अधिकतर लोग वजन कम करते समय मसल्स लॉस कर लेते हैं क्योंकि वे लोग मसल्स को सुरक्षित रखने के तरीके नहीं अपनाते हैं. हाल ही में की गई एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने मसल्स सुरक्षित रखने के लिए प्रोटीन को जरूरी बताया है. उनका कहना है कि BCL6 (एक प्रकार का प्रोटीन जो बी-सेल लिम्फोमा में भूमिका निभाता है) बढ़ाने वाले ट्रीटमेंट GLP-1 (हार्मोन जो भोजन के बाद शरीर में इंसुलिन का उत्पादन बढ़ाता है) लेने वालों को फैट गलाने के साथ-साथ मसल्स को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है. इस प्रकार के इलाज का उपयोग अन्य मसल्स लॉस वाले लोगों के लिए भी किया जा सकता है जैसे कि वृद्ध लोग, सेप्सिस या कैंसर जैसी बीमारी वाले लोग आदि.
साल्क इंस्टीट्यूट की स्टडी 22 जनवरी, 2025 को नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में पब्लिश हुई है. स्टडी का कहना है कि BCL6 नामक प्रोटीन मसल्स को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है. रिसर्च से पता चला कि BCL6 के कम लेवल वाले चूहों में मसल्स का वॉल्यूम और ताकत कम हो गई थी लेकिन BCL6 को बढ़ाने से रिजल्ट पलट गए थे.
रिजल्ट बताते हैं कि GLP-1 दवाओं को BCL6 बढ़ाने वाली दवा के साथ मिलाने से मसल्स लॉस को रोकने में मदद मिल सकती है. साल्क में जीन एक्सप्रेशन प्रयोगशाला के प्रोफेसर और डायरेक्टर रोनाल्ड इवांस कहते हैं, 'मसल्स इंसानी शरीर में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला टिश्यू है इसलिए इसका रखरखाव हमारी ओवरऑल हेल्थ और क्वालिटी वाली लाइफ के लिए काफी जरूरी है.'
रोनाल्ड इवांस ने कहा, 'हमारी स्टडी से पता चलता है कि हमारा शरीर किस प्रकार मसल्स को सुरक्षित रखने के लिए हमारे न्यूट्रिशन और एनर्जी लेवल के साथ कोऑर्डिनेशन करता है. लेकिन इस नई जानकारी के साथ हम वजन घटाने, उम्र या बीमारी के दुष्प्रभाव की तरह मसल्स लॉस करने वाले मरीजों की मदद कर सकते हैं.'
साल्क इंस्टीट्यूट की स्टडी के मुताबिक, 'फास्टिंग, ग्रोथ हार्मोन के उत्पादन को बढ़ावा देता है जो मसल्स के टिश्यूज में BCL6 के स्तर को कम करता है. BCL6, साइटोकाइन सिग्नलिंग सप्रेसर 2 प्रोटीन (SOCS2) का रेगुलेटर है इसलिए कम BCL6 से SOCS2 कम होता है.
आसान शब्दों में समझें तो अगर किसी को अपना वेट लॉस करना है और मसल्स को कम होने से बचाना है तो आपको प्रोटीन इंटेक बढ़ाना होगा. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आम इंसान को 1 किलो प्रतिकिलो बॉडी वेट, एक्टिव को 1.3 ग्राम प्रतिकिलो बॉडी वेट, ओवर एक्टिव इंसान को 1.5 से 1.7 ग्राम प्रतिकिलो बॉडी वेट के हिसाब से प्रोटीन लेना चाहिए.