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Omicron के इस संकेत से चिंतित दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक, जारी की नई चेतावनी

नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron Variant) को डेल्टा से भी ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है. ओमिक्रॉन की पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ताओं ने की थी. ओमिक्रॉन को लेकर कई देशों ने पाबंदियां लगानी भी शुरू कर दी हैं. वैज्ञानिकों ने अब ओमिक्रॉन को लेकर एक नई चेतावनी जारी की है.

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वैरिएंट ओमिक्रॉन पर दक्षिण अफ्रीका को शोधकर्ताओं ने नई चेतावनी जारी की है
वैरिएंट ओमिक्रॉन पर दक्षिण अफ्रीका को शोधकर्ताओं ने नई चेतावनी जारी की है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ओमिक्रॉन वैरिएंट की दहशत
  • युवाओं में ओमिक्रॉन संक्रमण के ज्यादा मामले

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron variant) की दहशत पूरी दुनिया में फैल गई है. इस वैरिएंट की पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने की थी और WHO को इसकी गंभीरता की जानकारी दे दी थी. वैज्ञानिक इस नए वैरिएंट के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने में लग गए हैं. वैज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन को लेकर एक नई चेतावनी जारी की है.

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दक्षिण अफ्रीका के प्रमुख वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि ओमिक्रॉन वैरिएंट केवल हल्की बीमारी का कारण बनेगा. बुधवार को एक प्रेजेंटेशन में वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना वायरस स्ट्रेन का सही प्रभाव क्या पड़ने वाला है, फिलहाल ये निर्धारित करना जल्दबाजी होगी क्योंकि इसने सबसे ज्यादा युवाओं को शिकार बनाया है, जिनमें रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है. ऐसे लोग वायरस से संक्रमित होने के कुछ दिनों के बाद बीमार हो रहे हैं.

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (NICD)के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के मामले अब दोगुनी संख्या में सामने आ रहे हैं. ओमिक्रॉन स्ट्रेन अब यहां पर पूरी तरह फैल चुका है. अपने प्रेजेंटेशन में NICD के प्रमुख मिशेल ग्रूम ने कहा, 'लेटेस्ट इंफेक्शन ज्यादातर युवाओं में हुआ है लेकिन हम देख रहे हैं कि ये बुजुर्गों की तरफ भी बढ़ रहा है. हम इस बात की भी संभावना लेकर चल रहे हैं कि अधिकतर गंभीर परेशानियां कुछ हफ्तों के बाद ही नजर आती हैं.'

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KRISP जीनोमिक्स इंस्टीट्यूट के एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ रिचर्ड लेसेल्स ने कहा कि अगर ये वायरस और वैरिएंट पूरी क्षमता से आबादी में फैल जाता है तो भी ये उन लोगों को सबसे पहले ढूंढेगा जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है. यही चीज हमें महाद्वीप के बारे में ज्यादा चिंतित करता है. पश्चिमी देशों और चीन की तुलना में दक्षिण अफ्रीका में वैक्सीनेशन की दर बहुत कम है. 1.3 अरब लोगों के महाद्वीप में, केवल 6.7% लोगों को पूरी तरह से वैक्सीन लगी है, कांगो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक में 100 मिलियन लोगों में से केवल 0.1% लोगों ने वैक्सीन लगवाई है.

प्रोफेसर लेसेल्स ने उम्मीद जताई है कि भले ही ये वैरिएंट एंटीबॉडी से बच सकता हो लेकिन शरीर के अन्य बचाव, जैसे कि टी-कोशिकाएं (T-cells), अभी भी प्रभावी रहेंगी. टी-कोशिकाएं संक्रमित कोशिकाओं को मारती हैं. हम उम्मीद करते हैं कि गंभीर बीमारी के खिलाफ हमारे पास जो सुरक्षा है, वो इस वैरिएंट पर काम कर सकती है.
 

 

 

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