बच्चों को अनुशासन सिखाना बहुत जरूरी होता है. अनुशासन से बच्चों की आदतों में सुधार आता है. अनुशासन का मतलब बच्चों को डराना या धमकाना नहीं होता है बल्कि उन्हें अच्छा बर्ताव सिखाना होता है. लेकिन कई बार लोग अनुशासन के मतलब को गलत समझ बैठते हैं. जीवन में अनुशासन काफी जरूरी होता है लेकिन बहुत से लोग बच्चों पर अनुशासन को थोपने लगते हैं जिससे बच्चे समझदार बनने की बजाय और भी ज्यादा बिगड़ने लगते हैं.
चाइल्डहुड एजुकेशन स्पेशलिस्ट चैज़ लेविस जिन्हें मिस्टर चैज के नाम से भी जाना जाता है सोशल मीडिया पर लोगों को पेरेंटिंग टिप्स देते हैं. मिस्टर चैज के इंस्टाग्राम पर 200K फॉलोअर्स हैं. मिस्टर चैज़ पेरेटिंग को लेकर कई तरह के वीडियोज अपने इंस्टाग्राम पर शेयर करते रहते हैं. याहू लाइफ से बात करते हुए लेविस ने बताया कि, मैंने एक मोंटेसरी शिक्षक के रूप में शुरुआत की, जो मेरे लिए एक बड़ा सीखने का अनुभव था. लेकिन मैंने महसूस किया कि बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए डर या नियंत्रण की तकनीक सही नहीं है. ऐसे में बच्चों को अनुशासित करने के लिए कोई बेहतर तरीका होना चाहिए.
पहले खुद की भावनाओं को करें काबू
इसके लिए लेविस ने कई शोध किए और बच्चों के व्यवहार से जुड़ी बहुत सी बातों को जानने की कोशिश की. लेविस का कहना है कि बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए माता-पिता को खुद भी कुछ बातों को जानना बहुत जरूरी होता है. माता-पिता को इसके लिए जागरुक होना बहुत जरूरी है. माता पिता के लिए जरूरी है कि वह पहले खुद की भावनाओं को काबू करें और दूसरों को कंट्रोल करने से पहले खुद पर कंट्रोल करना सीखें.
सेल्फ कंट्रोल और भावनाओं को काबू करना इंसान की अपनी ग्रोथ के लिए काफी सही माना जाता है. इसके जरिए दूसरों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है. बच्चे वही सीखते हैं जो वह देखते हैं, ऐसे में चीजों को लेकर आपकी जैसी प्रतिक्रिया होगी बच्चे भी वैसा ही सीखेंगे. तो अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा खुद पर नियंत्रण करना सीखें तो पहले आपको खुद में यह बदलाव लाना होगा.
गैप को दूर करने में मदद कर सकती हैं ये चीजें
माता-पिता और बच्चों के बीच के गैप को दूर करने में मदद करने के लिए लेविस ने एक तरीका बताया है जो है "देखना, मार्गदर्शन करना, विश्वास करना". इसे विस्तार से बताते हुए लेविस ने कहा, जब बच्चा आपको देखेगा या आपकी बात पर ध्यान देगा तभी आप उसका मार्गदर्शन कर सकते हैं. और आखिर में आता है भरोसा करना. जरूरी है कि आप बच्चे के मन में विश्वास पैदा करें कि वह अपने ज्ञान और काबिलियत के अनुसार जो भी कर रहा है, बहुत अच्छा है.
अनुशासन के बारे में बात करते हुए लेविस ने बताया कि जब अनुशासन की बात आती है तो लोग बहुत सी चीजें गलत करते हैं. अनुशासन का मतलब है ऐसा कोई काम ना करना जिससे सामने वाले इंसान को बुरा महसूस हो.
बच्चे की भावनाओं का रखें ख्याल
कुछ मामलों में, माता-पिता अपने बच्चे की भावनाओं को चोट पहुंचाते हैं या सजा के रूप में अपने बच्चों को डांटते हैं, ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनके अपने माता-पिता ने अनुशासन के नाम पर उनके साथ ऐसा व्यवहार किया है. यह एक जेनरेशनल साइकिल का हिस्सा हो सकता है. लेविस कहते हैं कि माता-पिता कई बार अपने बुरे व्यवहार और विचारों को बच्चों पर थोपते हैं. कई बार यह सब माता-पिता की नजरों में सही होता है लेकिन बच्चों पर इसका कुछ अलग ही असर पड़ता है. लेविस का कहना कि हमें बच्चों की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए और उनसे जुड़ना चाहिए. क्योंकि जब आप किसी बच्चे की भावनाओं का ख्याल नहीं रखते है तो बाहरी तौर पर इसका कोई असर नहीं पड़ता लेकिन कहीं ना कहीं उनके मन में ये चीज अटकी रहती है और बार-बार भावनाओं को चोट पहुंचाने से इसका असर उनकी सेहत पर पड़ने लगता है.
पहले अपनी ये आदतें सुधारें पेरेंट्स
एक और चैलेंज के बारे में लेविस ने बताया कि बहुत से पेरेंट्स को इस समस्या का सामना करना पड़ता है और वह ये है कि जब भी आप बच्चे को टीवी देखने की बजाय या खेलने की बजाय पढ़ाई करने या ,होम वर्क करने के लिए कहते हैं तो वह चिड़चिड़े हो जाते हैं. ऐसे में पेरेंट्स भी इसी तरीके से रिएक्ट करते हैं. तो अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपकी बात सुने और बिना रिएक्ट किए अपने काम करे तो उसके लिए पहले आपको भी अपनी इस आदत को सुधारना होगा.
परफेक्ट होना जरूरी नहीं
इन सब के अलावा लेविस ने कहा कि एक अच्छे पेरेंट्स बनने के लिए जरूरी नहीं आप एकदम परफेक्ट हों. सोशल मीडिया पर देखकर पेरेंट्स आसानी से खुद की तुलना परफेक्ट परिवारों से करने लगते हैं. और उन्हें ऐसा लगता है कि वह असफल हो रहे हैं. ऐसे में आपको खुद पर भरोसा होना जरूरी है कि आप जो कर रहे हैं, वह सही है.