बच्चे जीवन में कई बार व्याकुलता (डिस्ट्रैक्शन) का शिकार होते हैं जिसके लिए अक्सर टेक्नोलॉजी को सबसे ज्यादा जिम्मेदार समझा जाता है. अमारिलो चिल्ड्रन्स होम एग्जीक्यूटिव के डायरेक्टर बेलिंडा पेलेसियस ने बच्चों की साइकोलॉजिकल जरूरतों और उनकी मदद के तरीकों के बारे में बताया है.
1. एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चों को उनकी च्वाइस के लिए स्वतंत्र छोड़ना अच्छी बात हो सकती है. ऐसा देखा गया है कि अगर लक्ष्य निर्धारित करने वाले बच्चों को पैरेंट्स का सपोर्ट मिलता है तो नतीजे अच्छे सामने आते हैं. अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों के प्रति बच्चों के पास पर्याप्त अधिकार होने चाहिए.
2. जीवन में कुछ अच्छा करने की भावना से प्रेरित होना अच्छी बात है. लेकिन इसके लिए बच्चों पर दबाव बनाना सही नहीं है. एकेडमी हो या एथेलेटिक्स एक्टविटीज, उनके साथ सख्ती करना और अपेक्षाओं का भार डालना सही नहीं है. बेहतर होगा कि आप बच्चे से पूछें कि उसका मन किन चीजों में लगता है और उन्हें उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रोत्सान दें.
3. बड़ों की तरह बच्चे भी दूसरों के लिए अच्छा महसूस करना चाहते हैं. बच्चों की यह जरूरत और उनकी सोशल स्किल को डेवलप करने का अवसर दूसरे बच्चों के साथ खेलने के इर्द-गिर्द केंद्रित होता है. हालांकि, बीते कुछ सालों में इस एक्टिविटी में बड़ा बदलाव आया है. करीब 30 साल पहले बच्चे स्कूल के बाद बाहर मिलते थे और खेलते थे. अब बच्चों का जीवन स्क्रीन और वर्चुअल रिलेशनशिप तक सिमटकर रह गया है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि बच्चों को उनकी उम्र के लोगों से मिलने का पर्याप्त समय देना जरूरी है. इन मजबूत रिश्तों को बनाने से हमारे बच्चों में क्षमता पैदा होती है. उन्हें लगता है कि उनमें दोस्त बनाने की क्षमता है. दोस्ती को बरकरार रखने की क्षमता है और इनसे भी जरूरी वे एक इंसान होने के नाते करीबी रिश्तों के महत्व को समझने में कामयाब हो पाते हैं.