल जीन म्यूटेशन के साथ जोड़ते हैं. रिसर्चर्स के मुताबिक, जिन बच्चों में ये दुर्लभ बीमारी होती है, उनके परिवार का कोई ना कोई सदस्य इस बीमारी से पीड़ित होता है. लेकिन कुछ मामलों में, ये भी हो सकता है कि घर का कोई सदस्य इस बीमारी से पीड़ित ना हो.

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क्या जन्म से पहले ही बच्चे में ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम का पता लगाया जा सकता है?

रेगुलर अल्ट्रासाउंडस के जरिए बच्चे के जन्म से पूर्व विकास (Prenatal Development) को ट्रैक किया जाता है. प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही की शुरुआत में अल्ट्रासाउंड के जरिए बच्चे की चेहरे की विशेषताओं को साफ तरीके से देखा जा सकता है. अल्ट्रासाउंड के जरिए  ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम के अधिक गंभीर रूप का भी पता लगाया जा सकता है.

फिजिकल संकेत और दिक्कतें

ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम के संकेत हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं. कुछ बच्चों में इस बीमारी के फिजिकल संकेत काफी माइल्ड नजर आते हैं जबकि कुछ में इस बीमारी के फिजिकल संकेत काफी ज्यादा नजर आते हैं. आइए जानते हैं इस बीमारी के संकेतों के बारे में - 

फ्लैट और धंसा हुआ चेहरा

गाल की हड्डियां बहुत छोटी होना

आंखे झुकी हुई होना

आइलिड टिशू ना होना

निचली आईलिड में नॉच

ऊपरी-निचले जबड़े और थुड्डी का छोटा होना.

नाक के नथुनों का असामान्य होना

कान का विकास कम होना या बिल्कुल भी ना दिखना

कान के सामने स्किन ग्रोथ

इन सभी स्थितियों में सांस लेना, सोना, खाना और सुनना काफी मुश्किल हो जाता है. इस बीमारी के चलते दांतों में होने वाली दिक्कत और शुष्क आंखों के चलते इंफेक्शन भी हो सकता है. 

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इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चों के लिए कई बार लाइफ काफी मुश्किल हो जाती है. इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों को परिवार और सोशल लाइफ में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ऐसे में इसके लिए थेरेपिस्ट से मिलना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. 


क्या ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम का इलाज संभव है?

ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम का इलाज नहीं किया जा सकता क्योंकि इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों में अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं. अगर आपके बच्चे को भी ट्रेचर कॉलिन्स सिंड्रोम  है तो ऐसे में जरूरी है कि आप उसके कानों को चेक करवाएं. चेहरे की अविकसित हड्डियों के चलते बच्चे के लिए सांस लेना और खाना काफी मुश्किल होता है. अगर आपके नवजात शिशु को यह दिक्कत आ रही है तो इसके लिए डॉक्टर से जरूर संपर्क करें. हालांकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन बीमारी के कारण जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें सर्जरी के जरिए फिक्स किया जा सकता है. इसमें शामिल हैं-

नाक की सर्जरी, ताकि बच्चे के ब्लॉक एयरवेज को खोला जा सके.

होंठ और तालु को ठीक करने के लिए सर्जरी ताकि बच्चे को खाने में दिक्कत ना हो.

आइलिड्स को ठीक करना

नाक को ठीक करना

गाल की हड्डियों को रिपेयर करना

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जबड़े को रिपेयर करना

कान की सर्जरी

 
 

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