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गुमराह करने वाले विज्ञापन हटाए बॉर्नविटा, राष्ट्रीय आयोग ने कंपनी को थमाया नोटिस, मांगा जवाब

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अधिक चीनी वाले आरोप पर बॉर्नविटा बनाने वाली कंपनी को नोटिस जारी किया है. नोटिस में आयोग ने कंपनी से कहा है कि वो अपने प्रोडक्ट से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों और उसकी लेबलिंग को वापस ले. आयोग ने कंपनी से नोटिस जारी करने के सात दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है.

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बॉर्नविटा को नोटिस जारी किया गया है (Photo- Bournvita/Facebook)
बॉर्नविटा को नोटिस जारी किया गया है (Photo- Bournvita/Facebook)

बॉर्नविटा को लेकर शुरू हुआ विवाद फिलहाल थमता नहीं दिख रहा. अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने बॉर्नविटा को नोटिस जारी किया है. आयोग ने बॉर्नविटा बनाने वाली कंपनी मोंडेलेज इंटरनेशनल इंडिया से कहा है कि वह अपने उत्पाद पर सभी भ्रामक विज्ञापनों, पैकेजिंग और लेबल की समीक्षा करे और उन्हें वापस ले. कंपनी पर आरोप है कि वो अपने उत्पाद में अधिक मात्रा में चीनी मिलाती है जो बच्चों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है.

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मोंडेलेज इंटरनेशनल इंडिया के अध्यक्ष दीपक अय्यर को लिखे एक पत्र में, एनसीपीसीआर ने कहा कि उसे एक शिकायत मिली है जिसमें बताया गया है कि बॉर्नविटा, जो खुद को हेल्थ पाउडर या हेल्थ ड्रिंक बताकर प्रचार करता है, उसमें उच्च मात्रा में चीनी होती है जो बच्चों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है. 

'प्रोडक्ट की पैकेजिंग कर रही गुमराह'

कंपनी को 21 अप्रैल को दिए नोटिस में कहा गया, 'आयोग ने पाया है कि आपकी कंपनी में बना प्रोडक्ट अपनी पैकेजिंग और विज्ञापनों के माध्यम से ग्राहकों को गुमराह कर रहा है. इसके अलावा, आपके प्रोडक्ट की लेबलिंग और पैकेजिंग भी प्रोडक्ट बोर्नविटा में उपयोग की जाने वाली सामग्री के बारे में सही जानकारी नहीं देती है.'

इसने आगे कहा कि FSSAI और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दिशानिर्देशों और विनियमों के तहत लेबलिंग में जो बातें अनिवार्य रूप से बताई जानी चाहिए, उसमें भी कंपनी असफल रही है.

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खाद्य सुरक्षा मानकों (लेबलिंग और डिस्प्ले) पर FSSAI द्वारा जारी अधिसूचना के सेक्शन का हवाला देते हुए, आयोग ने कहा कि बॉर्नविटा प्रथम दृष्टया तैयारी की विधि के प्रदर्शन नियमों के मुताबिक नहीं करता है. बॉर्नविटा के डिब्बे पर इस्तेमाल की जो मात्रा बताई जाती है, उसे लेकर भी आयोग ने सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह नियमों का पालन नहीं करता है.

नोटिस में यह भी कहा गया कि प्रोडक्ट में बच्चों पर ऐसे फॉर्मूले के हानिकारक प्रभाव बताते हुए कोई चेतावनी नहीं जारी की गई है जो कि प्रथम दृष्टया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 का उल्लंघन है.

कंपनी से आयोग ने मांगा स्पष्टीकरण

आयोग ने कंपनी से सात दिनों के भीतर स्पष्टीकरण जारी करने को कहा है. आयोग ने नोटिस में लिखा, 'आयोग आपसे अनुरोध करता है कि कृपया सभी भ्रामक विज्ञापनों, पैकेजिंग और लेबलों की समीक्षा करें और उन्हें वापस लें और इस नोटिस के जारी होने की तारीख से सात दिनों के भीतर एक विस्तृत  स्पष्टीकरण या रिपोर्ट भेजें.' 

आयोग ने नोटिस में कंपनी को बताया है कि इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मानक प्राधिकरण (FSSAI) और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के मुख्य आयुक्त को भी पत्र लिखा है.

कैसे शुरू हुआ विवाद

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बॉर्नविटा को लेकर विवाद की शुरुआत तब हुई जब इसी महीने की शुरुआत में सोशल मीडिया के एक इन्फ्लुएंसर ने बॉर्नविटा में मिलाई गई अधिक चीनी को लेकर सवाल उठाया. उन्होंने दावा किया कि बॉर्नविटा में अधिक चीनी होती है और इसके सेवन से मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं. लेकिन 13 अप्रैल को उन्हें एक कानूनी नोटिस मिला जिसके बाद उन्होंने बॉर्नविटा वाला अपना वीडियो सोशल मीडिया से हटा लिया.

विवाद पर बॉर्नविटा ने एक बयान भी जारी किया था जिसमें कहा गया था, '20 ग्राम बॉर्नविटा की प्रत्येक सर्विंग में 7.5 ग्राम अतिरिक्त चीनी होती है, जो लगभग डेढ़ चम्मच होती है. यह बच्चों के लिए चीनी की दैनिक सेवन सीमा से बहुत कम है.'

लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दक्षिण पूर्व एशिया के लिए अपने पोषक तत्व प्रोफाइल मॉडल में बॉर्नविटा जैसे दूध और डेयरी आधारित ड्रिंक्स, जिनमें कुल चीनी 7 ग्राम प्रति 100 ग्राम से अधिक है, की मार्केटिंग पर रोक लगाने की सिफारिश की है. 

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