भारत में ओमिक्रॉन के साथ-साथ कोरोना के पुराने स्ट्रेन के मामले भी फिर बढ़ने लगे हैं. ओमिक्रॉन की संक्रामकता दर देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसकी संख्या में उछाल आने वाला है. ऐसे में भारत में वैक्सीनेशन का काम और तेजी से पूरा करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं. ओमिक्रॉन वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी को भी चकमा देने में महिर है इसलिए अब देश में बूस्टर की भी मांग तेज हो रही है. देश के प्रसिद्ध हेल्थ एक्सपर्ट्स ने आजतक से खास बातचीत में ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचाव के लिए कई तरह की सलाह दी हैं. साथ ही बूस्टर डोज की जरूरत के बारे में भी बताया है.
सावधानी है जरूरी- महामारी और संक्रामक विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहरिया ने कहा, 'ओमिक्रॉन से बचाव में मास्क लगाना, सही वेंटीलेशन रखना और वैक्सीन की दोनों डोज लगवाना ही हथियार है. घर से बाहर जाए बिना जिनका काम नहीं चल सकता है बस उन्हें ही बाहर निकलने की जरूरत है. सिर्फ घूमना-फिरना है तो बाहर बिल्कुल ना निकलें. ओमिक्रॉन हो या कोई भी वैरिएंट को बुर्जुर्गों में इसका खतरा ज्यादा रहता है, इसलिए इन्हें कोविडयुक्त व्यवहार करने की बहुत जरूरत है.'
वहीं, AIIMS के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने ANI से बातचीत में कहा कि अब तक मिले डाटा के अनुसार ओमिक्रॉन में हल्की बीमारी के ही लक्षण दिख रहे हैं. अभी हमें इसके बारे में और डाटा चाहिए. जैसे-जैसे मामले बढ़ेंगे हमें इसके लक्षणों के बारे में और जानकारी मिलेगी. उन्होंने कहा कि ओमिक्रोन ज्यादा संक्रामक है और इससे बचाव में दो चीजें बहुत जरूरी हैं. एक वैक्सीन की दोनों डोज लगवाना और दूसरा है कोविड नियमों का पालन करना.
बूस्टर है जरूरी- स्टार इमेजिंग और पैथ लैब्स के निदेशक डॉक्टर समीर भाटी ने बूस्टर को जरूरी बताते हुए कहा, 'भारत में वैक्सीन की इतनी संख्या है कि फ्रंट लाइन वर्कर्स को बूस्टर लग जाए. हालांकि, अभी कई लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं लगी है लेकिन हेल्थ केयर वर्कर्स को तीसरी डोज दिया जाना बहुत जरूरी है.' नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर वी.के. पॉल ने ANI से बातचीत में कहा कि भारत में बूस्टर डोज पूरी तरह वैज्ञानिक निर्णय होगा. जरूरत और समय के हिसाब से लोगों को बूस्टर दिए जाने पर विचार किया जाएगा. वहीं, दिल्ली के ILBS अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर एस के सरीन ने कहा, 'मेरी राय में, बूस्टर बहुत जरूरी है. जब आप किसी वैक्सीन की दो डोज लेते हैं तो आपका सुरक्षा स्तर, विशेष रूप से 3 से 6 महीने के बाद कम होता जाता है. तीसरी डोज या बूस्टर के बाद गंभीर संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम हो जाती है.'
पर्यटन से बढ़ा ओमिक्रॉन का खतरा- जसलोक अस्पताल के मेडिकल रिसर्च ऐंड न्यूरोफिजिसिस्ट के डायरेक्टर डॉक्टकर राजेश पारिख ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि ओमिक्रॉन के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए फिलहाल पर्यटन को रोक देने में ही भलाई है. उन्होंने कहा, 'देश के कर्तव्य के लिए जरूरी है कि हम कहीं ना जाएं. मैंने खुद अपने कई ईवेंट्स इसलिए कैंसिल कर दिए क्योंकि इनमें शामिल होने के लिए ये सही समय नहीं है. हमें होशियारी से काम लेना जरूरी है. पिछली लहर की तुलना में हम पहले से तैयार हैं लेकिन अचानक से आने वाले इस संक्रमण के लिए पूरी दुनिया तैयार नहीं है. हमें इसे हल्का समझने की भूल नहीं करनी चाहिए. ये बहुत ही तेजी से से फैल रहा है.'