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पेनकिलर्स का रेगुलर यूज खतरनाक, 70,000 महिलाओं पर हुई ये स्टडी बढ़ा देगी चिंता

डॉक्टर की सलाह लिए बगैर अंधाधुंध पेनकिलर्स लेने से हमारी सेहत के लिए कितना घातक साबित हो सकता है. 70 हजार महिलाओं पर हुई एक नई स्टडी के मुताबिक, रोजाना पेनकिलर्स का सेवन महिलाओं में कानों से जुड़ी समस्या को बढ़ावा दे सकता है.

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पेनकिलर्स का रेगुलर यूज कितना खतरनाक? 70,000 औरतों पर हुई ये स्टडी बढ़ा देगी चिंता (Photo: Getty Images)
पेनकिलर्स का रेगुलर यूज कितना खतरनाक? 70,000 औरतों पर हुई ये स्टडी बढ़ा देगी चिंता (Photo: Getty Images)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अंधाधुंध पेनकिलर्स लेना सेहत के लिए घातक
  • कान की दिक्कत को बढ़ावा देता है पेनकिलर्स का रेगुलर यूज

बॉडी पेन यानी बदन दर्द की समस्या से राहत पाने के लिए अक्सर लोगों को पेनकिलर्स लेने की सलाह दी जाती है. क्या आप जानते हैं डॉक्टर की सलाह लिए बगैर अंधाधुंध पेनकिलर्स लेना हमारी सेहत के लिए कितना घातक साबित हो सकता है. 70 हजार महिलाओं पर हुई एक नई स्टडी के मुताबिक, रोजाना पेनकिलर्स का सेवन महिलाओं में कानों से जुड़ी समस्या को बढ़ावा दे सकता है.

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अमेरिका के बर्मिंघम एंड वूमेंस हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं द्वारा कंडक्ट स्टडी में पाया गया कि पेनकिलर्स का अंधाधुंध इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में टिनिटस (कानों से जुड़ी समस्या) की संभावना सामान्य की तुलना में 20 प्रतिशत ज्यादा होती है. स्टडी की प्रमुख लेखक डॉ. शेरॉन करहन ने कहा, 'हमारी स्टडी बताती है कि दर्दनाशक दवाओं का इस्तेमाल करने वाले लोगों में टिनिटस का खतरा ज्यादा होता है.' यह स्टडी जर्नल ऑफ जनरल इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित हुई है.

इसमें एडविल और टायलेनॉल जैसे पेनकिलर्स के अलावा NSAIDs और Aleve जैसे एंटी-इनफ्लेमेटरी ड्रग्स के नाम भी बताए गए हैं. स्टडी के मुताबिक, सप्ताह में छह या सात बार एस्पिरिन के डोसेज़ लेने से भी टिनिटस का जोखिम 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. एक्सपर्ट ने कहा कि यह जानना महत्वपूर्ण रहेगा कि दर्द में राहत देने वाली दवाओं को एवॉइड करने से टिनिटस के लक्षण कम होते हैं या नहीं.

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हालांकि स्टडी में ऐसा कोई दावा नहीं किया गया है कि कोल्ड, हैंगओवर, स्प्रेन या दांत दर्द में पैरासिटामोल जैसी दवाएं नहीं ली जा सकती हैं. यह स्टडी केवल पेनकिलर्स के रोजाना या लगातार इस्तेमाल की तरफ इशारा करती है. पेनकिलर्स के नियमित इस्तेमाल में कोई समस्या नहीं है. साल 2018 में ब्रिटिश टिनिटस एसोसिएशन के अनुमान के मुताबिक, यूके में करीब 60 लाख लोग कानों से जुड़ी इस समस्या का शिकार हैं. संभवत: इस संख्या में इजाफा हुआ है. ब्रिटेन की लगभग 10 प्रतिशत आबादी इससे प्रभावित है.

क्या है टिनिटस?
कान से संबंधित टिनिटस की समस्या को किसी एक विशेष साउंड से नहीं जोड़ा जा सकता है. कान में रिंगिंग, बजिंग, हमिंग, थ्रॉबिंग या विभिन्न प्रकार की आवाजों का गूंजना टिनिटस कहलाता है. कान में ऐसी साउंड का लगातार गूंजना जरूरी नहीं है. यह बीच-बीच में रुक-रुककर भी आ सकती हैं. जीवन के किसी एक खास स्टेज पर टिनिटस लोगों को ज्यादा इरिटेट कर सकती है.

 

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