कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा है. ब्रिटेन में इस वैरिएंट से एक मरीज की मौत भी हो चुकी है. WHO और वैज्ञानिक इस वैरिएंट को लेकर लोगों को लगातार आगाह कर रहे हैं. मॉडर्ना वैक्सीन के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर पॉल बर्टन नेओमिक्रॉन पर एक नई चेतावनी जारी की है. डॉक्टर पॉल का कहना है कि अगर ओमिक्रॉन और डेल्टा एक ही समय में किसी को संक्रमित करते हैं, तो इससे एक नया सुपर-वैरिएंट बनने की संभावना है.
डॉक्टर पॉल ने कहा कि कोविड संक्रमण में एक समय पर आम तौर पर केवल एक म्यूटेशन होता है लेकिन दुर्लभ मामलों में दो स्ट्रेन एक ही समय पर भी हमला कर सकते हैं. अगर ये दोनों स्ट्रेन एक ही कोशिका को संक्रमित करते हैं, तो वो डीएनए की अदला-बदली भी कर सकते हैं और एकसाथ मिलकर वायरस का नया वैरिएंट बना सकते हैं. डॉक्टर पॉल ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि ब्रिटेन में चल रहे डेल्टा और ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों ने इसकी संभावना और बढ़ा दी है.
साइंस एंड टेक्नोलॉजी कमेटी को संबोधित करते हुए डॉक्टर पॉल ने कहा कि यह 'निश्चित रूप से' संभव है कि ये दोनों स्ट्रेन जीन की अदला-बदली कर सकते हैं और एक और खतरनाक वैरिएंट को जन्म दे सकते हैं. शोधकर्ताओं का भी कहना कि दुर्लभ परिस्थितियों में वायरस का ये रूप भी सामने आ सकता है. अब तक जीन की अदला-बदली से बने कोरोना के केवल तीन स्ट्रेन दर्ज किए गए हैं. ज्यादातर मामलों में वायरस खुद ही म्यूटेट हो कर नया वैरिएंट बना लेता है.
दो हफ्ते में ही ओमिक्रॉन लंदन में पूरी तरह हावी हो चुका है और एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि नए साल के आने तक ये यहां पूरी तरह फैल चुका होगा. डॉक्टर पॉल ने कहा, 'निश्चित रूप से इसके डेटा हैं जब इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड लोग दोनों वायरस से संक्रमित हुए हैं. ऐसी स्थिति इस बार भी देखने को मिल सकती है क्योंकि यहां संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या इससे अधिक खतरनाक वैरिएंट भी बन सकता है, उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से हो सकता है. उन्होंने कहा कि हालांकि ज्यादातर जगहों पर एक वैरिएंट ज्यादा हावी रहता है इसलिए एक ही समय पर दो स्ट्रेन से संक्रमित होने की संभावना कम ही रहती है.
वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के दो रूपों में जीन की अदला-बदली संभव है लेकिन ऐसा होने की संभावना कम है. आज तक की डेट में जीन की अदला-बदली से तीन वैरिएंट्स बने हैं लेकिन इनमें से कोई बड़ा प्रकोप या खतरनाक वैरिएंट नहीं बना है. ज्यादातर मामलों में वायरस के रूप में आने वाले ये बदलाव हानिकारक नहीं होते हैं. हालांकि,कभी-कभी ये मौके का फायदा उठाकर ज्यादा संक्रामक बन जाते हैं या फिर वैक्सीन से बच निकलने में सक्षम हो जाते हैं.