डायबिटीज की बीमारी धीरे-धीरे इंसान के शरीर को खोखला करती है, इसी वजह से इसे साइलेंट किलर कहा जाता है. एक्सपर्ट्स ने लोगों को आगाह किया है कि 2030 तक 10 में से एक शख्स डायबिटीज की बीमारी का शिकार होगा. चैरिटी डायबिटीज यूके का दावा है कि मोटापे के बढ़ते स्तर को देखते हुए एक दशक में करीब 55 लाख वयस्क बीमारी की चपेट में होंगे जो कि आज 49 लाख हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, 17 लाख लोगों में बढ़ते वजन की वजह से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ेगा. संस्था के सीईओ क्रिस एस्क्यू ने कहा, 'हम इस वक्त पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के टिपिंग प्वॉइंट पर खड़े हैं और इसे रोकने के लिए हमें जल्दी ही कुछ करना होगा.' उन्होंने इस पर गंभीरता दिखाते हुए कहा कि अगर इसे रोकने का प्रयास ना किया गया तो लाखों लोग टाइप-2 डायबिटीज की बीमार का शिकार होंगे.
एक्सपर्ट ने कहा, 'सही केयर और सपोर्ट के साथ डायबिटीज के खतरों से बचा जा सकता है. टाइप-2 डायबिटीज के मामलों में राहत दी जा सकती है या फिर बीमारी को पूरी तरह से रोका जा सकता है.' रिपोर्ट के मुताबिक, टाइप-2 डायबिटीज के लगभग 90 फीसद मामले अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से होते हैं. वहीं, डायबिटीज टाइप-1 को कोई इलाज नहीं है.
डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए संस्था ने सरकार से वजन घटाने वाले प्रोग्राम, डायबिटीज की रोकथाम और लक्षणों को रोकने के लिए चेकअप में निवेश करने का आग्रह किया है. ब्रिटेन में दो-तिहाई लोग ओवरवेट की समस्या से जूझ रहे हैं. NHS पहले से ही यहां दुनिया का सबसे बड़ा टाइप-2 डायबिटीज प्रीवेंशन प्रोग्राम चला रही है.
डायबिटीज के कारण
बिजी लाइफस्टाइल, अधिक मात्रा में जंक फूड, फिजी पेय पदार्थो का सेवन और खाने-पीने की गलत आदतें डायबिटीज का कारण बन सकती हैं. अगर व्यक्ति शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय न हो या मोटापे का शिकार हो, उसका वजन सामान्य से अधिक हो, तो भी डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है. पेट पर ज्यादा फैट का जमाव होने से इंसुलिन उत्पादन में बाधा आती है, जिसका परिणाम टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है.