
दिनभर कुर्सी पर बैठना, फोन-लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल और खराब स्लीपिंग पोजिशन हमारे बॉडी पोश्चर के लिए घातक साबित हो रहे हैं. एक्सपर्ट्स ने एक ग्राफिक पिक्चर के जरिए बताया है कि यदि हम अपने खराब बॉडी पोश्चर को इसी तरह नजरअंदाज करते रहे तो भविष्य में इसके बहुत बुरे परिणाम होंगे. हम कैसे बैठते हैं, कैसे टेक्स्ट करते हैं, यहां तक कि कैसे सोते हैं, इन सभी बातों का बॉडी के पोश्चर पर सीधा असर होता है. अगर ये बुरी आदतें 20-30 साल तक लगातार जारी रहीं तो बॉडी का पोश्चर बहुत चिंताजनक अवस्था में चला जाएगा.
टेक्स्ट नेक
टेक्स्ट नेक एक रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी या गर्दन की गलत पोजिशन से जुड़ी समस्या है. ये दिक्कत मोबाइल फोन या स्मार्ट गैजेट का इस्तेमाल करते वक्त गर्दन को घंटों तक झुकाकर एक ही पोजिशन में रखने से जुड़ी है. गर्दन की खराब पोजिशन से 'सर्वाइकल स्पाइन कम्प्रेशन' का खतरा बढ़ रहा है. संकुचित रीढ़ हाथों और उंगलियों में झनझनाहट या दर्द का कारण बन सकती है.
काइफोसिस
इस ग्राफिक पिक्चर में रीढ़ के ऊपरी हिस्से (काइफोसिस) की वक्रता को बढ़ते दिखाया गया है. ये समस्या आमतौर पर उन लोगों को होती है जो लंबे समय तक डेस्क या कुर्सी पर बैठे रहते हैं. NHS के मुताबिक, कुर्सी पर घंटों तक बैठने, कमर झुकाकर रखने या पीठ पर भारी बैग टांगने से भी काइफोसिस की समस्या बढ़ सकती है.
सैड शोल्डर
ग्राफिक पिक्चर में दोनों कंधों को आगे की तरफ झुका हुआ दिखाया गया है. इससे इंसान की पीठ छाती वाले हिस्से को ठीक से फैलने नहीं देती और लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है. यह खराब पोश्चर दर्द, पेट के फुलाव और सिरदर्द का भी कारण बन सकता है.
पॉली नाम के इस ग्राफिक पिक्चर को पोश्चर एक्सपर्ट इवाना डेनियल ने मैट्रेस स्पेशलिस्ट्स Time4Sleep के साथ मिलकर डिजाइन किया है, ताकि ब्रिटेन में खराब पोश्चर की तरफ बढ़ रहे लोगों को आगाह किया जा सके. Time4Sleep ने हाल ही में देखा कि ब्रिटेन में करीब 70 फीसद लोग कमर दर्द और 67 फीसद लोग गर्दन में दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं.
बॉडी पोश्चर में कैसे आएगा सुधार?
इसके लिए शुरुआत से ही बच्चों को कमर सीधी करके बैठने की सलाह दी जाती है. हालांकि, स्ट्रेंथ और स्ट्रेच एक्सरसाइज के जरिए भी इसे सुधारा जा सकता है. साथ ही स्लीपिंग पोजिशन में भी सुधार करना जरूरी है. रात को सोते वक्त अपना सिर छाती और लोवर बैक की सीध में रखें. इससे रीढ़ की हड्डी में गैर स्वाभाविक ढंग से होने वाले कर्व का जोखिम कम होगा.